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नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों (New Agriculture Laws) के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन (Farmers Protest) 37वें दिन भी जारी है और राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसान लगातार तीनों कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं. किसान नेताओं और सरकार के बीच अब तक 6 दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन पूरा समाधान नहीं निकला है.
प्रदर्शन कर रहे किसानों और सरकार के बीच अब अगले दौर की बातचीत 4 जनवरी को होनी है. इससे पहले आज दिल्ली के सिंघु बॉर्डर (Singhu Border) पर किसान नेताओं की बैठक होगी, जिसमें आगे की रणनीति पर चर्चा होगी. इस बैठक में 80 किसान संगठन के नेताओं के शामिल होने की उम्मीद है.
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नए कृषि कानूनों (New Agriculture Laws) के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान और केंद्र सरकार के बीच 30 दिसंबर को छठे दौर की बाचतीच हुई थी. लगभग पांच घंटे चली इस बैठक में बिजली दरों में वृद्धि और पराली जलाने पर दंड को लेकर किसानों की चिंताओं को हल करने के लिए कुछ सहमति बनी, लेकिन दो बड़े मुद्दों पर गतिरोध बना रहा. किसानों की मांग है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी दी जाए और तीनों नए कृषि कानूनों को रद्द किया जाए.
राजस्थान के अलवर जिले के शाहजहांपुर हरियाणा बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसानों (Farmers Protest) और हरियाणा पुलिस के बीच गुरुवार को तनातनी का माहौल देखते ही देखते हिंसक झड़प में तब्दील हो गया. आंदोलन में शामिल किसानों ने बेरिकेड्स तोड़ दिए और जबरदस्ती सैकड़ों ट्रैक्टर-ट्रालियों को हरियाणा सीमा में ले गए. इसके बाद हरियाणा पुलिस और किसान आंदोलनकारियों में झड़प हुई, जिसके बाद पुलिस ने किसानों पर लाठीचार्ज किया.
दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर एक महीने से अधिक समय से प्रदर्शन कर रहे किसानों का कहना है कि जब तक नए कृषि कानूनों को लेकर उनकी मांगें केंद्र सरकार द्वारा स्वीकार नहीं कर लिया जाता, वे नए साल का जश्न नहीं मनाएंगे. किसानों का कहना है कि सरकार ने बिजली बिल में बढ़ोतरी और पराली जलाने पर जुर्माना लगाने से जुड़ी चिंताओं का समाधान करने का भरोसा दिया है, लेकिन यह जश्न मनाने के लिए काफी नहीं है.