दिल्ली के किसान आंदोलन में शामिल कुछ लोगों को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) का नोटिस मिलने पर किसान संगठन भड़क गए हैं. किसानों ने आरोप लगाया कि ऐसे कदम उठाकर सरकार उन्हें डराने की कोशिश कर रही है लेकिन वे अपना विरोध जारी रखेंगे.
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नई दिल्ली: अलगाववादी संगठन सिख फॉर जस्टिस (SFJ) को आतंकी फंडिग के आरोप में कई किसान नेताओं को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) का नोटिस मिलने पर किसान यूनियनों ने विरोध जताया है. किसान यूनियनों ने आरोप लगाया कि उनके आंदोलन (Farmers Protest) को खत्म करने के लिए सरकार NIA का सहारा ले रही है.
दिल्ली में किसान आंदोलन (Farmers Protest) के 53वें दिन किसान यूनियनों ने प्रेस वार्ता की. किसानों ने आरोप लगाया कि इस आंदोलन में बस भेजने, लंगर लगाने और शहीद किसानों के परिवारों को मदद करने पर NIA मुकदमे दर्ज कर रही है. इसका किसान मोर्चा विरोध करता है.
किसानों ने कहा कि गणतंत्र दिवस परेड (Republic Day Parade) में वे कोई बाधा नहीं डालेंगे. लेकिन बाहरी रिंग रोड पर किसानों की ट्रैक्टर परेड निकलेगी. यह परेड शांतिपूर्ण होगी और हिंसा या भड़काऊ भाषण पर पूरी तरह पाबंदी होगी. परेड में शामिल हर गाड़ी पर रास्ट्रीय झंडा और किसान संगठन का झंडा लगा होगा. परेड में राजनैतिक झंडे पर पूर्णत मनाही होगी. राज्यों की राजधानियों और जिला स्तर पर भी इस तरह की किसान परेड का आयोजन होगा.
किसान संगठनों ने कहा कि 26 जनवरी को निकलने वाली इस किसान परेड में 29 राज्यों के किसानों की झांकियां शामिल होगी. दिल्ली की जनता इस किसान परेड को देखने के लिए बाहरी रिंग रोड़ पर आ सकती है. किसान यूनियनों ने कहा कि कुछ किसान नेता राजनीतिक दलों की बैठक में शामिल हुए हैं, उनका इस आंदोलन से कोई संबंध नहीं है.
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किसानों ने कहा कि कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का ताजा बयान एक बार फिर से सरकार की नीयत को स्पष्ट करता है. आरोप लगाया कि ऐसे बयान देकर सरकार 19 जनवरी से पहले किसानों को आक्रोशित करने की कोशिश कर रही है. आंदोलनकारी किसानों (Farmers Protest) ने घोषणा की कि अडानी,अम्बानी के उत्पादों का बहिष्कार जारी रहेगा.
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