देशभर के सभी नेशनल हाइवे टोल प्लाजा पर फ़ास्ट टैग अनिवार्य होने जा रहा है.
Trending Photos
नई दिल्ली: देश में इलेक्ट्रॉनिक टोल को बढ़ावा देने और मुसाफिरों को सुविधा देने के मकसद से सरकार 1 दिसंबर से नेशनल हाइवे पर फ़ास्ट टैग या आरएफआईडी (RFID) को अनिवार्य करने जा रही है. देशभर के सभी नेशनल हाइवे टोल प्लाजा पर फ़ास्ट टैग अनिवार्य होने जा रहा है.
आखिर क्या है फ़ास्ट टैग या आरएफआईडी
आरएफआईडी या रेडियो फ्रीक्वेंसी इन्फ्रारेड डिवाइस दरअसल एक छोटी चिप या स्टीकर होता है जिसे आप अपने वाहन के आगे वाले शीशे पर चिपका सकते हैं. इसी स्टीकर या चिप को प्रचलित भाषा में फ़ास्ट टैग कहते हैं. आपका फ़ास्ट टैग लगा वाहन जब नेशनल हाईवे या किसी टोल प्लाजा से गुजरेगा तो वहां टोल पर लगे हाई डेफिनिशन कैमरा आपके आरएफआईडी या फ़ास्ट टैग को स्कैन कर लेंगे और आपका टोल भुगतान इलेक्ट्रॉनिक तरीके से हो जाएगा. यदि वह गाड़ी 24 घंटे के दौरान उस टोल को वापस क्रॉस करने के लिए आती है तो उससे कोई चार्ज नहीं लिया जाएगा, बल्कि उसके अकाउंट से अप-डाउन वाली पेमेंट कट होगी. अब नए वाहनों पर तो ये फ़ास्ट टैग लग कर ही आते हैं. पुराने वाहनों के लिए फ़ास्ट टैग को खरीदना और लगाना होगा.
कैसे बनेगा आरएफआईडी
आरएफआईडी किसी भी बैंक में बनवाया जा सकता है. एक दिसंबर से देशभर के टोल कैशलेस होने जा रहे हैं. ऐसे में अनेक टोल पर बैंक अधिकारी-कर्मचारी बैठा दिए गए हैं, ताकि वाहन चालक वहीं से अपनी इस प्रक्रिया को पूरा कर सकें. इसके लिए वाहन चालक को अपने वाहन की आरसी, आधार कार्ड, पैन कार्ड आदि की फोटोस्टेट कॉपी की आवश्यकता होती है.
रिचार्ज या एक्टिवेट करने के लिए
अपने मोबाइल पर MY FAST TAG एप्प डाउनलोड कर फ़ास्ट टैग को एप्प से लिंक करें. फिर UPI या बैंक एकाउंट के जरिये आप मोबाइल एप्प की मदद से फ़ास्ट टैग को रिचार्ज वगरह कर सकते हैं.
ये होगा एक दिसंबर से
जो भी गाड़ी टोल पर आएगी और आरएफआईडी टैग लगा होगा तो टोल पर लगा कैमरा उसे डिटेक्ट करेगा. गाड़ी ने फास्ट टैग लिया होगा तो उसके अकाउंट से टोल की राशि स्वयं कट जाएगी और सामने लगा ऑटोमैटिक बैरियर खुल जाएगा. इससे गाड़ी आसानी से टोल से गुजर जाएगी. वहीं, अगर आपकी गाड़ी में फ़ास्ट टैग नही है और आप टोल प्लाजा पर गलत लेन में गाड़ी ले जाते हैं तो पेनाल्टी के तहत आपको दोगुना टोल राशि का भुगतान करना पड़ सकता है.
फ़ास्ट टैग के फायदे -
नेशनल हाईवे ऑथोरिटी और टोल अधिकारियों का मानना है कि इस प्रक्रिया के लागू होने से न केवल डिजिटलाइजेशन होगा और कैशलेस प्रक्रिया आरंभ होगी, बल्कि वाहन चालकों का काफी समय भी बचेगा. विभिन्न टोल पर लगने वाली वाहनों की लंबी लाइनों से भी छुटकारा मिलेगा. इस प्रक्रिया में एक गाड़ी में 10 से 30 सेकंड का समय ही लगता है.