Nirmala Sitharaman Statement: हिंदी बोलने से डरती हैं निर्मला सीतारमण! कहा- छूट जाती है कंपकंपी, झिझक के साथ बोलती हूं
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Nirmala Sitharaman Statement: हिंदी बोलने से डरती हैं निर्मला सीतारमण! कहा- छूट जाती है कंपकंपी, झिझक के साथ बोलती हूं

Nirmala Sitharaman ने कहा कि वह तमिलनाडु में पैदा हुईं और हिंदी के खिलाफ आंदोलन के बीच कॉलेज में पढ़ीं तथा हिंदी के खिलाफ हिंसक विरोध भी देखा. 

Nirmala Sitharaman Statement: हिंदी बोलने से डरती हैं निर्मला सीतारमण! कहा- छूट जाती है कंपकंपी, झिझक के साथ बोलती हूं

Finance Minister Nirmala Sitharaman: केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को कहा कि हिंदी बोलने से उन्हें कंपकंपी छूट जाती है और वह झिझक के साथ भाषा बोलती हैं. एक कार्यक्रम में निर्मला सीतारमण ने एक पूर्व वक्ता की घोषणा का हवाला दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि उनका (सीतारमण का) संबोधन हिंदी में होगा. जिन परिस्थितियों के कारण यह स्थिति बनी उनका जिक्र करते हुए वित्त मंत्री ने कहा, हिंदी में लोगों को संबोधित करने से मुझे कंपकंपी होती है, 

'हिंदी के खिलाफ हिंसक विरोध भी देखा'

निर्मला सीतारमण ने कहा कि वह तमिलनाडु में पैदा हुईं और हिंदी के खिलाफ आंदोलन के बीच कॉलेज में पढ़ीं तथा हिंदी के खिलाफ हिंसक विरोध भी देखा. केंद्रीय कैबिनेट मंत्री ने दावा किया कि हिंदी या संस्कृत को दूसरी भाषा के रूप में चुनने वाले छात्रों, यहां तक कि मेधा सूची में आने वाले छात्रों को भी राज्य सरकार द्वारा उनकी पसंद की भाषा के कारण छात्रवृत्ति नहीं मिली.

उन्होंने कहा कि वयस्क होने के बाद एक व्यक्ति के लिए एक नई भाषा सीखना मुश्किल है, लेकिन वह अपने पति की मातृभाषा तेलुगु सीख सकीं, लेकिन पिछली घटनाओं के कारण हिंदी नहीं सीख पाईं. उन्होंने स्वीकार किया , मैं बेहद संकोच के साथ हिंदी बोलती हूं. उन्होंने माना कि इससे वह जिस प्रवाह से बोल सकती थीं वह प्रभावित होता है.

वित्त मंत्री ने हालांकि हिंदी में ही अपना भाषण दिया जो 35 मिनट से अधिक समय तक चला.निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत पहले ही दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में स्थान हासिल कर सकता था, लेकिन समाजवाद के आयातित दर्शन के चलते ऐसा नहीं हो सका जो केंद्रीकृत योजना पर निर्भर था. 

उन्होंने 1991 की तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा किए गए आर्थिक सुधारों को आधे-अधूरे सुधार करार दिया, जहां अर्थव्यवस्था सही तरीके से नहीं बल्कि आईएमएफ द्वारा लगाई गई सख्ती के अनुसार खोली गई थी. उन्होंने कहा, जब तक भाजपा के अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री पद ग्रहण नहीं किया तब तक कोई प्रगति नहीं हुई और बुनियादी ढांचे के निर्माण, सड़कों और मोबाइल टेलीफोन पर उनके द्वारा दिये गये ध्यान ने हमें बहुत मदद की. 

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