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नई दिल्ली: आपको याद होगा रामनवमी (Ramnavami) के दिन हमारे देश में शोभायात्राओं पर पत्थरबाजी हुई थी और भारत के कई शहरों में साम्प्रदायिक हिंसा (Communal Violence) भड़की थी. दिल्ली के JNU में भी कुछ छात्रों ने रामनवमी के मौके पर नॉनवेज खाने की जिद की और वहां भी मारपीट हो गई. अब इस पूरे घटनाक्रम के बाद एक Fake Narrative तैयार किया जा रहा है, जिसमें ये बताया जा रहा है कि भारत में मुसलमान खतरे (Muslim n India) में हैं.
आज अचानक सोशल मीडिया पर एक Hashtag ट्रेंड होने लगा, जिसमें लिखा था Indian Muslims Under Attack. इसके अलावा एक एक हैशटैग आज ट्रेंड कर रहा था, जिसमें लिखा था, Indian Muslim Genocide Alert. इन दोनों हैशटैग पर इस तरह के हजारों ट्वीट किए गए, जिनमें भारत के मुसलमानों पर अत्याचार होने की बातें लिखी थीं.
#DNA: सोशल मीडिया पर भारत विरोधी अंतर्राष्ट्रीय साज़िश!
@sudhirchaudhary pic.twitter.com/zWYxskPV1f
— Zee News (@ZeeNews) April 12, 2022
भारत की Intelligence Agencies ने जब ये पता लगाने की कोशिश की कि ये सारे सोशल मीडिया पोस्ट और Tweets आखिर आ कहां से रहे हैं तो पता चला कि ये सारे पोस्ट पाकिस्तान और अफगानिस्तान से लिखे जा रहे थे. आज हमने ऐसे ही कुछ Tweets आपके लिए निकाले हैं, जिनमें आप देख सकते हैं कि कराची और लाहौर में बैठे लोग कैसे इंटरनेट के ईंधन से भारत के मुसलमानों को भड़का रहे हैं.
Fake Narrative की ये दुकान कैसे चलाई जाती है, इसे आप इस पोस्टर से भी समझ सकते हैं. इसमें बताया गया है कि 12 अप्रैल यानी शाम पांच बजे से भारत के मुसलमानों के पक्ष में एक Hashtag ट्रेंड कराया जाएगा, जिसका नाम होगा, Indian Muslim Genocide Alert. इस Fake Narrative को लोगों के सामने इस तरह से रखा जाता है कि अगर आज आपने इस हैशटैग पर किए गए Tweets को पढ़ लिया तो आप भी इस झूठ पर आसानी से यकीन कर लेंगे कि भारत में मुसलमान सुरक्षित नहीं हैं.
इस Fake Narrative के पीछे Open Society Foundations का नाम सामने आ रहा है, जिसके मालिक George Soros हैं. George Soros एक अमेरिकी कारोबारी है और इनकी भारत सरकार के प्रति नफरत के बारे में पूरी दुनिया जानती है. George Soros ने वर्ष 2020 में मोदी सरकार को भारत के लिए खतरा बताया था. इसके अलावा George Soros की संस्था भारत में कई वामपंथी मीडिया संस्थानों को फंड देती है और इसके Omidyar Group के साथ भी उनके कई समझौते हो चुके हैं. अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि भारत को बदनाम करने के लिए ये लोग किस हद तक जा सकते हैं.
समझने वाली बात ये है कि भारत के खिलाफ सोशल मीडिया पर ये एजेंडा तब चलाया गया, जब रामनवमी पर देश के पांच राज्यों में शोभायात्रा और जुलूस निकालते समय साम्प्रदायिक हिंसा हुई थी. इन हिंसाओं में कई घरों और गाड़ियों को आग लगा दी गई थी. हमारे देश के कुछ लोग इन घटनाओं को ये कहते हुए जायज ठहरा रहे हैं कि ये शोभायात्राएं मुस्लिम इलाकों से निकाली जा रही थीं.
एक और बात, मध्य प्रदेश के खरगोन में रामनवमी के मौके पर जो साम्प्रदायिक हिंसा भड़की थी. उस मामले में पुलिस द्वारा आरोपियों के घर और दुकानों को बुलडोजर से गिराने पर भी हमारे देश में खूब राजनीति हो रही है. हमारे देश के लिबरल्स, बुद्धीजीवी और मीडिया का एक वर्ग ये कहते हुए इस कार्रवाई का विरोध कर रहा है कि सभी आरोपी मुस्लिम समुदाय से हैं इसलिए उनके घरों और दुकानों पर ये कार्रवाई हुई है. अब ये लोग इन आरोपियों के मानव अधिकारों की बात कर रहे हैं. खरगोन में अब तक 95 लोगों को हिंसा के आरोप में गिरफ्तार किया जा चुका है और अब तक इनकी कुल 47 सम्पतियों को बुलडोजर से गिराया गया है. पुलिस का कहना है कि जिन घरों और दुकानों पर बुलडोजर चलाया गया है, उनका निर्माण सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा करके किया गया था.
लेकिन सोचिए ये कितना दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे देश में साम्प्रदायिक हिंसा करने वाले आरोपियों के तो मानव अधिकारों की बात होती है. लेकिन इस हिंसा में जिन निर्दोष लोगों के घर जला दिए गए और जो लोग आगजनी की घटनाओं में घायल हो गए, उनके मानव अधिकारों की बात कोई नहीं कर रहा. इसलिए आज हमारा बड़ा सवाल ये है कि क्या इन लोगों के मानव अधिकार नहीं है और क्या अगर पीड़ित किसी धर्म विशेष से नहीं होगा तो उसके मानव अधिकारों की बात हमारे देश में नहीं होगी?
आज हमने ऐसे लोगों से बात की है, जो इन हिंसक घटनाओं के दौरान इन इलाकों में फंस गए थे और इस दौरान इन लोगों को गम्भीर चोटें आई थीं. सोचिए ऐसा क्यों है कि हमारे देश में आतंकवादियों के मानव अधिकारों को लेकर तो चिंता जताई जाती है लेकिन उनके हमलों में मारे गए लोगों की कोई बात नहीं करता.