'FIR न लिखवाओ वरना सालों साल केस चलेगा', मृतक कारोबारी की पत्नी से बोले अफसर
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'FIR न लिखवाओ वरना सालों साल केस चलेगा', मृतक कारोबारी की पत्नी से बोले अफसर

Manish Gupta Death Case: पीड़ित की पत्नी का आरोप है कि मनीष गुप्ता की मौत पुलिस की पिटाई की वजह से ही हुई है. मृतक गोरखपुर के एक होटल में दोस्तों के साथ रुका था. चेकिंग के लिए पुलिस होटल में पहुंची थी.

कारोबारी की मौत का मामला.

कानपुर: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के गोरखपुर (Gorakhpur) में हुई कानपुर के एक बिजनेसमैन की मौत का मामला (Kanpur Businessman Death Case) तूल पकड़ता जा रहा है. इस केस में 6 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड करके उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है. यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज (गुरुवार को) मृतक मनीष गुप्ता (Manish Gupta Death Case) के परिजनों से मुलाकात की. सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) भी आज कानपुर के दौरे पर हैं. वो भी पीड़ित परिवार से मुलाकात कर सकते हैं.

  1. अफसरों ने मृतक के परिजनों को समझाने की कोशिश की
  2. बार-बार FIR नहीं दर्ज कराने के लिए कहा गया
  3. मृतक के परिजनों को मिलेगा 10 लाख का मुआवजा

मुख्यमंत्री योगी ने किया सख्त कार्रवाई का वादा

सीएम योगी ने दागी पुलिसवालों पर कड़ी कार्रवाई करने का वादा किया है. गोरखपुर में कारोबारी की मौत के बाद सीएम योगी ने निर्देश जारी किया. अवैध गतिविधि में शामिल पुलिसवालों की लिस्ट तैयार होगी.

अखिलेश यादव ने यूपी सरकार पर साधा निशाना

अखिलेश यादव ने ज़ी न्यूज़ से कहा कि गोरखपुर की घटना बहुत गंभीर है. सरकार सिटिंग जज से मामले की जांच कराए. सरकार बताए दोषियों का एनकाउंटर कब होगा? क्या सरकार होटल के खिलाफ कार्रवाई करेगी? बुल्डोजर चलाने वाली सरकार अब क्या करेगी? मनीष गुप्ता के परिवार को इंसाफ मिले. परिवार के सदस्य को नौकरी दी जाए. परिवार को 2 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जाए.

वायरल हुआ अफसरों का वीडियो

बता दें कि इस वक्त सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें अधिकारी मृतक के परिजनों को समझाते हुए दिख रहे हैं कि वो मुकदमा नहीं दर्ज कराएं. ये वीडियो आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने ट्विटर पर पोस्ट किया. उन्होंने लिखा कि ये आदित्यनाथ सरकार के अधिकारी हैं. कह रहे हैं 'FIR न लिखवाओ वरना सालों साल केस चलेगा' SP महोदय खुद मान रहे हैं 'पुलिसवालों का पहले से कोई झगड़ा तो था नहीं' मतलब साफ है कि एक निर्दोष व्यक्ति की बिना किसी जुर्म के हत्या कर दी गई. तो FIR क्यों नही? न्याय कैसे मिलेगा?

वारदात वाले दिन क्या हुआ था?

जान लें कि गोरखपुर के रामगढ़ ताल थाना क्षेत्र में सोमवार रात होटल में चेकिंग के दौरान कानपुर के रहने वाले रियल एस्टेट कारोबारी मनीष गुप्ता की कथित तौर पर पुलिस की पिटाई से मौत हो गई थी. गोरखपुर के डीएम विजय किरन आनंद ने बुधवार को बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मृतक मनीष गुप्ता की पत्नी मीनाक्षी से मंगलवार रात को फोन पर बात की. राज्य सरकार ने पीड़ित परिवार को 10 लाख रुपये की मदद का आदेश दिया है.

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मृतक की पत्नी ने लगाए ये आरोप

उन्होंने बताया कि मीनाक्षी ने पुलिसकर्मियों पर मुकदमा दर्ज नहीं होने तक अपने पति का शव नहीं ले जाने की बात कही थी. हालांकि सीएम योगी आदित्यनाथ के आश्वासन के बाद परिजनों ने मनीष गुप्ता का अंतिम संस्कार कर दिया. मनीष की पत्नी मीनाक्षी ने पुलिस पर मारपीट का आरोप लगाते हुए कहा कि इसी वजह से उसके पति की मौत हुई है.

यूपी पुलिस ने भी अपने ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया, 'गोरखपुर की दुर्भाग्यपूर्ण घटना में, जिसमें एक नागरिक की मौत हो गई, 6 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है और उनके खिलाफ संबंधित धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई है. एडीजी/डीआईजी/एसएसपी गोरखपुर को जांच के बाद दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं.'

मृतक मनीष गुप्ता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि सिर पर गंभीर चोट लगने की वजह से उसकी जान गई. मनीष के दाएं हाथ पर भी डंडा मारने का निशान था.

इससे पहले अखिलेश यादव ने कहा था कि गोरखपुर में पुलिस की बर्बरता ने एक युवा व्यापारी की जान ले ली. ये बहुत ही दुखद और निंदनीय है. यूपी की बीजेपी सरकार ने एनकाउंटर की जिस हिंसक संस्कृति को जन्म दिया है, ये उसी का दुष्परिणाम है. आरोपियों पर हत्या का मुकदमा चले और यूपी को हिंसा में धकेलने वाले इस्तीफा दें.

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