कभी इस वैज्ञानिक को जाना पड़ा था जेल, अब मिलेगा पद्मभूषण; लाइफ पर बन रही है फिल्म
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कभी इस वैज्ञानिक को जाना पड़ा था जेल, अब मिलेगा पद्मभूषण; लाइफ पर बन रही है फिल्म

देश की 4 हस्तियों को पद्म विभूषण, 14 को पद्मभूषण और 94 को पद्मश्री अलंकरण से सम्मानित करने की घोषण की गई है.

नंबी नारायणन को बीते साल ही जासूसी के आरोपों से बरी किया गया है.
नंबी नारायणन को बीते साल ही जासूसी के आरोपों से बरी किया गया है.

नई दिल्ली: देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में शामिल पद्म पुरस्कारों के लिए चयनित नामों की घोषणा कर दी गई है. 4 हस्तियों को पद्म विभूषण, 14 को पद्मभूषण और 94 को पद्मश्री अलंकरण से सम्मानित किया जाएगा. इनमें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन भी शामिल हैं जिन्हें पद्म भूषण से नवाजा गया है. नंबी को बीते साल ही जासूसी के आरोपों से बरी किया गया है.

साल 1994 में नंबी नारायणन पर जासूसी के झूठे आरोप लगे थे और केरल पुलिस ने उनको गिरफ्तार कर लिया था. इसके बाद वैज्ञानिक को शारीरिक और मानसिक प्रताड़नाएं दी गईं. लेकिन सीबीआई जांच के बाद उन पर लगे आरोप गलत साबित हुए. पिछले साल ही 14 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने नारायणन को जासूसी के आरोपों से बरी कर दिया था.

पुरस्कार की घोषणा के बाद नंबी नारायणन ने कहा, ''बेशक मैं खुश हूं. जासूसी के मामले का शिकार होने के बाद मैं उस अर्थ में अधिक लोकप्रिय हो गया क्योंकि एक तरह से लोगों ने मेरे साथ सहानुभूति रखना शुरू कर दिया. यह पुरस्कार मुझे यह एहसास दिलाता है कि मेरे योगदान को मान्यता दी गई है.''

बायोपिक दिखेगी नंबी की जिंदगी
इस साल के अंत में रिलीज होने जा रही 'रॉकेट्री-द नंबी इफेक्ट' फिल्म भी महान वैज्ञानिक नंबी नारायणन की लाइफ पर आधारित है. इस फिल्म में एक्टर आर. माधवन नारायणन की भूमिका में नजर आएंगे. 'रॉकेट्री - द नंबी इफेक्ट' हिदी, अंग्रेजी और तमिल में रिलीज होगी.

नंबी नारायणन के बारे में नहीं जानना अपराध है
फिल्म के बारे में माधवन ने कहा, "यह फिल्म मेरे लिए जुनून बन गई है. तीन वर्ष पहले अनंत महादेवन ने नंबी नारायणन की कहानी सुनाई. मुझे लगा कि यह उस व्यक्ति की कहानी है, जिसके साथ अन्याय हुआ, उसे झूठे आरोपों में जेल भेजा गया था. इसके बाद मैंने इस पर लिखना शुरू कर दिया और मुझे इस स्क्रिप्ट को लिखने में सात महीने लगे. फिल्म को लेकर जब मैं उनसे मिला तो उन्होंने कभी भी अपनी उपलब्धियों के बारे में नहीं की लेकिन जब मैंने उनसे इस बारे में जानना चाहा तो मुझे अहसास हुआ कि मैं इस स्क्रिप्ट के साथ अन्याय कर रहा हूं क्योंकि मैंने फिल्म की स्क्रिप्ट में उनके केस के बारे में ही लिखा था. इसलिए जिस स्क्रिप्ट पर मैंने सात महीने लगाए थे, मैंने उसे फेंक दिया और मुझे अनंत महादेवन और अन्य राइटर्स के साथ मिलकर इस फिल्म की स्क्रिप्ट लिखने में डेढ़ साल लगे. मुझे यकीन है कि देश के 95 फीसदी लोगों को नंबी नारायणन के बारे में पता नहीं होगा, जो मुझे लगता है कि अपराध है और जो पांच फीसदी लोग उनके बारे में जानते हैं, वे उनकी पूरी कहानी नहीं जानते."

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