पूर्व उपराष्ट्रपति Hamid Ansari ने राष्ट्रवाद पर दिया ये विवादित बयान
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पूर्व उपराष्ट्रपति Hamid Ansari ने राष्ट्रवाद पर दिया ये विवादित बयान

देश के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी (Hamid Ansari) ने आक्रामक राष्ट्रवाद और धार्मिक कट्टरता को कोरोना से भी बड़ी बीमारी बताया है. हामिद अंसारी ने कहा कि कोरोना के आने से भी पहले ये दोनों बीमारियां देश में घुस चुकी थी.

फाइल फोटो

नई दिल्ली: देश के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी (Hamid Ansari) ने राष्ट्रवाद को कोरोना से भी बड़ी बीमारी बताया है. एक कार्यक्रम में बोलते हुए हामिद अंसारी ने कहा कि कोरोना के आने से पहले देश 'धार्मिक कट्टरता' और 'आक्रामक राष्ट्रवाद' जैसी महामारी का शिकार हो चुका है. 

  1. 'धार्मिक कट्टरता और आक्रामक राष्ट्रवाद  कोरोना से बड़ी बीमारी'
  2. मोदी सरकार पर हामिद अंसारी ने कसा तंज
  3. मौजूदा सरकार को स्वीकार नहीं करेंगे- फारूक अब्दुल्ला

'धार्मिक कट्टरता' और 'आक्रामक राष्ट्रवाद' बड़ी बीमारी- हामिद अंसारी
वे शुक्रवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर की नयी पुस्तक 'The Battle of Belonging' के डिजिटल विमोचन समारोह को संबोधित कर रहे थे. यूपीए सरकार में देश के 10 साल तक उपराष्ट्रपति रहे हामिद अंसारी ने कहा कि कोरोना वायरस (Coronavirus) संकट से पहले ही भारतीय समाज दो अन्य महामारियों- 'धार्मिक कट्टरता' और 'आक्रामक राष्ट्रवाद' (Nationalism) का शिकार हो चुका था. उन्होंने कहा कि इन दोनों के मुकाबले 'देशप्रेम' अधिक सकारात्मक अवधारणा है क्योंकि यह सैन्य और सांस्कृतिक रूप से रक्षात्मक है.

मोदी सरकार पर हामिद अंसारी ने कसा तंज
पूर्व उप राष्ट्रपति ने कहा कि आज देश ऐसे ‘प्रकट और अप्रकट’ विचारों एवं विचारधाराओं से खतरे में दिख रहा है जो उसको ‘हम और वो’ की काल्पनिक श्रेणी के आधार पर बांटने की कोशिश करती हैं. नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार पर तंज कसते हुए हामिद अंसारी ने कहा कि चार वर्षों की अल्प अवधि में भारत ने 'उदार राष्ट्रवाद' से 'सांस्कृतिक राष्ट्रवाद' तक की ऐसी नई राजनीतिक परिकल्पना का सफर तय कर लिया है. जो लोगों के दिमाग में मजबूती से घर कर गई है.

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मौजूदा सरकार को स्वीकार नहीं करेंगे- फारूक अब्दुल्ला
पुस्तक विमोचन समारोह में वर्चुअल शामिल होते हुए जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा, ‘1947 में हमारे पास मौका था कि हम पाकिस्तान के साथ चले जाते, लेकिन मेरे वालिद और अन्य लोगों ने यही सोचा था कि दो राष्ट्र का सिद्धांत हमारे लिए ठीक नहीं है. इसलिए हम यह देश को छोड़कर नहीं गए.’ फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि मौजूदा सरकार देश को जिस तरह से देखना चाहती है, उसे वह कभी स्वीकार नहीं करने वाले हैं.

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