हमारे समाज में कई ऐसे लोग हैं जो वंचित वर्ग से आते हैं और अपने परिश्रम के बल पर समाज में नाम रोशन करते हैं. ये भारत के असली हीरो, असली छुपे हुए रत्न हैं जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन कर रहे हैं.
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नई दिल्ली: समय गला-काट प्रतिस्पर्धा का है. हमने सफलता की कई प्रेरणादाई कहानियां पढ़ी हैं. हमारे समाज में कई ऐसे लोग हैं जो वंचित वर्ग से आते हैं और अपने परिश्रम के बल पर समाज में नाम रोशन करते हैं. ये भारत के असली हीरो, असली छुपे हुए रत्न हैं जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन कर रहे हैं. फिर चाहे ये हस्तियां राजनीति की हो या फिल्म इंडस्ट्री की हों. आज, हम उनकी सफलता का जश्न मनाते हैं और उनकी उपलब्धियों पर एक नजर डाल लेते हैं. ऐसी ही चार प्रेरणादायी कहानियों पर आइए डालते हैं एक सरसरी नजर:
1. नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम का उल्लेख किए बिना इस चर्चा की शुरुआत नहीं की जा सकती. गुजरात के मेहसाणा में एक गरीब घर में अपना बचपन गुजारने वाले पीएम मोदी का जीवन कठिनाई में बीता. गरीबी से लड़ते हुए उन्होंने बचपन से काम करना शुरू कर दिया और कभी हार नहीं मानी. उन्होंने काम करने के साथ-साथ अपनी पढ़ाई भी जारी रखी. परिवार की मदद करने के लिए अपने पिता की चाय की दुकान पर काम किया. वह बचपन से स्वामी विवेकानंद के विचारों से बहुत प्रभावित थे. 17 वर्ष की आयु में उन्होंने घर छोड़कर पूरे देश का भ्रमण करने का साहसिक निर्णय लिया. वह अहमदाबाद गए और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में शामिल हो गए. धीरे-धीरे उनका दायित्व बढ़ता गया. बाद में गुजरात के मुख्यमंत्री बने. हाल में लगातार दूसरी बार लोकसभा चुनाव जीतकर दूसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने हैं.
2. एमएस धोनी
पद्मश्री और पद्म भूषण से सम्मानित महेंद्र सिंह धोनी की प्रेरणादाई कहानी सभी के लिए बेंचमार्क है. धोनी रांची से हैं और उनके पिता MECON कंपनी में जूनियर मैनेजमेंट में कार्यरत थे. उनकी मां गृहिणी हैं. बचपन से ही धोनी का लगाव खेल में था. वह बैडमिंटन और फुटबॉल के बहुत अच्छे खिलाड़ी थे. जिला स्तर पर उनका भी चयन हुआ. परिवार की वित्तीय स्थिति अच्छी नहीं थी. 1999-2000 में बिहार में रणजी में धोनी ने डेब्यू किया. लगातार अच्छा प्रदर्शन किया. रणजी में तीन अर्धशतक और देवधरट्रॉफी 2002-03 में कुछ अर्धशतक लगाए. 2001-03 के बीच उन्होंने पश्चिम बंगाल के खड़गपुर स्टेशन पर टीटीई के तौर पर काम किया. लेकिन उन्होंने अपने सपने को जिंदा रखा. उन्हें नेशनल टीम में जगह मिली और फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. 2011 में भारत को अपनी कप्तानी में विश्वकप जिताया. टी-20 विश्वकप भी भारत ने धोनी की कप्तानी में जीता. आईपीएल में उन्होंने चेन्नई सुपर किंग्स को जीत दिलाई.
3. अक्षय कुमार
राजीव हरि ओम भाटिया उर्फ अक्षय कुमार का बैंकॉक से लेकर बॉलीवुड तक सफर अद्भुत रहा. अक्षय ने बैंकॉक में मार्शल आर्ट्स सीखने के लिए अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ दी थी लेकिन आर्थिक दिक्कत के चलते वापस घर आ गए. उन्होंने जीवनयापन के लिए कई तरह के काम किए. उन्होंने वेटर और शेफ के तौर पर काम किया और थाई भाषा सीखी. बाद में उन्होंने बांग्लादेश में छह माह तक सेल्समैन के रूप में काम किया. फिर भी उनकी माली हालत में सुधार नहीं हुआ. अक्षय दिल्ली लौट आए और ज्वैलरी ट्रेडर के तौर पर काम करने लगे. फिर वह मार्शल आर्ट्स ट्रेनर के तौर पर मुंबई चले गए. उन्होंने मॉडलिंग में करियर बनाया. धीरे-धीरे उनको प्रोजेक्ट मिलने लगे. बॉलीवुड के नामी-गिरामी एक प्रोड्यूसर की नजर अक्षय पर पड़ी. 'दीदार' मूवी उन्हें ऑफर की गई. आज वह बॉलीवुड के ए-कैटेगरी के सितारों में शुमार हैं.
4. नवाजुद्दीन सिद्दीकी
बॉलीवुड भी इस तरह की कई प्रेरणादाई स्टोरीज से भरा पड़ा है लेकिन नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने अपनी प्रतिभा और कठिन मेहनत के दम पर बॉलीवुड में जगह बनाई. वह उत्तर प्रदेश के छोटे शहर बुढाना से ताल्लुक रखते हैं. उनका बचपन गरीबी में बीता. वह उस क्षेत्र से आते हैं जहां पर पर बॉलीवुड को करियर के तौर पर नहीं देखा जाता. नवाजुद्दीन अपने लक्ष्य को पाने में सफल रहे. उन्होंने हरिद्वार यूनिवर्सिटी से स्नातक किया और बड़ौदा में केमिस्ट के तौर पर काम किया. बाद में वह दिल्ली आ गए और कई वर्षों तक वॉचमैन की नौकरी करते रहे. 1996 में उन्होंने एनएसडी में दाखिला लिया. फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा.
वह मुंबई पहुंच गए और आमिर खान की फिल्म 'सरफरोश' से बॉलीवुड में डेब्यू किया. उन्होंने कई फिल्मों में छोटे-मोटे रोल किए लेकिन अनुराग कश्यप की 2007 में आई फिल्म 'ब्लैकफ्राइडे' से उन्हें पहचान मिली. उन्होंने 'बदलापुर', 'किक', 'लंचबॉक्स' और 'मांझी- द माउंटेन मैन' जैसी कई यादगार फिल्मों में काम किया.
इस तरह की कई अन्य कहानियां हैं जो हर रोज हमारे आसपास गली-चौराहे पर उपजती हैं. याद कीजिए रणवीर सिंह की ब्लॉकबस्टर फिल्म गली बॉय? ये फिल्म इस तरह की कहानियों की एक बानगी है. जोया अख्तर द्वारा निर्देशित यह फिल्म मुंबई के झुग्गी-झोपड़ी वाले इलाके धारावी में रहने वाले रैपर के इर्द-गिर्द घूमती है. रणवीर ने फिल्म में मुराद अहमद का किरदार निभाया है. यह फिल्म मुंबई के रैपरों नेजी और डिवाइन की सच्ची घटना पर आधारित है. इसमें इनके उस संघर्ष को दिखाया गया है कि उनके आस-पास का माहौल और वंचित तबके की पृष्ठभूमि किस तरह उनको प्रभावित करती है लेकिन वे किस तरह अपने संघर्ष को सकारात्मक दिशा में मोड़कर रचनात्मक बनाते हुए म्यूजिक इंडस्ट्री में बड़ा मुकाम हासिल करते हैं.
गली बॉय एक ऐसी फिल्म है जिसे प्रेरणा हासिल करने के लिए आपको देखना चाहिए. इस कड़ी में आपके लिए खुशखबरी यह है कि आप आराम से अपने घर में इस खूबसूरत फिल्म को देख सकते हैं. अब आप पूछेंगे कि कैसे? बस ट्यून कीजिए ज़ी सिनेमा (Zee Cinema) और इस रविवार यानी 23 जून को दोपहर बजे 12 बजे इसका वर्ल्ड टीवी प्रीमियर देखिए. सो, कैलेंडर में इस तारीख को चिन्हित कर लीजिए. अपने परिवार के साथ इस मूवी का आनंद लीजिए और विश्वास कीजिए कि आप निराश नहीं होंगे.