इस आसान तकनीक का इस्तेमाल कर शख्स ने 10 गुना बढ़ा ली इनकम, अधिकारी भी हो गए फैन
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इस आसान तकनीक का इस्तेमाल कर शख्स ने 10 गुना बढ़ा ली इनकम, अधिकारी भी हो गए फैन

मध्य प्रदेश के मछली किसान चिंटू सिंह सिलावट को एक समय अपने खर्चों का प्रबंधन करना मुश्किल हो रहा था. वह लगभग 25,000 रुपये से 30,000 रुपये प्रति वर्ष या लगभग 2,500 रुपये प्रति माह कमा रहे थे. उनके लिए अपने घर का खर्च चलाना मुश्किल था और वह अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे थे. 

इस आसान तकनीक का इस्तेमाल कर शख्स ने 10 गुना बढ़ा ली इनकम, अधिकारी भी हो गए फैन

Village Man Increased His Income 10 Times: भारत में परंपरागत रूप से कृषि आय कम रही है, लेकिन आधुनिक समय के किसान और उद्यमी इसे क्रांतिकारी तरीकों और सरल प्रौद्योगिकी-संचालित शिक्षा के साथ बदल रहे हैं. व्यावसायिक प्रक्रियाओं का अनुकूलन लागत कम करने और उत्पादकता को अधिकतम करने में भी मदद करता है. संचालन को सुव्यवस्थित करने, इन्वेंट्री प्रबंधन में सुधार करने और अनावश्यक खर्चों को खत्म करने के भी कई तरीके हैं. और यही करके मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के जमुनिया गांव का एक छोटा किसान उद्यमी बना. 

इस तकनीक का किया इस्तेमाल

मध्य प्रदेश के मछली किसान चिंटू सिंह सिलावट को एक समय अपने खर्चों का प्रबंधन करना मुश्किल हो रहा था. वह लगभग 25,000 रुपये से 30,000 रुपये प्रति वर्ष या लगभग 2,500 रुपये प्रति माह कमा रहे थे. उनके लिए अपने घर का खर्च चलाना मुश्किल था और वह अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे थे. 

वह अपनी झील में मछली पालन कर रहे थे लेकिन उससे अधिक उत्पादन नहीं हो रहा था जिससे उसकी आय सीमित हो रही थी. सिलावट ने कहा कि 2020 से पहले अपने 3 एकड़ के खेत में एक साल मेहनत करने के बावजूद उन्हें सालाना करीब 25,000 से 30,000 रुपये ही आमदनी हो पाती थी. 

हालांकि, उन्हें मत्स्य विभाग से बायोफ्लॉक तकनीक और मध्य प्रदेश सरकार की 7 लाख रुपये की ऋण योजना के बारे में पता चला. इमें उन्हें 4.50 लाख रुपए की सब्सिडी भी मिली थी. उन्होंने इंटरनेट के माध्यम से बायोफ्लॉक तकनीक के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त की.  उन्होंने बायोफ्लॉक तकनीक का इस्तेमाल कर मछली पालन शुरू किया और फंगसियस और तिलापिया जैसी नस्लों की खेती शुरू की. 

चिंटू सिंह सिलावट ने साझा किया कि बायोफ्लॉक तकनीक अपनाने के बाद उनकी आय पारंपरिक खेती की तुलना में 10 गुना बढ़ गई है. वह अपने गांव के अन्य लोगों को भी इस तकनीक से मछली पालन का प्रशिक्षण दे रहे हैं. नरसिंहपुर कलेक्टर रिजू बाफना ने भी उनके खेत का दौरा किया और उनके काम की सराहना की. 

सिलावट ने बायोफ्लॉक तकनीक के बारे में जानकारी साझा करते हुए कहा कि इसके लिए ज्यादा जमीन की जरूरत नहीं है. इस विधि में कम जगह में गोल टंकियां बनाकर मछली पालन किया जाता है. इसमें मछली के मल को बायोफ्लोक बैक्टीरिया द्वारा प्रोटीन में परिवर्तित किया जाता है और इस प्रकार मछली द्वारा उस प्रोटीन का सेवन किया जाता है. 

इस प्रोटीन के सेवन से मछलियों की संख्या तेजी से बढ़ती है. किसान अपनी सुविधा के अनुसार छोटी या बड़ी टंकियां बनवा सकते हैं.सिलावट ने अपनी 2000 वर्ग फुट जमीन में 5 टैंक बनवा रखे हैं. इस टंकी से निकलने वाले पानी का उपयोग वह अपनी फसलों के लिए भी करते हैं. स प्रकार पोषक तत्वों से भरपूर पानी मिट्टी की उर्वरता को भी बढ़ाता है. 

चिंटू सिंह सिलावट ने बताया कि उत्पादन बढऩे के साथ अब वह बायोफ्लोक तकनीक से मछली पालन कर करीब 2.50 लाख रुपये प्रति वर्ष कमाते हैं. उन्होंने बैंक का कर्ज भी चुका दिया है. इसके साथ ही वह अपने पोल्ट्री फार्म से हर महीने 30 से 40 हजार रुपए की कमाई भी कर रहे हैं. 

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