‘Galwan Clash ने खोल दी थीं China की आंखें, PLA को समझ आ गया था कि India से मुकाबला आसान नहीं’
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‘Galwan Clash ने खोल दी थीं China की आंखें, PLA को समझ आ गया था कि India से मुकाबला आसान नहीं’

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने कहा कि पिछले साल गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प (Galwan Valley Clash) के बाद पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) को उसकी कमजोरियों के बारे में पता चला है और उसके बाद से चीन अपनी सेना में बदलाव करने में जुट गया है.

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: पिछले साल गलवान घाटी (Galwan Clash) और पूर्वी लद्दाख के दूसरे इलाकों में हुई सैन्य झड़प के बाद चीन (China) को समझ आ गया था कि उसकी सेना भारत (India) से मुकाबले के लिए तैयार नहीं है. चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत (Chief of Defence Staff Bipin Rawat) ने मंगलवार को एक इंटरव्यू के दौरान ये बात कही. उन्होंने कहा कि सैन्य झड़प के बाद चीनी सेना (Chinese Army) को महसूस हुआ है कि उसे अपनी ट्रेनिंग को और बेहतर करने की जरूरत है. 

  1. इंटरव्यू में जनरल बिपिन रावत ने बताया गलवान के बाद चीन का हाल
  2. पिछले साल हुई थी  गलवान घाटी हिंसा
  3. हिंसा में चीन को भी हुआ था भारी नुकसान
  4.  

PLA को पहाड़ी क्षेत्र का अनुभव नहीं

एएनआई को दिए इंटरव्यू में जनरल रावत (General Bipin Rawat) ने कहा कि चीन सेना मुख्य तौर पर छोटी अवधि के लिए तैयार थी और उनके पास हिमालय के पहाड़ी क्षेत्र में युद्ध का ज्यादा अनुभव नहीं है. लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर चीनी सेना की ताजा गतिविधियों के बारे में पूछने पर जनरल रावत ने कहा कि खासकर मई और जून 2020 में गलवान और दूसरे इलाकों की घटनाओं के बाद, भारत से लगती सीमा पर चीनी सैनिकों की तैनाती में बदलाव आया है. चीनी सेना महसूस हुआ है कि उसे बेहतर ट्रेनिंग और तैयारी की जरूरत है.

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सेना में बदलाव कर रहा China

सीडीएस रावत ने कहा कि पिछले साल गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प (Galwan Valley Clash) के बाद पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) को उसकी कमजोरियों के बारे में पता चला है और उसके बाद से चीन अपनी सेना में बदलाव करने में जुटा है. यह पूछे जाने पर कि सेना के लिए नॉर्दन फ्रंट प्राथमिकता है या वेस्टर्न? रावत ने कहा कि दोनों ही बराबर हैं. उन्होंने आगे कहा, ‘PLA के सैनिक मुख्य तौर पर सिविलियन स्ट्रीट से आते हैं. वे छोटी अवधि के लिए तैनात किए जाते हैं. उनके पास इस तरह के इलाकों में लड़ने का ज्यादा अनुभव नहीं है’.

‘Indian Soldiers हैं पारंगत’ 

CDS जनरल रावत ने कहा कि भारत को इस क्षेत्र में चीन की सभी गतिविधियों पर निगाह रखनी है और भारतीय सैनिक इस क्षेत्र में लड़ने में बहुत कुशल हैं. उन्होंने कहा, 'तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र एक बेहद कठिन क्षेत्र है. यह एक पहाड़ी क्षेत्र है. इसके लिए विशेष ट्रेनिंग की जरूरत पड़ती है, जिसमें हमारे सैनिक पारंगत हैं. क्योंकि हमने पहाड़ों में युद्ध की कई ट्रेनिंग ली है. हम पहाड़ों में ऑपरेट करते हैं और लगातार अपनी मौजूदगी रखते हैं’.

Northern Borders पर ज्यादा फोकस

उन्होंने आगे कहा कि हमें सतर्क रहना होगा और चीनी सेना की हर गतिविधि पर निगाह रखनी होगी. ऐसे करते हुए हमें LAC पर अपनी मौजूदगी को भी बरकरार रखना होगा. जनरल रावत ने कहा कि हमने इस तरह की तैनाती बरकरार रखी है कि नॉर्दर्न बॉर्डर्स पर डटे सैनिक वेस्टर्न बॉर्डर पर भी काम करने में सक्षम हों और वेस्टर्न बॉर्डर्स पर तैनात सैनिक नॉर्दर्न बॉर्डर्स पर भी काम कर सकें. फिलहाल हमने नॉर्दर्न बॉर्डर पर कुछ अतिरिक्त सैनिक तैनात किए हुए हैं क्योंकि चीनी सेना और ज्यादा सक्रिय हो रही है और यह हमारे लिए मुख्य खतरा है.

 

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