DNA: जिस बकरे के जाने से पूरा गांव सदमें में है...उसे करीब 15 साल पहले चामुंडा देवी के नाम से गांव में लाकर छोड़ा गया था. पिछले 15 सालों से गांव में पल रहा बकरा, गांव के लिए काफी स्पेशल था.
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Goat Antim Yatra: आपने गाजे-बाजे के साथ लोगों की शव यात्रा निकलते कई बार देखी और सुनी होगी, लेकिन क्या आपने कभी किसी बकरे की शव यात्रा देखी है. देखने और सुनने में ये थोड़ा अजीब जरूर लग रहा है, लेकिन ऐसा हुआ है अमरोहा के गजरौला थाना क्षेत्र के पाल गांव में...जहां एक बकरे की मौत से पूरा गांव सदमें में है...गांव वाले इस बकरे से प्यार करते थे...उसे पूजते थे...लेकिन तबीयत खराब होने की वजह से बकरा दुनिया को छोड़कर चला गया...इसके बाद गांववालों ने जो किया...वो अब चर्चा का विषय बना हुआ है....
जो सुबह शाम गांव में चहलकदमी करता था...जिसे देखते ही गांव वाले हाथ जोड़ लेते थे...उसकी अमरोहा के गजरौला थाना क्षेत्र के पाल गांव में अंतिम यात्रा निकली. किसी इंसान की नहीं बल्कि एक बकरे की अंतिम यात्रा है...जिसमें हर किसी की आंखें नम है...मौत के बाद गांववालों ने बकरे की अर्थी तैयार की, गुब्बारे लगाए, अर्थी पर फूल चढ़ाए....और उसके बाद गाजे बाजे के साथ बकरे की अंतिम यात्रा निकाली गई...
जिस बकरे के जाने से पूरा गांव सदमें में है...उसे करीब 15 साल पहले चामुंडा देवी के नाम से गांव में लाकर छोड़ा गया था. पिछले 15 सालों से गांव में पल रहा बकरा, गांव के लिए काफी स्पेशल था..दिन भर बकरा गांव में घूमता था और दिन ढलते ही चामुंडा मंदिर के सामने जाकर बैठ जाता था. जिसको लेकर गांव वाले भी इसे चामुंडा देवा का भक्त मानने लगे थे...इसलिए जब इसकी अंतिम यात्रा निकली तो मां के भजन चलाए गए...
कई दिनों से बकरा बीमार चल था, गांव वालों ने उसका इलाज भी कराया...लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था...तबीयत बिगड़ती गई और उसकी मौत हो गई. चामुंडा नाम के इस बकरे की मौत की खबर फैलते ही गांव में मातम पसर गया...जिसके बाद गांव वालों ने फैसला किया कि गाजे बाजे के साथ बकरे की अंतिम यात्रा निकालेंगे...हुआ भी ऐसा ही...जिसके बाद गंगा नदी के किनारे पूरे विधि-विधान के साथ बकरे का अंतिम संस्कार कर दिया गया.
ब्यूरो रिपोर्ट, ज़ी मीडिया