अब हमारे जवानों का कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे चीनी सैनिक, बारूदी सुरंग का भी नहीं होगा असर
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अब हमारे जवानों का कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे चीनी सैनिक, बारूदी सुरंग का भी नहीं होगा असर

पूर्वी लद्दाख (Ladakh) में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए भारतीय सेना नई बख्तरबंद गाड़ियों का परीक्षण कर रही है. पूर्वी लद्दाख के चुशूल, चुमुर जैसे इलाकों में पिछले एक महीने में सेना ने कई किस्म की गाड़ियों का परीक्षण किया है.

प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख (Ladakh) में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए भारतीय सेना नई बख्तरबंद गाड़ियों का परीक्षण कर रही है. पूर्वी लद्दाख के चुशूल, चुमुर जैसे इलाकों में पिछले एक महीने में सेना ने कई किस्म की गाड़ियों का परीक्षण किया है. इनके इस्तेमाल से सेना को जहां अपनी रफ्तार बढ़ाने में मदद मिलेगी वहीं चीनी गोलाबारी से सैनिकों को बचाया भी जा सकेगा.

लद्दाख में मोर्चे पर भारतीय सेना ने बड़े पैमाने पर टैंकों और सेना द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली आर्मर्ड पर्सनल कैरियर यानि APC को तैनात किया है. इस इलाके के खुले मैदानों में इन दोनों के इस्तेमाल से बड़ी सैनिक कार्रवाइयां की जा सकती हैं. लेकिन सेना इनके अलावा उस तरह की बख्तरबंद गाड़ियों का भी परीक्षण लद्दाख के मैदानों में कर रही है जिनमें सैनिकों को सुरक्षित रखा जा सके और रफ्तार से चला भी जा सके.

सूत्रों के मुताबिक दो निजी कंपनियों की बख्तरबंद गाड़ियों का परीक्षण इस समय लद्दाख में चल रहा है. ये गाड़ियां ट्रैक यानि टैंकों या एपीसी की तरह पट्टियों पर नहीं बल्कि पहियों पर चलने वाली हैं. लेकिन इन्हें मजबूत बख्तर से सुरक्षित किया गया है और नीचे से किसी बारूदी सुरंग का इनपर कोई असर नहीं होगा. ये लद्दाख में ठंडे मौसम में जब तापमान शून्य से 40 डिग्री नीचे चला जाएगा तब कितनी कारगर होंगी इसका परीक्षण किया जा रहा है. 

जानें, क्या है खासियत
- इनमें से एक WHEELD AMPHIBIOUS PLATFORM यानि WHAP है जिसे DRDOने TATA के साथ मिलकर बनाया है. 
- इसमें 10-12 तक सैनिक बैठ सकते हैं या इसे एम्बुलैंस के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है. 
- ये हर तरह के इलाके में चल सकती है और इसे नदियों को भी पार किया जा सकता है. 
- दूसरी तरह की गाड़ियों को गोलाबारी से सुरक्षित करने के लिए बख्तरबंद किया गया है और इसमें सैनिकों के फायर करने की जगह है.
- सूत्रों के मुताबिक इन गाड़ियों से सैनिकों की पेट्रोलिंग के अलावा लड़ाई के मैदान से घायल सैनिकों को निकालने और रसद पहुंचाने के लिए भी किया जा सकेगा.

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