दिल्ली: सीलिंग से राहत देने के लिए सरकार उठा रही यह कदम...
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दिल्ली: सीलिंग से राहत देने के लिए सरकार उठा रही यह कदम...

सीलिंग की समस्या के समाधान के लिये मंत्रालय द्वारा सुझाये गये संशोधन प्रस्ताव को डीडीए की होने वाली बैठक में मंजूरी के लिये रखा जायेगा. 

डीडीए की छह सदस्यीय अधिशासी परिषद की बैठक में कनवर्जन शुल्क और एफएआर तय किया जायेगा.(प्रतीकात्मक तस्वीर)

नई दिल्ली: केन्द्र सरकार ने दिल्ली में औद्योगिक एवं मिश्रित उपयोग वाली संपत्तियों पर लटक रही सीलिंग की तलवार से बचाने के लिये दिल्ली के मास्टर प्लान 2021 में आवश्यक संशोधन प्रस्तावों की सिफारिश दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को कर दी है. आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने आवासीय सह व्यवसायिक उपयोग वाली मिश्रित संपत्तियों वाले 2183 मार्गों और व्यवसायिक उपयोग वाली 355 सड़कों पर व्यवसायिक गतिविधियों के वैध संचालन की अनुमति देने के लिये मास्टर प्लान 2021 में संशोधन करने की डीडीए से सिफारिश की है.

आवास एवं शहरी मामलों के राज्यमंत्री हरदीप सिंह पुरी ने संवाददाता सम्मेलन में बताया कि उच्चतम न्यायालय के आदेश पर दिल्ली में चल रही सीलिंग की समस्या के समाधान के लिये मंत्रालय द्वारा सुझाये गये संशोधन प्रस्ताव को डीडीए की होने वाली बैठक में मंजूरी के लिये रखा जायेगा.

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डीडीए के अध्यक्ष 
डीडीए के अध्यक्ष और दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल की अध्यक्षता में प्राधिकरण की बैठक में व्यवसायिक संपत्तियों और मिश्रित उपयोग वाली संपत्तियों के फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) तथा कनवर्जन शुल्क की एकरूपता एवं पार्किंग और प्रदूषण मानकों के पालन से संबंधित संशोधन प्रस्तावों पर विचार किया जायेगा.  पुरी ने बताया कि मंत्रालय ने उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का अनुपालन करते हुये जनसुनवायी कर 741 सुझावों पर विस्तृत विचार विमर्श के बाद मास्टर प्लान में संशोधन प्रस्ताव का व्यवहारिक रास्ता निकाला है. 

मास्टर प्लान में संशोधन 
मंत्रालय ने गत तीन फरवरी को मास्टर प्लान में संशोधन प्रस्तावों पर जनता से सात फरवरी तक अपने सुझाव और आपत्तियां देने को कहा था.  इस दौरान जनता से 741 सुझाव मिलने के अलावा आरडब्ल्यूए और एनजीओ आदि से 210 मौखिक प्रतिवेदन भी मिले.  इनके आधार पर मंत्रालय ने सभी संबद्ध पक्षों से विस्तृत विचार विमर्श कर संशोधन की सिफारिश की है.

 उल्लेखनीय है कि आवासीय क्षेत्रों में मिश्रित उपयोग वाली संपत्तियों के आसपास पिछले 12 सालों में किये गये अनधिकृत निर्माण के खिलाफ उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त निगरानी समिति की देखरेख में दिसंबर 2017 में सीलिंग की कार्रवायी शुरु की गयी थी.  केन्द्र सरकार ने साल 2006 में दिल्ली के मास्टर प्लान 2021 में संशोधन कर राजधानी के विभिन्न इलाकों में 2183 गलियों और 355 सड़कों पर आवासीय संपत्तियों के मिश्रित उपयोग की इजाजत दी थी.  सितंबर 2006 में संशोधित मास्टर प्लान को सात फरवरी 2007 को अधिसूचित किया गया था. 

नियमों का उल्लंघन
बीते 12 सालों में इन संपत्तियों के व्यवसायिक इस्तेमाल के नियमों का उल्लंघन कर संपत्ति मालिकों द्वारा किये गये अनधिकृत निर्माण और अवैध उपयोग के कारण इन इलाकों में रह रहे लोगों की परेशानियों पर संज्ञान लेते हुये उच्चतम न्यायालय ने सीलिंग के आदेश पर अमल सुनिश्चित कराया है. 

पुरी ने बताया कि पिछले कुछ सालों में जनसंख्या वृद्धि और नियमों के अनुपालन में ढिलाई को देखते हुये यह संकट पैदा हुआ है.  इसके दूरगामी समाधान के लिये सुझाए गये संशोधन प्रस्तावों में आवासीय इलाकों में चल रहे ‘रेस्टोरेंट, पब और बार’ को व्यवसायिक इलाकों में स्थानांतरित करने की महत्वपूर्ण सिफारिश शामिल है. 

इसके अलावा आवासीय इलाकों में खुदरा दुकानों, कानूनी परामर्श, संपत्ति संबंधी सेवाओं और चार्टड अकांउटेंट आदि को कार्यालय खोलने के लिये संपत्ति मालिक से लिये जाने वाले कनवर्जन शुल्क में संशोधन कर इसे एकरूप बनाने की डीडीए को सिफारिश की गयी है.  कल डीडीए की छह सदस्यीय अधिशासी परिषद की बैठक में कनवर्जन शुल्क और एफएआर तय किया जायेगा.

पुरी ने मामले की गंभीरता और अनिवार्यता का हवाला देते हुये उम्मीद जतायी कि डीडीए कल की बैठक में संशोधन प्रस्तावों के मसौदे को आवश्यक रद्दोबदल के साथ मंजूरी प्रदान कर इन्हें अधिसूचित करने के लिये मंत्रालय के पास भेज देगा.  इसके बाद मंत्रालय मास्टर प्लान में संशोधन प्रस्तावों को अधिसूचित करने के लिये दिल्ली सरकार के पास भेजने से पहले इन्हें हलफनामे के रूप में उच्चतम न्यायालय के समक्ष पेश करेगा. 

इनपुट भाषा से भी 

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