महाराष्ट्र में जापानी भाषा क्यों सीख रहे हैं सरकारी स्कूल के छात्र? जानिये राज
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महाराष्ट्र में जापानी भाषा क्यों सीख रहे हैं सरकारी स्कूल के छात्र? जानिये राज

महाराष्ट्र में औरंगाबाद जिले के दूर-दराज के गदिवत गांव में पहुंची इंटरनेट सुविधा ने सरकारी स्कूल के छात्रों के सपनों को पंख लगा दिए हैं.

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

औरंगाबाद: महाराष्ट्र में औरंगाबाद (Aurangabad) जिले के दूर-दराज के गदिवत गांव में पहुंची इंटरनेट सुविधा ने सरकारी स्कूल के छात्रों के सपनों को पंख लगा दिए हैं. जिला परिषद के स्कूल में चौथी से आठवीं कक्षा तक के छात्र रोबोटिक्स और प्रौद्योगिकी में करियर बनाने के लिए जापानी भाषा सीखना चाहते थे. उनकी चाहत के बारे में जब जिले में रहने वाले भाषा विशेषज्ञ सुनील जोगदेव को जानकारी मिली तो उन्होंने उन्हें निशुल्क जापानी भाषा सिखानी शुरू कर दी. अब वे छात्र दूसरे बच्चों को जापानी भाषा सिखा रहे हैं.

  1. रोबोटिक्स और प्रौद्योगिकी में करियर बनाना चाहते हैं छात्र- छात्रा
  2. रोबोटिक्स विज्ञान को समझने के लिए सीख रहे हैं जापानी भाषा
  3. भाषा विशेषज्ञ सुनील जोगदेव निशुल्क दे रहे हैं प्रशिक्षण

स्कूल के शिक्षक दादासाहेब नवपुत ने बताया कि स्कूल प्रशासन ने पिछले साल सितंबर में एक विदेशी भाषा कार्यक्रम शुरू करने का फैसला किया था. इसके तहत चौथी से आठवीं कक्षा के छात्रों से अपनी पसंद की एक भाषा चुनने को कहा गया. हैरानी की बात थी कि अधिकांश छात्र- छात्राओं ने बताया कि वे रोबोटिक्स और प्रौद्योगिकी में करियर बनाना चाहते हैं. चूंकि इस विज्ञान में जापान सबसे आगे है. इसलिए वे जापानी भाषा सीखने चाहते हैं.

उनकी चाहत के बारे मे पता चलने के बावजूद स्कूल में जापानी भाषा का न तो कोई शिक्षक था और न ही जापानी भाषा सिखाने की पाठयक्रम सामग्री. फिर भी बच्चों की इच्छा को देखते हुए स्कूल प्रशासन ने इंटरनेट पर जापानी भाषा के अनुवाद वाले वीडियो इकट्ठे करके उन्हें जापानी सिखाना शुरू कर दी. 

औरंगाबाद में जिला परिषद के शिक्षा विस्तार अधिकारी रमेश ठाकुर ने बताया कि स्कूल में 350 से अधिक छात्र हैं, जिनमें से 70 जापानी भाषा सीख रहे हैं. चूंकि सभी छात्रों के पास ऑनलाइन कक्षाओं के लिए स्मार्ट फोन नहीं हैं. इसलिए स्कूल प्रशासन ने एक ‘विश्व मित्र’ पहल की शुरुआत की. जिसके तहत बच्चे ऑनलाइन कक्षाओं में जो भी सीखते हैं. उसे स्मार्टफोन न रखने वाले बाकी स्टूडेंट्स को सिखा देते हैं. उन्होंने कहा कि इस पहल का मकसद बच्चों को अंतरराष्ट्रीय स्तर की शिक्षा मुहैया कराना है.

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