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अहमदाबाद : गुजरात उच्च न्यायालय ने पटेल आरक्षण आंदोलन के दौरान हिंसा पर आज राज्य पुलिस की आलोचना करते हुए कहा कि उन्होंने लोगों पर अत्याचार कर कानून की सीमा लांघी। साथ ही सरकार से कहा कि शांति बहाली उच्च वरीयता में होनी चाहिए।
कार्यवाहक न्यायाधीश जयंत पटेल और न्यायमूर्ति एनवी अंजरिया की सदस्यता वाली एक पीठ ने एक जनहित याचिका स्वीकार करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह इस बारे में रिपोर्ट दे कि उसने दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की है।
शहर के बाशिंदे प्रकाश कपाड़िया द्वारा दायर जनहित याचिका में हालात पर काबू पाने के लिए राज्य सरकार को निर्देश देने और पुलिसकर्मियों के खिलाफ कदम उठाने की मांग की गई थी। इसमें यह दावा किया गया है कि ओबीसी कोटा के तहत आरक्षण के लिए आंदोलन कर रहे पटेल समुदाय के नेता की गिरफ्तारी से भड़की व्यापक हिंसा के बाद उन्होंने लोगों पर ज्यादती की।
अदालत ने तलब किए गए राज्य के गृह सचिव पीके तनेजा से कहा, ‘गुजरात में शांति बहाली को उच्च प्राथमिकता देनी चाहिए।’ राज्य सरकार ने दलील दी कि इसने दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का प्रस्ताव किया है। अदालत ने फिर राज्य को अदालत को यह रिपोर्ट करने को कहा है कि सुनवाई की अगली तारीख तीन सितंबर को उसकी क्या कार्रवाई करने की योजना है। उच्च न्यायालय ने कहा कि पुलिसकर्मियों को बचाया नहीं जाना चाहिए।
इससे पहले आज दिन में उच्च न्यायालय ने कहा कि गृह सचिव राज्य की कार्रवाई के बारे में स्पष्टीकरण देने के लिए अदालत में मौजूद रहें। याचिकाकर्ता ने सरकार द्वारा फौरन कार्रवाई किए जाने की मांग की है। अदालत के निर्देश के बाद गृहसचिव तनेजा ने पेश होकर सरकार का जवाब दाखिल कर हिंसा प्रभावित गुजरात में उनके द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में बताया।
राज्य सरकार की ओर से पेश होते हुए महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी ने बताया कि उच्च अधिकारियों की एक टीम राज्य में हालात का जायजा लेने और जरूरी आदेश देने के लिए रोजाना बैठक कर रही है जिसमें महानिदेशक और आईजी, डीजीपी :खुफिया:, डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) शामिल हैं।