Gyanvapi Case: जिला जज ने क्यों माना, सुनवाई में प्लेसस ऑफ वर्शिप एक्ट बाधक नहीं?
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Gyanvapi Case: जिला जज ने क्यों माना, सुनवाई में प्लेसस ऑफ वर्शिप एक्ट बाधक नहीं?

Gyanvapi Case Varanasi: सुनवाई के दौरान वाराणसी कोर्ट ने अंजुमन इंतेजामिया कमेटी की याचिका नामंजूर कर दिया. ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी विवाद मामले में फैसला सुनाते हुए जिला जज एके विश्वेश की एकल पीठ ने मामले को सुनवाई योग्य बताया. मामले की अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी.

Gyanvapi Case: जिला जज ने क्यों माना, सुनवाई में प्लेसस ऑफ वर्शिप एक्ट बाधक नहीं?

Gyanvapi Case: वाराणसी कोर्ट ने आज ज्ञानवापी मस्जिद केस में सुनवाई की और हिंदू पक्ष के हक में फैसला सुनाया. सुनवाई के दौरान वाराणसी कोर्ट ने अंजुमन इंतेजामिया कमेटी की याचिका नामंजूर कर दिया. ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी विवाद मामले में फैसला सुनाते हुए जिला जज एके विश्वेश की एकल पीठ ने मामले को सुनवाई योग्य बताया. मामले की अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी. 

साल 1993 में होती थी पूजा

याचिकाकर्ता सिर्फ ज्ञानवापी के अंदर पूजा अर्चना की इजाजत मांग रहे हैं. उनका कहना है कि साल 1993 तक वो वहां पर मां श्रृंगार गौरी देवी, भगवान गणेश, हनुमान जी की पूजा अर्चना करते रहे हैं. कोर्ट ने लिखित आदेश में कहा कि प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट को लेकर दी गई मुस्लिम पक्ष की दलील वाजिब नहीं है. ये साल 1993 के बाद हुआ, जब प्रशासन ने हर दिन पूजा अर्चना को बैन कर दिया और साल में सिर्फ एक ही दिन (वासंतिक नवरात्र के चौथे दिन) ही पूजा अर्चना की इजाजत देना शुरू किया. 

याचिकाकर्ताओं ने नहीं किया जमीन पर दावा

यानी 15 अगस्त 1947 (प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट की कट ऑफ डेट) के काफी बाद तक भी इस विवादित जगह पर वो अपने आराध्य देवों की पूजा अर्चना वहां करते रहें. कोर्ट ने कहा याचिकाकर्ताओं ने जमीन पर मालिकाना हक का कहीं कोई दावा नहीं किया है, ना ही उन्होंने इस जगह को मंदिर घोषित करने के लिए दावा किया है.

लिहाजा इन दलीलों के मद्देनजर प्लेसेस ऑफ वरशिप एक्ट इस केस की सुनवाई में बाधक नहीं है.

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