क्या आपको बुखार है या गले में खराश है. या फिर आपको खांसी की शिकायत है या सांस लेने में दिक्कत हो रही है ? अगर ऐसा है तो सतर्क हो जाइये. क्योंकि भारत में इन दिनों फ्लू यानी बुखार का ट्रिपल अटैक चल रहा है. जिससे हर दूसरा शख्स परेशान हैं.
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H3N2 influenza coronavirus viral fever: क्या आपको बुखार है या गले में खराश है. या फिर आपको खांसी की शिकायत है या सांस लेने में दिक्कत हो रही है ? अगर ऐसा है तो सतर्क हो जाइये. क्योंकि भारत में इन दिनों फ्लू यानी बुखार का ट्रिपल अटैक चल रहा है. जिससे हर दूसरा शख्स परेशान हैं. लेकिन डॉक्टर कंफ्यूज हैं कि आखिर इस वायरल बुखार की वजह क्या है. क्योंकि इन दिनों भारत में तीन तरह के वायरल बुखार चल रहे हैं.
बुखार का पहला प्रकार है - H3N2 वायरल बुखार
15 दिसंबर के बाद से अबतक बुखार के आधे केस इसी वायरल बुखार के दर्ज हो रहे हैं.
बच्चे और बुजुर्ग तेजी से इस वायरल की चपेट में आ रहे हैं.
H3N2 वायरस से देश में अब तक 6 लोगों की मौत हो गई है.
बुखार का दूसरा प्रकार - एडिनोवायरस बुखार
ये दिल्ली समेत पूरे उत्तर भारत में फैल चुका है. पश्चिम बंगाल में अभी तक इस वायरस के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं. इस बुखार के सबसे ज्यादा शिकार बच्चे हो रहे हैं.
बुखार का तीसरा प्रकार - कोरोना वायरस
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक 7 मार्च को देश में कोरोना के 326 नए मामले आए हैं. देश में 67 दिन बाद कोरोना के एक्टिव केस 3 हजार से ज्यादा हो गए हैं. केरल में सबसे ज्यादा 1474, कर्नाटक में 445 और महाराष्ट्र में 379 एक्टिव केस हैं.
फ्लू का ट्रिपल अटैक जिसमें तीनों वायरल बुखार के लक्षण एक जैसे
ये तीनों ही वायरल बुखार हैं. इसलिए इनके लक्षण भी लगभग एक जैसे ही हैं. इसलिए लोगों के साथ साथ डॉक्टर भी कंफ्यूज़ हैं कि आखिर ये बुखार कौन से वायरस की वजह से है. लेकिन टेस्ट करवाने वाले हर दस में से छह मरीजों के सैंपल H3N2 POSITIVE मिल रहे हैं. तीनों वायरस के कॉमन लक्षणों की बात करें तो तीनों ही वायरस सांस की नली को प्रभावित करते हैं जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है. तीनों ही वायरल फ्लू में मरीज खांसी से परेशान रहते हैं. तीनों ही वायरल फ्लू में बदन दर्द और मांसपेशियों में खिंचाव महसूस होता है. वहीं ठंड लगना, बुखार, उल्टी, गले में खराश, मांसपेशियों और शरीर में दर्द और पेट खराब होना भी कॉमन लक्षण हैं.
यानी फ्लू के इस ट्रिपल अटैक में सबसे खतरनाक है- H3N2 वायरस. जिससे अबतक देश में 6 लोगों की मौत की पुष्टि भी हो चुकी है. हालांकि H3N2 से मौत की वजह का पता लगाने के लिए और जांच की जरूरत है.
कोरोना के बाद H3N2 का डर
ICMR के मुताबिक 15 दिसंबर से बुखार के सभी मामलों में से आधे में H3N2 वायरस पाया गया है. अस्पताल में भर्ती मरीजों में से आधे H3N2 के शिकार है. कुल भर्ती मरीजों में से 92 % को बुखार, 86 % को खांसी और 27 % को सांस लेने में दिक्कत हुई. H3N2 के शिकार 10% मरीजों को ऑक्सीजन और 7% को ICU में भर्ती करने की जरुरत पड़ रही है.
डॉक्टरों की सलाह
वैसे तो हर साल इस मौसम में फ्लू फैलता है जो हफ्तेभर के अंदर सही हो जाता है. लेकिन अगर शरीर में इम्युनिटी कमजोर और बीपी शुगर जैसी बीमारियां पहले से हों तो फ्लू भी जानलेवा साबित हो सकता है. फ्लू से बचें और अगर फ्लू हो जाए तो घबराना नहीं है. बस डॉक्टर की सलाह से ही दवाइयां लें. हालांकि ऐसे में बिना लैब टेस्ट डॉक्टरों के लिए भी ये पता लगाना मुश्किल हो रहा है कि मरीज को फ्लू की वजह क्या है - कोरोना वायरस, h3N2 वायरस या एडिनो वायरस तो इस स्थिति में डॉक्टर की सलाह पर जांच करा लेनी चाहिए.
कैसे पहचानें?
देश में इस वक्त ये तीनों वायरल बुखार फैले हैं उनमें टेस्ट करवाने पर कोरोनावायरस, एडिनोवायरस और H3N2 तीनों ही पाए जा रहे हैं. वायरस की पहचान करना चाहते हों तो कोविड की तरह ही सैंपल देकर टेस्ट करवाया जा सकता है. इसके लिए सैंपल गले और नाक से लिये जाते हैं.
तो फिर H3N2 वायरल फीवर की पहचान कैसे करें. इस बारे में एक्सपर्ट्स कहते हैं कि अगर कोरोना टेस्ट निगेटिव है तो समझिये ये H3N2 वायरल है. इसके अलावा साधारण फ्लू जहां दो से तीन दिन में ठीक हो जाता है वहीं H3N2 लंबा समय ले रहा है. कभी कभी हफ्ता तो उससे भी ज्यादा.
H3N2 वायरस से बचना कैसे है?
H3N2 वायरस से बचाव के लिए ICMR ने जो उपाय बताए हैं, उनमें ज्यादातर वही हैं जो कोरोना महामारी के दौरान आपको बताए गए थे.
क्या करें-
फेस मास्क लगाएं.
साबुन या सेनिटाइजर से हाथ साफ करते रहें.
सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें.
छींकते वक्त मुंह-नाक ढंकें.
बुखार हो तो सिर्फ पैरासिटामोल लें.
क्या ना करें-
हैंडशेक या गले मिलने से बचें.
सार्वजनिक जगहों पर ना थूकें.
भीड़-भाड़ वाली जगह पर ना जाएं.
एंटी-बायोटिक दवाएं ना लें.
वायरल बुखार में एंटी-बायोटिक दवा का कोई रोल नहीं होता. अगर टेस्ट में वायरस के अलावा कोई बैक्टीरियल इंफेक्शन पाया जाता है तभी डॉक्टर की सलाह से एंटीबायोटिक दवाएं लें और दवा का कोर्स जरूर पूरा करें.
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