Diwali 2022: दिवाली में पटाखों को लेकर हर बार बहस छिड़ जाती है. इस बार दिल्ली सरकार ने ग्रीन पटाखों पर भी बैन कर दिया है. पटाखे फोड़ने से हवा पर कितना असर पड़ता है और इससे हवा कितनी दूषित होती है आइए जानते हैं.
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Firecrackers Ban In Diwali: दिवाली के आते ही पूरे देश में जश्न का मौहाल छा जाता है. भारत में दिवाली को बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है. इस त्योहार के आते ही जश्न-आतिशबाजी की तैयारी शुरू हो जाती है. आतिशबाजी से हुए प्रदूषण पर हर साल बहस छिड़ती है. सरकार हर साल पटाखों पर बैन लगाती है. इस बार तो दिल्ली सरकार ने पटाखों के साथ-साथ ग्रीन पटाखे भी बैन कर दिया है. कई लोग तो ये भी कहते हैं कि पटाखों के बिना दिवाली कैसे मनेगी. क्या वाकई पटाखे से निकलने वाला धुआं उतना जहरीला होता है जितना उसे लेकर शोर होता है? आइए इन सब सवालों का जवाब जानते हैं.
पटाखों का इतिहास है पुराना
भारत में पटाखों का इतिहास बहुत पुराना है. अर्थशास्त्र में एक एक ऐसे चूर्ण के बारे में बताया गया है जिसको अगर एक नालिका में भर दिया जाए तो वो विस्फोट कर सकता है. भारत में काफी पहले से पटाखे जलाए जाते थे, इस बारे में 'History of Fireworks in India between 1400 and 1900' में बताया गया है.
स्टडी में आया है सामने
भारत के आजाद होने पर भी पटाखे फोड़े गए थे, लेकिन आज दिवाली में भी इन्हें जलाना बैन है. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि एयर पॉल्यूशन होने से रोका जा सके. असल में खराब हवा को और खराब होने से बचाया जाता है. 2018 में यूनिवर्सिटी ऑफ मिनेसोटा और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फाइनेंस एंड पॉलिसी ने दिल्ली की खराब हवा पर पटाखों का क्या असर होता है इसपर एक स्टडी की थी. स्टडी में ये पाया गया कि दिल्ली में दिवाली के अगले दिन हर साल PM2.5 की मात्रा 40% तक बढ़ गई थी और दिवाली की शाम जब सबसे ज्यादा पटाखे फूटते हैं तब PM2.5 में 100% की बढ़ोतरी हुई थी.
घटती है उम्र
रिपोर्ट के अनुसार अगर हवा खराब हो तो उससे लोगों की उम्र घट जाती है, दिल्ली में लोगों की उम्र इसके कारण 9.7 साल घट रही है. हवा अच्छी है कि खराब इसके बारे में एयर क्वालिटी इंडेक्स से ही पता चलता है. AQI जब 0 से 50 के बीच होता है, उसे अच्छा माना जाता है, जबकि 401 से 500 के बीच होने पर हवा बहुत ज्यादा दूषित होती है. पिछले साल दिवाली के दिन AQI 462 पहुंच गया था जिसे गंभीर माना जाता है.
वायु के लिए कितने खतरनाक है पटाखे
पूरी दुनिया में लगभग 99 प्रतिशत लोग खराब हवा में सांस ले रहे हैं. पटाखे हवा को और खराब बना देते हैं, ये हवा में पॉल्यूटेंट्स को और बढ़ा देते हैं. 2016 में हुई एक रिसर्च में सामने आया है कि पटाखे हमारी सोच से भी ज्यादा खतरनाक हैं. इसमें पाया गया कि जितना प्रदूषण सांप की गोली जलाने पर होती है उतना प्रदूषण 2932 सिगरेट जलाने पर होता है. वहीं एक हंटर बम जलाने पर 1,316 सिगरेट के बराबर प्रदूषण होता है.
वायु प्रदूषण के ये भी हैं कारण
एक्सपर्ट मानते हैं कि वायु प्रदूषण कम करने के लिए सिर्फ पटाखों को दोष देना उचित नहीं है. पटाखे तो पॉल्यूशन करते हैं पर वायु प्रदूषण होने के कई और कारण जैसे कि ट्रांसपोर्ट, इंडस्ट्री, कंस्ट्रक्शन और थर्मल पावर प्लांट हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों को लेकर जारी की गाइडलाइन
2018 में सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों को लेकर एक गाइडलाइन जारी की थी जिसमें बताया था कि, ग्रीन पटाखे या ईको फ्रेंडली पटाखे ही जलाए जा सकते हैं. दिवाली के दिन रात 8 से 10 बजे तक पटाखे फोड़े जा सकते हैं, ये भी बताया था. जिन दुकानदारों के पास लाइसेंस है सिर्फ वहीं पटाखे बेच सकते हैं.
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