हरियाणा: नाबालिग से रेप की सजा होगी फांसी, विधानसभा में विधेयक पारित
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हरियाणा: नाबालिग से रेप की सजा होगी फांसी, विधानसभा में विधेयक पारित

12 साल तक की बच्चियों से बलात्कार के मामले में फांसी की सजा या न्यूनतम 14 साल सश्रम कैद की सजा होगी जिसे बढ़ाकर उम्रकैद किया जा सकता है. 

विधेयक में अन्य यौन अपराधों से जुड़े मौजूदा कानूनों को भी ज्यादा सख्त करने का प्रावधान किया गया है.(फाइल फोटो)

चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा में सर्वसम्मति से उस विधेयक को पारित किया गया जिसमें 12 वर्ष या उससे कम उम्र की बच्चियों से बलात्कार के दोषियों को फांसी देने की सजा का प्रावधान किया गया है. सदन को सूचित किया गया कि मध्यप्रदेश और राजस्थान के बाद हरियाणा तीसरा राज्य बन गया है जहां विधानसभा ने यौन अपराधों के दोषियों के लिए मौत की सजा के प्रावधान को स्वीकृति दी है. अपराध कानून( हरियाणा संशोधन) विधेयक, 2018 को संसदीय कार्य मंत्री राम बिलास शर्मा द्वारा सदन में पेश किया गया.

  1. बलात्कार के दोषियों को फांसी देने की सजा का प्रावधान किया गया 
  2. कांग्रेस के कुछ सदस्यों ने विधेयक के संबंध में कुछ और सुझाव सामने रखे
  3. कांग्रेस और इंडियन नेशनल लोकदल के सदस्यों ने भी अपना समर्थन दिया

इस विधेयक को बजट सत्र के अंतिम दिन पारित किया गया. विधेयक को सर्वसम्मति से पारित किया गया. कांग्रेस और इंडियन नेशनल लोकदल के सदस्यों ने भी अपना समर्थन दिया. कांग्रेस के कुछ सदस्यों ने विधेयक के संबंध में कुछ और सुझाव सामने रखे. वरिष्ठ नेता किरण चौधरी ने पीड़ितों की उम्र का विचार किए बिना बलात्कार के सभी दोषियों के लिए फांसी की सजा और कड़ी सजा के प्रावधानों का सुझाव दिया.

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दंड संहिता की धारा 376- ए के बाद धारा 376- एए को जोड़ा गया
विधेयक में कहा गया, “ दंड संहिता की धारा 376- ए के बाद धारा 376- एए को जोड़ा गया. ” धारा 376- एए के तहत 12 साल तक की बच्चियों से बलात्कार के मामले में फांसी की सजा या न्यूनतम 14 साल सश्रम कैद की सजा होगी जिसे बढ़ाकर उम्रकैद किया जा सकता है. दंड संहिता की धारा376- डी के बाद धारा376 - डीए को भी जोड़ा गया है. धारा376- डीए के तहत अगर12 साल तक की बच्ची से सामूहिक बलात्कार होता है तो समूह में शामिल प्रत्येक व्यक्ति को बलात्कार का दोषी माना जाएगा और उन्हें फांसी की सजा या न्यूनतम20 वर्ष की सश्रम कैद दी जाएगी लेकिन इसे उम्रकैद में बदला जा सकता है. साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है. 

यौन अपराधों से जुड़े मौजूदा कानून भी ज्यादा सख्त
विधेयक में अन्य यौन अपराधों से जुड़े मौजूदा कानूनों को भी ज्यादा सख्त करने का प्रावधान किया गया है. भारतीय दंड संहिता( आईपीसी) की धारा354 ( स्त्री का शील भंग करने के आशय से उसके खिलाफ हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) के तहत न्यूनतम सजा दो साल होगी( पहले न्यूनतम सजा एक वर्ष थी) लेकिन इसे सात साल के लिए बढ़ाया जा सकता है( पहले पांच साल तक बढ़ाया जा सकता था).

इसके अलावा आईपीसी की धारा354 डी( दो) के तहत स्टॉकिंग के दोषी को पहली बार दोष सिद्ध होने पर तीन साल तक की कैद और दूसरी बार या उसके बाद दोषी पाए जाने पर न्यूनतम तीन साल की कैद की सजा दी जाएगी लेकिन इसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है( पहले पांच साल तक बढ़ाने का प्रावधान था).

नए बदलावों में जुर्माने को पीड़िता को देने का प्रावधान 
नए बदलावों में दोषी पर अर्थदंड लगाने और इस जुर्माने को पीड़िता को देने का प्रावधान भी शामिल है. मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने सदन में अपने भाषण के दौरान राज्य में बलात्कार के हालिया मामलों पर आक्रोश जताया. उन्होंने कहा पहले भी यह मामले होते रहे हैं. उन्होंने कहा कि“ बलात्कार के लिए कड़ी सजा” की आवाजें सब तरफ से उठ रहीं थीं. उन्होंने कहा कि इस विधेयक के जरिए हम पहला कदम उठा रहे हैं.  इस विधेयक का मकसद कड़ा कानून बनाना है जो मजबूत निवारण के तौर पर काम करेगा. 

इनपुट भाषा से भी 

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