हाईकोर्ट के आदेश के बाद हरियाणा सरकार ने 4 संसदीय सचिवों को पद से हटाया
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हाईकोर्ट के आदेश के बाद हरियाणा सरकार ने 4 संसदीय सचिवों को पद से हटाया

सीएम खट्टर बोले- हरियाणा में विधायकों को संसदीय सचिव के पद पर नियुक्त करने का कानून बना हुआ है. लेकिन कोर्ट ने इसे गलत करार दिया है.

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने 4 संसदीय सचिवों को पद से हटाया, बोले- दिल्ली की स्थिति अलग थी  (फोटोः एएनआई)

नई दिल्लीः लाभ के पद के मामले में दिल्ली विधानसभा के 20 विधायकों की सदस्यता निरस्त किए जाने के एक दिन हरियाणा सरकार ने राज्य के चार विधायकों को संसदीय सचिव के पद से हटा दिया है. जी हां दिल्ली के बाद अब अन्यों राज्यों से भी इस तरह के मामले सामने आने लगे हैं. दिल्ली की तरह हरियाणा की खट्टर सरकार ने भी अपने चार विधायकों संसदीय सचिव बनाया था. लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद सीएम खट्टर ने तुरंत इन संसदीय सचिवों को इनके पद से हटा दिया. हालांकि खट्टर इस मामले को दिल्ली के मामले से अलग मानते हैं. 

  1. हरियाणा सरकार ने 4 विधायकों को संसदीय सचिव पद से हटाया 
  2. पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने नियुक्तियों को माना असंवैधानिक
  3. याचिकाकर्ता ने कहा, इन विधायकों की रद्द होनी चाहिए सदस्यता

मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि, यह मामला किसी भी तरह से दिल्ली जैसा नहीं है, दोनों जगहों की नियुक्ति को एक तरह से नहीं देखा जाना चाहिए. हरियाणा में विधायकों को संसदीय सचिव के पद पर नियुक्त करने का कानून बना हुआ है. लेकिन कोर्ट ने इसे गलत करार दिया है. इसके बाद हमने चार विधायकों को इससे पदमुक्त कर दिया है.'

 

दरअसल पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के वकील जेएस भट्टी ने हरियाणा की खट्टर सरकार द्वारा संसदीय सचिव बनाए जाने के मामले में हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. कोर्ट ने फैसला दिया कि यह कानूनी तौर पर सही नहीं है. फैसला आते ही सीएम मनोहर लाल खट्टर ने चारों विधायकों को पद से हटा दिया. बता दें कि मनोहर लाल खट्टर सरकार ने चार बीजेपी विधायकों डा. कमल गुप्ता, सीमा त्रिखा, बख्शीश सिंह विर्क और श्याम सिंह राणा को मुख्‍य संसदीय सचिव (सीपीएस) बनाया गया था. बाद में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने इनकी नियुक्ति पर सवाल उठाया था अौर इसे गलत करार दिया था.

संसदीय सचिव के मामले अलग कैसे? 
इस मामले को लेकर याचिका दायर करनेवाले जे एस भट्टी ने कहा कि 'मुख्य संसदीय सचिव का पद पूरी तरह असंवैधानिक है. हाईकोर्ट ने संज्ञान में लिया और इसपर अपना फैसला दिया है. दिल्ली और हरियाणा भारत के ही राज्य हैं, ऐसे में दोनों राज्यों में एक जैसे पद के लिए अलग से कानून कैसे हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि हरियाणा के इन चार भाजपा विधायकों की विधानसभा की सदस्‍यता भी खारिज होनी चाहिए. इसी कारण मैंने याचिका दायर की है.

राजस्थान में भी संसदीय सचिव 
राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार में फिलहाल 10 संसदीय सचिव हैं. यहां की सरकार ने संसदीय सचिवों को राज्य मंत्री का दर्जा दिया. सरकार ने यहां साल 2017 में राजस्थान विधानसभा में बिल पास कर संसदीय सचिवों को संवैधानिक वैधता दी गई. बाद में मामले को राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी गई, जहां केस अभी पेंडिंग है.

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