सीएम खट्टर बोले- हरियाणा में विधायकों को संसदीय सचिव के पद पर नियुक्त करने का कानून बना हुआ है. लेकिन कोर्ट ने इसे गलत करार दिया है.
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नई दिल्लीः लाभ के पद के मामले में दिल्ली विधानसभा के 20 विधायकों की सदस्यता निरस्त किए जाने के एक दिन हरियाणा सरकार ने राज्य के चार विधायकों को संसदीय सचिव के पद से हटा दिया है. जी हां दिल्ली के बाद अब अन्यों राज्यों से भी इस तरह के मामले सामने आने लगे हैं. दिल्ली की तरह हरियाणा की खट्टर सरकार ने भी अपने चार विधायकों संसदीय सचिव बनाया था. लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद सीएम खट्टर ने तुरंत इन संसदीय सचिवों को इनके पद से हटा दिया. हालांकि खट्टर इस मामले को दिल्ली के मामले से अलग मानते हैं.
मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि, यह मामला किसी भी तरह से दिल्ली जैसा नहीं है, दोनों जगहों की नियुक्ति को एक तरह से नहीं देखा जाना चाहिए. हरियाणा में विधायकों को संसदीय सचिव के पद पर नियुक्त करने का कानून बना हुआ है. लेकिन कोर्ट ने इसे गलत करार दिया है. इसके बाद हमने चार विधायकों को इससे पदमुक्त कर दिया है.'
There is a difference in situation between Delhi & Haryana. We already have a law in place, but Court said this is not correct so we have removed them (4 BJP Haryana MLAs as Parliamentary secretaries): Haryana CM ML Khattar pic.twitter.com/fTR4dQfGHe
— ANI (@ANI) January 22, 2018
दरअसल पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के वकील जेएस भट्टी ने हरियाणा की खट्टर सरकार द्वारा संसदीय सचिव बनाए जाने के मामले में हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. कोर्ट ने फैसला दिया कि यह कानूनी तौर पर सही नहीं है. फैसला आते ही सीएम मनोहर लाल खट्टर ने चारों विधायकों को पद से हटा दिया. बता दें कि मनोहर लाल खट्टर सरकार ने चार बीजेपी विधायकों डा. कमल गुप्ता, सीमा त्रिखा, बख्शीश सिंह विर्क और श्याम सिंह राणा को मुख्य संसदीय सचिव (सीपीएस) बनाया गया था. बाद में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने इनकी नियुक्ति पर सवाल उठाया था अौर इसे गलत करार दिया था.
संसदीय सचिव के मामले अलग कैसे?
इस मामले को लेकर याचिका दायर करनेवाले जे एस भट्टी ने कहा कि 'मुख्य संसदीय सचिव का पद पूरी तरह असंवैधानिक है. हाईकोर्ट ने संज्ञान में लिया और इसपर अपना फैसला दिया है. दिल्ली और हरियाणा भारत के ही राज्य हैं, ऐसे में दोनों राज्यों में एक जैसे पद के लिए अलग से कानून कैसे हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि हरियाणा के इन चार भाजपा विधायकों की विधानसभा की सदस्यता भी खारिज होनी चाहिए. इसी कारण मैंने याचिका दायर की है.
राजस्थान में भी संसदीय सचिव
राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार में फिलहाल 10 संसदीय सचिव हैं. यहां की सरकार ने संसदीय सचिवों को राज्य मंत्री का दर्जा दिया. सरकार ने यहां साल 2017 में राजस्थान विधानसभा में बिल पास कर संसदीय सचिवों को संवैधानिक वैधता दी गई. बाद में मामले को राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी गई, जहां केस अभी पेंडिंग है.