Haryana Assembly Election 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव का बिगुल बज गया है और चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद भारतीय जनता (BJP) ने जीत का दावा किया है, लेकिन बीजेपी के लिए ये इतना आसान नहीं होगा. हरियाणा चुनाव में भाजपा के सामने कई चुनौतियां हैं.
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Haryana Vidhan Sabha Chunav: जम्मू-कश्मीर के साथ ही हरियाणा में भी विधानसभा चुनाव का बिगुल बज गया है. मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में हरियाणा विधानसभा चुनाव की तारीखों का भी ऐलान किया. हरियाणा में एक ही चरण में विधान चुनाव के लिए मतदान होगा, जिसमें एक अक्टूबर को सभी 90 विधानसभा सीटों पर वोट डाले जाएंगे. हरियाणा में सभी सीटों के लिए 5 सितंबर से नामांकन प्रक्रिया शुरू होगी और विधानसभा चुनाव के नतीजे 4 अक्टूबर को आएंगे. विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद बीजेपी ने जीत का दावा किया है. बीजेपी नेता अनिल विज ने कहा कि उनकी पार्टी पूरी तैयारी के साथ विधानसभा चुनाव में उतरेगी, लेकिन बीजेपी के लिए ये इतना आसान नहीं होगा.
बीजेपी को कांग्रेस की कड़ी चुनौती
भारतीय जनता पार्टी (BJP) हरियाणा में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के इरादे से चुनावी मैदान में उतरी है, जबकि कांग्रेस 10 साल बाद सत्ता में वापसी की आस लेकर चुनाव लड़ रही है. कांग्रेस पार्टी पिछले विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन से उत्साहित है और बीजेपी को कड़ी टक्कर दे सकती है. 2014 के विधानसभा चुनाव में सिर्फ 15 सीटों पर जीत दर्ज करने वाली कांग्रेस 2019 में 31 सीटों पर पहुंच गई थी. वहीं, 2014 के लोकसभा चुनाव में एक पर जीत मिली थी और 2019 में खाता भी नहीं खुला था, लेकिन इस बार कांग्रेस ने 5 सीटों पर जीत दर्ज की है.
बीजेपी के लिए पिछले चुनाव मुश्किल भरे रहे हैं. 2014 विधानसभा चुनाव में 47 सीट जीतकर बहुमत हासिल करने वाली भाजपा 2019 में 40 सीट ही जीत पाई थी और सरकार बनाने के लिए जेजेपी का सहारा लेना पड़ा था. लेकिन, अब वो गठबंधन भी टूट गया है. लोकसभा चुनाव की बात करे तो 2014 में 7 और 2019 में सभी 10 सीटें जीतने वाली पार्टी इस बार सिर्फ 5 सीटों पर ही कब्जा कर पाई.
बीजेपी के लिए जातीय समीकरण सबसे बड़ी चुनौती
2014 के विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद बीजेपी ने चौंकाते हुए गैर जाट मनोहर लाल खट्टर को सीएम बनाया था. पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बीजेपी के लिए जातीय समीकरण सबसे बड़ी चुनौती के चेहरे पर चुनाव लड़ा था, लेकिन पार्टी बहुमत से दूर रह गई थी. इस बार लोकसभा चुनाव से ठीक पहले पार्टी ने खट्टर को केंद्र की राजनीति में मौका दिया और उनकी जगह एक बार फिर गैर जाट नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया. मुख्यमंत्री बदलने के बाद भी सामाजिक समीकरण में सुधार नहीं हुआ है और जाट समाज के साथ ही इस बार पार्टी को ब्राह्मण और दलित समुदाय के वोट को लेकर सशंकित है.
एक बार फिर जाट बनाम गैर जाट की चुनावी लड़ाई
हरियाणा में हमेशा से जाट वोटर्स का दबदबा रहा है और जाट बनाम गैर जाट का समीकरण हावी रहा है. भारतीय जनता पार्टी (BJP) एक बार फिर सीएम नायब सिंह सैनी को चेहरा बनाकर चुनावी मैदान में उतरी है, जो गैर जाट समुदाय से आते हैं. वहीं, कांग्रेस ने किसी को मुख्यमंत्री का उम्मीदवार नहीं बनाया है, लेकिन भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा के फ्रंट फुट पर रहने की संभावना है. ऐसे में एक बार फिर चुनाव जाट बनाम गैर जाट की समीकरण पर हो सकता है.
किसान आंदोलन भी बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती
2019 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) फुल कॉन्फिडेंस के साथ उतरी थी, क्योंकि एक तो 2014 के विधानसभा चुनाव में 47 सीटों पर कब्जा किया था और दूसरी कुछ महीने पहले लोकसभा चुनाव में सभी 10 सीटें अपने नाम की थी. लेकिन, इस बार हालात बिल्कुल अलग हैं और ऊपर से किसानों का विरोध भी बीजेपी पर भारी पड़ सकता है. साल 2019 के विधानसभा चुनावों में किसानों का विरोध नहीं था, लेकिन चुनाव के बाद 2020 में शुरू हुआ किसान आंदोलन 1 साल से ज्यादा चला और किसान अभी भी नाराज चल रहे हैं.
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