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नई दिल्ली: सावन का महीना भले ही खत्म हो गया हो लेकिन सावन के झूलों की चर्चा पूरे साल होती है. साहित्यकारों और कवियों (Poets) ने इस विषय पर जो कुछ भी लिखा है उसके इतर झूला झूलने का संबंध आपकी सेहत से भी जुड़ा है. झूला झूलने से जुड़े फायदों (Benefits of Swinging) की बात करें तो इससे आप रिलैक्स हो जाते हैं. आपका मूड बेहतर हो जाता है. जानकारों का मानना है कि झूले की पेंग बढ़ाने के दौरान आपके मन की चिताएं उसी हवा में काफूर हो जाती हैं.
सावन का जादू हो या तीज त्योहारों पर पड़ने वाले झूले. इन्हें एक बार देखने वाला ताउम्र उस नजारे को नहीं भूलता. सावन की बहार अपने संग भावनाओं में सराबोर कई कहानियां भी साथ लाती हैं. काले मेघ देखते ही मोर, पंख फैलाकर खुशी जताता है. बारिश की बूंदें वातावरण में सोंधी खुशबू बिखेर देती हैं. महिलाएं झूला झूलते हुए कजरी का आनंद लेती हैं. 'सावन' की बेला के आते ही पशु-पक्षी ही नहीं प्रकृति भी खुशी से झूम उठती है. बच्चे भी इस दौरान अपने घरों के आस-पास पड़े झूलों में झूलने के लिए लाइन लगाकर खड़े रहते हैं.
शहरों में झूला झूलने का चलन कम हुआ तो इसके शौकीन लोग और महिलाएं सरकारी पार्क में झूलने लगे. जिन लोगों को बचपन से ही झूला झूलने में दिलचस्पी रही है वो आज के जमाने में दशहरे के मेले के दौरान लगने वाले झूलों को झूलने का मौका नहीं छोड़ते. दरअसल झूला झूलने (Swinging) में सिर्फ मजा ही नहीं आता, बल्कि ऐसा करने के तनाव कम होने के साथ आप रिलैक्स भी हो जाते हैं.
खुद के लिए खाली समय नहीं मिलता यानी जीवन में व्यस्तता बढ़ी तो लाइफ कोच कहते हैं कि मंजिल तक पहुंचने के रास्ते में जो थकान होती है, वो वहां पहुंचते ही काफूर हो जाती है. यानी झूला झूलने से मूड को रिफ्रेश किया जा सकता है. इस प्रक्रिया से बॉडी में हैप्पी हार्मोन्स रिलीज होते हैं जो मूड को बेहतर बनाने में मदद करते हैं.
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झूला झूलने से बॉडी की एक्सरसाइज होती है. झूला झूलने के दौरान आप आगे और पीछे की ओर जाते हैं. इससे आपके पूरे शरीर की एक्सरसाइज़ होती है. मसल्स को एक्टिव रखने में भी इसका बड़ा योगदान है. झूला झूलने के दौरान बॉडी हवा में आगे-पीछे मूव करती है. इस दौरान सभी बॉडी पार्ट्स और मसल्स काफी एक्टिव हो जाती हैं. झूला झूलने से बच्चों में फोकस करने की क्षमता बढ़ती है और बच्चा बैलेंस करना भी सीखता है.
झूला झूलने से मन में खुशी का एहसास होता है. उदास होने पर झूला झूलने से उदासी कम होती है और स्ट्रेस लेवल कम होता है. स्ट्रेस नहीं होता है तो आपकी अवेयरनेस बढ़ती है. इस दौरान बॉडी जॉइंट्स में मौजूद रिसेप्टर्स एक्टिव हो जाते हैं. झूला झूलते समय आपका शरीर एक साथ कई मोर्चे पर काम करता है. इसलिये ये एक्टिविटी आपका कॉन्फिडेंस लेवल बढ़ाने में भी कारगर है.
(नोट: इस लेख में दी गई जानकारी और सूचना सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. ज़ी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है.)