Urban Heat Island Effect: दिन में बहुत गर्मी है लेकिन रात के किसी पहर भी सुकून क्‍यों नहीं मिल रहा?
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Urban Heat Island Effect: दिन में बहुत गर्मी है लेकिन रात के किसी पहर भी सुकून क्‍यों नहीं मिल रहा?

Heatwave in India: बढ़ते तापमान और गर्मी के लिहाज से देखें तो ये लगातार तीसरा ऐसा साल है जब हीटवेव (Heatwave) यानी तपिश लगातार 10 दिन से अधिक रही है. जबकि आमतौर पर ये अवधि 4-10 दिन की होती है.

Urban Heat Island Effect: दिन में बहुत गर्मी है लेकिन रात के किसी पहर भी सुकून क्‍यों नहीं मिल रहा?

Rising Temperature in india: गर्मी ने सारे रिकॉर्ड ध्‍वस्‍त कर दिए हैं. दिल्‍ली में अब तक के इतिहास में सर्वाधिक 49.9 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया है. इसके कारण बिजली और पानी की पूर्ति का संकट पैदा हो गया है. आलम ये है कि दिल्‍ली में जल मंत्री आतिशी ने मंगलवार को कहा कि वो दिन दूर नहीं जब पाइप से कार धोने या टैंक से पानी ओवरफ्लो होने की स्थिति में चालान भी काटा जा सकता है.  भीषण गर्मी के चलते बिजली की मांग बढ़ गई है और कई हिस्सों में बिजली और पानी की कमी पैदा हो गई है. केंद्रीय जल आयोग के अनुसार कि भारत के 150 प्रमुख जलाशयों में पानी का भंडारण पिछले सप्ताह उनके कुल भंडारण का केवल 24 प्रतिशत रह गया, जिससे कई राज्यों में पानी की कमी बढ़ गई और जलविद्युत उत्पादन पर असर हुआ है.

आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने मई के उत्तरार्ध के दौरान पश्चिमी विक्षोभ की अनुपस्थिति को उत्तर पश्चिम और मध्य भारत में लू की स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराया. पश्चिमी विक्षोभ भूमध्य सागर के ऊपर बनने वाली अतिरिक्त ट्रॉपिकल मौसम प्रणालियां हैं और पश्चिम से पूर्व की ओर बढ़ती हैं. मौसम विज्ञानियों का कहना है कि गुरुवार को भारत के उत्तर-पश्चिम हिस्सों में एक नये पश्चिमी विक्षोभ की संभावना है, जिससे वीकेंड में क्षेत्र में छिटपुट बारिश हो सकती है और थोड़ी राहत मिल सकती है. ये तो बात हुई मौसम की दशाओं के कारण होने वाले परिवर्तनों की.

10 दिन से अधिक दिनों की हीटवेव
बढ़ते तापमान और गर्मी के लिहाज से देखें तो ये लगातार तीसरा ऐसा साल है जब हीटवेव (Heatwave) यानी तपिश लगातार 10 दिन से अधिक रही है. जबकि आमतौर पर ये अवधि 4-10 दिन की होती है. तापमान की अवधि के बढ़ने का कारण क्‍लाइमेंट चेंज है और इसी वजह से ह्यूमिडिटी भी बढ़ी है. इस संदर्भ में सेंटर फॉर साइंस एंड एन्‍वायरमेंट (CSE) की एक रिपोर्ट कहती है कि हवा में नमी के कारण पसीना बेहद तेजी से सूख रहा है लिहाजा वास्‍तविकता की तुलना में गर्मी ज्‍यादा महसूस हो रही है. इसके लिए सिर्फ यही कारण जिम्‍मेदार नहीं हैं बल्कि जमीन के इस्‍तेमाल और शहरी बुनावट में बदलाव भी इसके प्रमुख कारणों में शुमार है.

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शहरों में सटी हुई घनी बिल्डिंग्‍स, पक्‍की सड़कें, शीशे, स्‍टील, कंक्रीट, एसी जैसी चीजों के कारण दिन में पैदा हुई गर्मी रात में पूरी तरह रिलीज नहीं हो पाती. उसका असर ये होता है कि शहरों में तापमान 24 घंटे लगातार ऊंचा बना रहता है. इसको Urban Heat Island Effect कहते हैं. कहने का आशय ये है कि जहां इमारतों के आसपास हरियाली है तो वहां थोड़ा राहत मिलती भी है लेकिन जहां सिर्फ कंक्रीट के जंगल हैं वहां किसी भी पल गर्मी से राहत नहीं. वहां फंसी गर्मी के रिलीज होने का कोई रास्‍ता नहीं है.  

 

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दिल्‍ली, कोलकाता, चेन्‍नई, मुंबई जैसे प्रमुख शहरों का पिछले 20 वर्षों का अनुभव कहता है कि हवा-सतह का तापमान और सापेक्षिक आर्दृता, शहरों में घनी होती बसावट, कंक्रीट के जंगल, हरियाली का अभाव इस तरह की परिस्थितियों के लिए जिम्‍मेदार है.

हीट एक्‍शन प्‍लान
सीएसई की एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्‍ली, कोलकाता, चेन्‍नई, मुंबई जैसे प्रमुख शहरों का पिछले 20 वर्षों का अनुभव कहता है कि हवा-सतह का तापमान और सापेक्षिक आर्दृता, शहरों में घनी होती बसावट, कंक्रीट के जंगल, हरियाली का अभाव इस तरह की परिस्थितियों के लिए जिम्‍मेदार है. इस भयावह संकट से निपटने के लिए 20 से अधिक राज्‍यों ने एनडीएमए के साथ मिलकर एक हीट एक्‍शन प्‍लान बनाया है लेकिन वो अभी बहुत प्रभावी नहीं है. इस मामले में विशेषज्ञों का कहना है कि यदि कंक्रीट के जंजाल से मुक्ति पानी है तो इनके बीच हरित पट्टियों और जल निकायों पर फोकस करते हुए ध्‍यान देना चाहिए.

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