पिछले आंदोलन से सबक लेते हुए पुणे प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं. पुणे को छावनी में तब्दील कर दिया गया है.
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पुणे : मराठा आरक्षण की मांग को लेकर मराठा क्रांति मोर्चा ने 9 अगस्त को महाराष्ट्र बंद का आह्वान किया है. आज मराठा आंदोलन के दो साल पूरे हो रहे हैं. आंदोलन की दूसरी वर्षगांठ पर मराठा संगठनों ने बंद का ऐलान किया है. मराठा संगठनों ने इससे पहले जुलाई में भी बंद का आयोजन किया था. इस दौरान कई स्थानों पर हिंसक प्रदर्शन हुए थे. यह आंदोलन कई दिनों तक चला और सबसे ज्यादा सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान पुणे में हुआ था. मराठा समाज सरकारी नौकरियों और शिक्षा के क्षेत्र में 16 फीसदी आरक्षण की मांग को लेकर बीते 2 साल से आंदोलन कर रहा है.
पिछले आंदोलन से सबक लेते हुए पुणे प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं. पुणे को छावनी में तब्दील कर दिया गया है. पुणे के पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) ने बताया कि आरक्षण आंदोलन के देखते हुए इलाके में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. पुणे में 2200 पुलिसकर्मी, 900 होमगार्ड, एसआरपीएफ की 3 टुकड़ी, आरएएफ की 1 टुकड़ी तथा 20 दंगारोधी दस्ते तैनात किए गए हैं.
महाराष्ट्र में मराठा समुदाय के लोग काफी लंबे समय से नौकरियों में आरक्षण की मांग कर रहे हैं. हालांकि मराठा समुदाय में सभी लोगों से शांतिपूर्वक तरीके से बंद रखने की अपील की है. मराठा नेताओं ने कहा कि मराठा समाज हिंसा में विश्वास नहीं रखता है और कोई भी आदमी अपनी मांग रखने के दौरान हिंसा का प्रयोग नहीं करे.
Delhi: 20 cows dead after being hit by a train travelling from Holambi Kalan to Narela, railway track being cleared.
— ANI (@ANI) 8 अगस्त 2018
बीते 23 जुलाई औरंगाबाद से शुरू हुई आरक्षण की मांग एक हिंसक आंदोलन में बदल गई. आंदोलन के दौरान एक युवक ने नहर में कूद कर आत्महत्या कर ली थी. इसके बाद औरंगाबाद, कोल्हापुर, पुणे, नवी मुंबई, मुंबई समेत राज्य के कई जिलों में जमकर आगजनी और पथराव की घटनाएं हुईं. इस हिंसा में कई लोगों की मौत हुई थी.
कोर्ट ने हिंसा से बचने की अपील की
सामाजिक संगठनों के साथ-साथ मुंबई हाईकोर्ट ने भी मराठा समुदाय से हिंसा का सहारा नहीं लेने की अपील की है. कोर्ट ने यह भी कहा कि आरक्षण की मांग के लेकर आत्महत्या का रास्ता भी न अपनाएं. जस्टिस रंजीत मोरे और जस्टिस अनुजा प्रभुदेसाई की पीठ ने कहा कि समुदाय को इस बात को अवश्य याद रखना चाहिए कि हाईकोर्ट ने हालात का संज्ञान लिया है. कोर्ट ने राज्य के पिछड़ा वर्ग आयोग को भी निर्देश दिया कि आयोग मराठा समुदाय की सामाजिक-आर्थिक स्थिति का अध्य्यन कर राज्य सरकार को अपनी सिफारिश सौंपे. कोर्ट ने ये बातें मराठा आरक्षण आंदोलन के मसले पर सुनवाई के दौरान कहीं.
मराठा क्रांति मोर्चा के नेता विनोद पाटील इस मुद्दे पर एक जनहित याचिका हाईकोर्ट में दाखिल की थी. पहले तो इस पर सुनवाई 14 अगस्त को होनी थीं, लेकिन आंदोलन को देखते हुए यह सुनवाई 7 अगस्त को की गई.
मुख्यमंत्री ने की प्रधानमंत्री से मुलाकात
इस मुद्दे पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दिल्ली आकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की. इस मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री ने मराठा समुदाय से उनकी मांगें जल्द ही स्वीकार करने का आश्वासन दिया था, लेकिन फडणवीस के आश्वासन के बाद भी मराठा समुदाय ने अपना आंदोलन वापस नहीं लिया.