हिमाचल में बहती है बदलाव की बयार, पिछले 32 सालों में सत्ता के दहलीज पर दोबारा नहीं पहुंचा एक ही दल
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हिमाचल में बहती है बदलाव की बयार, पिछले 32 सालों में सत्ता के दहलीज पर दोबारा नहीं पहुंचा एक ही दल

1985 से लेकर अभी तक जितने विधानसभा चुनाव हुए हैं सभी के परिणाम ऐसे ही रहे कि एक बार कांग्रेस जीती तो अगली बार बीजेपी.

पिछले 32 साल का इतिहास है कि हिमाचल की सत्ता में मौजूदा सरकार कभी भी रिपीट नहीं हो सकी (प्रतीकात्मक तस्वीर)

शिमला: हिमाचल प्रदेश देश का ऐसा राज्य है जिसकी जनता में बदलाव की बहार बहती है. यह हम नहीं कह रहे बल्कि पिछले कई तीन दशकों से ज्यादा का चुनावी इतिहास खुद बताता है. देवभूमि के नाम से फेमस हिमाचल प्रदेश में 1985 के बाद हुए सभी चुनावों में सत्तारूढ़ दल बेदखल ही हुआ है किसी की दोबारा वापसी नहीं हुई है. पिछले 32 साल का इतिहास है कि हिमाचल की सत्ता पर आसीन मौजूदा सरकार कभी भी रिपीट नहीं हो सकी है.

  1. हिमाचल विधानसभा का गठन 1962 में हुआ था, पहले पंजाब का हिस्सा था.
  2. हिमाचल में 12 बार विधानसभा चुनाव हुए, जिनमें 8 बार कांग्रेस जीती.
  3. वीरभद्र सिंह 6 बार और प्रेम कुमार धूमल दो बार राज्य की सत्ता संभाल चुके हैं.

1985 से लेकर अभी तक जितने विधानसभा चुनाव हुए हैं सभी के परिणाम ऐसे ही रहे कि एक बार कांग्रेस जीती तो अगली बार बीजेपी. यानि लगातार दो बार किसी भी दल ने सत्ता हासिल नहीं की. यहां आपको यह भी बता दें कि हिमाचल विधानसभा का गठन 1962 में हुआ था, इससे पहले यह पंजाब राज्य का हिस्सा हुआ करता था. हिमाचल में 12 बार विधानसभा चुनाव हुए जिनमें से 8 बार कांग्रेस, 3 बार बीजेपी और 1 बार जनता पार्टी सत्ता के सिंहासन पर काबिज हुई.

आपको बता दें कि 1985 के चुनावों में कांग्रेस को जीत मिली थी और वीरभद्र सिंह मुख्यमंत्री बने थे. उसके बाद जब 1990 में विधानसभा चुनाव हुए तो हिमाचल की जनता ने सत्ता बीजेपी के हाथों में दे दी और शांता कुमार राज्य के अगले मुख्यमंत्री बने. तीन साल बाद 1993 में जब विधानसभा चुनाव हुए तो बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा और कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई. पांच साल बाद 1998 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा और बीजेपी की सत्ता में वापसी हुई और प्रेम कुमार धूमल मुख्यमंत्री बने.

2003 में विधानसभा चुनाव हुए तो बीजेपी को कांग्रेस ने शिकस्त देते हुए सत्ता में वापसी की. इसी तरह 2007 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सत्ता से बेदखल होना पड़ा और बीजेपी की वापसी हुई. हिमाचल ने 2012 में फिर अपने इतिहास को दोहराया जिसका परिणाम यह हुआ कि कांग्रेस की सत्ता में फिर वापसी हुई और बीजेपी सत्ता से बाहर हो गई.

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