कोरोना के इलाज के लिये भारतीय शोधकर्ताओं ने हिमालय क्षेत्र में पाये जाने वाले पौधे के फूल को कारगर बताया है. बुरांश नाम के पौधे के फूल से बनने वाले अर्क से कोविड-19 संक्रमण को रोकने में मदद मिल सकती है.
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मंडीः पिछले करीब दो वर्षों से कोरोना महामारी से पूरा विश्व जूझ रहा है. जब लगता है कि कोरोना का असर कम हो रहा है. सरकार और जनता चैन की सांस लेने लगती हैं, तभी कोरोना का नया वेरिएंट सामने आ जाता है. ऐसा नहीं है कि कोरोना संक्रमण को रोकने के लिये कोई इलाज नहीं खोजा गया. विश्वभर में कोरोना से बचाव के लिये कई तरह की वैक्सीन मौजूद हैं. हालांकि, वैक्सीनेशन के बाद भी कई लोग संक्रमित हो रहे हैं. ऐसे में गैर वैक्सीन दवाओं की भी खोज की जा रही है. इसी कड़ी में भारतीय शोधकर्ताओं ने हिमालयी क्षेत्र में पाये जाने वाले पौधे बुरांश के फूल से कोविड-19 का इलाज हो सकने का दावा किया है.
फूल में मिला फाइटोकेमिकल्स
आईआईटी मंडी और इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नॉलजी के शोधकर्ताओं ने बुरांश के पौधे पर अध्ययन किया था. शोध में पौधे की फूल की पंखुड़ियों में फाइटोकेमिकल्स होने का पता चला. उनका कहना है कि फाइटोकेमिकल्स से कोविड-19 का इलाज किया जा सकता है. बुरांश में काफी मात्रा में एंटीवायरल तत्व पाये जाते हैं. शोध के दौरान पत्तियों को गर्म पानी में डाला गया, तो इसके अर्क में क्विनिक एसिड और डेरिवेटिव काफी मात्रा में पाए गए.
फूल के अर्क से संक्रमण को रोकने में मिलेगी मदद
इन पत्तियों से बने अर्क की खुराक से कोविड संक्रमण को रोकने में मदद मिल सकती है. आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ बेसिक साइंस के एसोसिएट प्रोफेसर श्याम कुमार मसकापल्ली का कहना है कि मानव शरीर में कोरोना संक्रमण के खतरे को रोकने के लिये दुनियाभर में शोध किया जा रहा है. एक तरफ जहां कारगर वैक्सीन, नेजल स्प्रे व अन्य दवाओं को इजाद किया जा रहा है. वहीं, प्राकृतिक चिक्तिसा पद्धति से भी कोरोना का इलाज खोजा रहा है. दवाओं में केमिकल का इस्तेमाल होता है. यह वायरस को शरीर में प्रवेश करने से रोकती है या फिर वायरस के प्रभाव को कम कर देती है.
हिमालय के अन्य पौधों पर भी हो रहा शोध
उन्होंने बताया कि पौधों से मिलने वाले पदार्थ फाइटोकेमिकल्स को बहुत भरोसेमंद माना जाता है. ऐसा इनके प्राकृतिक और कम टॉक्सिक होने की वजह से है. हिमालय में पाये जाने वाले पेड़-पौधों व जड़ी-बूटियों पर और शोध किया जा रहा है. इनसे काम के मॉलीक्यूल्स की तलाश कर रहे हैं. बता दें कि हिमालयी क्षेत्र में रहने वाले स्थानीय लोग बुरांश का इस्तेमाल काफी मात्रा में करते हैं. ये लोग इनमें लगने वाले फूल के अर्क से जूस आदि बनाते हैं, जो पीने में तो स्वादिष्ट होता ही है, स्वास्थ्य के लिये भी काफी फायदेमंद माना जाता है.