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नई दिल्लीः आज यानी एक फरवरी को भारत का आम बजट पेश होगा. इसलिए आज हम आपको इस बजट के लिए तैयार करेंगे. और भारत में बजट के इतिहास की ऐसी जानकारियां देंगे, जो आपको आज तक पता नहीं होंगी. लेकिन उससे पहले हम उस आर्थिक सर्वे को डिकोड करेंगे, जो हर साल बजट से एक दिन पहले पेश किया जाता है. इस सर्वे से आपके लिए तीन बड़े शुभ समाचार हैं. पहला शुभ समाचार ये है कि 32 वर्षों के बाद भारत की अर्थव्यवस्था ने ऐतिहासिक और शानदार प्रदर्शन किया है.
आर्थिक सर्वे के मुताबिक़ वित्त वर्ष 2021-22 में भारत की अनुमानित GDP ग्रोथ रेट 9.2 प्रतिशत है. और इस लिहाज़ से भारत पूरी दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन गया है. यानी हमने बड़े-बड़े देशों को पीछे छोड़ दिया है. मौजूदा वित्त वर्ष में अमेरिका की GDP ग्रोथ रेट 5.2 प्रतिशत, चीन की 5.6 प्रतिशत, जापान की 3.2 प्रतिशत, जर्मनी की 4.6 प्रतिशत और ब्रिटेन की GDP ग्रोथ रेट 5 प्रतिशत रहने का अनुमान है. जबकि भारत इन देशों से काफ़ी आगे है. और आने वाले वित्त वर्ष में भी भारत इन विकसित देशों की अर्थव्यवस्था से काफ़ी ज्यादा मजबूत स्थिति में हो सकता है. आर्थिक सर्वे के मुताबिक़ आने वाले वित्त वर्ष यानी 2022-23 में भारत की GDP ग्रोथ 8 से 8.5 प्रतिशत के बीच रह सकती है.
दुनिया में इस समय जो 10 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं, उनमें Volume यानी साइज़ के मामले में भारत की अर्थव्यवस्था छठे स्थान पर आती है. ये लगभग 225 लाख करोड़ रुपये की है. इनमें पहले स्थान पर अमेरिका है, जिसकी अर्थव्यवस्था एक हज़ार 720 लाख करोड़ रुपये की है. चीन की एक हज़ार 264 लाख करोड़ रुपये, जापान की 382 लाख करोड़ रुपये, जर्मनी की 317 लाख करोड़ रुपये और ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था 235 लाख करोड़ रुपये की है. यानी इन आंकड़ों के हिसाब से भारत, जापान, जर्मनी और ब्रिटेन की Economy से ज्यादा पीछे नहीं हैं. और भारत सरकार के अनुमान के मुताबिक, अगले 10 वर्षों में भारत इन देशों को आसानी से पीछे छोड़ कर, अमेरिका और चीन के बाद दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा.
यहां दो बातें आपको नोट करनी हैं. पहली ये कि, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आठ साल के कार्यकाल में पहली बार भारत की GDP ग्रोथ रेट ऐतिहासिक स्तर पर पहुंची है. यानी ये प्रधानमंत्री मोदी की एक बड़ी उपलब्धि है. और दूसरी बात, भारत की अर्थव्यवस्था ने ये शानदार प्रदर्शन 32 वर्षों के बाद किया है. इससे पहले वित्त वर्ष 1988-1989 में भारत की अर्थव्यवस्था 9.6 प्रतिशत की विकास दर से बढ़ी थी.
दूसरा शुभ समाचार आपके लिए ये है कि, जिस Omicron वैरिएंट ने कोरोना को कमज़ोर कर दिया है. ठीक उसी तरह भारत सरकार की मौजूदा नीतियां देश की अर्थव्यवस्था को कोरोना के संकट से धीरे धीरे बाहर ले आई हैं. और इसे आप कुछ बातों से समझ सकते हैं. इस साल भारत के कृषि क्षेत्र में ज़बरदस्त ग्रोथ हुई है. 2018-19 में इस क्षेत्र की विकास दर 2.6 प्रतिशत थी, जो अब 3.9 प्रतिशत हो गई है. इसके अलावा औद्योगिक क्षेत्र की ग्रोथ रेट लगभग 11 प्रतिशत है और Service Sector में ये आंकड़ा 8.2 प्रतिशत है. कुल मिलाकर कोरोना ने भारत की अर्थव्यवस्था को जो नुकसान पहुंचाया था, उससे लगभग हर क्षेत्र अब बाहर आ गया है.
तीसरा शुभ समाचार ये है कि.. अगले चार साल आपको Infrastructure के क्षेत्र में बहुत बड़े बदलाव दिख सकते हैं. यानी अस्पताल, सड़कें, हाइवे और दूसरे Infrastructure पर खर्च बढ़ा दिया जाएगा. भारत को Five Trillion Dollar Economy बनाने के लिए वर्ष 2025 तक Infrastructure पर 1.4 Trillion Dollar यानी 100 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए जाएंगे. और हो सकता है कि 2025 तक भारत एक Five Trillion Dollar Economy बन जाए. ये Point इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत को One Trillion Dollar Economy बनने में आज़ादी के बाद 60 साल लगे थे. क्योंकि वर्ष 2007 में भारत की अर्थव्यवस्था इस लक्ष्य को हासिल कर पाई थी. लेकिन अब 2025 तक भारत Five Trillion Dollar Economy के लक्ष्य को भी हासिल कर सकता है. ऐसी उम्मीद इस आर्थिक सर्वे में जताई गई है.
और एक एक्स्ट्रा जानकारी आपके लिए ये है कि भारत का Foreign Exchange Reserves यानी विदेशी मुद्रा भंडार नई ऊंचाइयों पर पहुंच गया है. 2018-19 में ये 412 Billion US Dollars यानी 30 लाख करोड़ रुपये था. लेकिन अब ये 633 Billion US Dollars यानी 46 लाख करोड़ रुपये हो गया है. किसी देश के पास जमा कुल विदेशी मुद्रा को Foreign Exchange Reserves कहते हैं.
अब हम आपका परिचय उस बजट से कराएंगे, जो आज देश की संसद में पेश किया जाएगा. भारत का पहला बजट वर्ष 1860 में पेश हुआ. उस समय ब्रिटेन के मशहूर अर्थशास्त्री James Wilson ने इस बजट को पेश किया था, जो East India Company के Financial Advisor भी थे.
बजट असल में फ्रेंच के एक शब्द Bougette (बूज़ेट) से बना है, जिसका मतलब होता है चमड़े का थैला. और सबसे अहम बात, भारत के संविधान में कहीं भी बजट शब्द का उल्लेख नहीं है. संविधान के अनुच्छेद 112 में इसके लिए वार्षिक वित्तीय विवरण शब्द का इस्तेमाल किया गया है. यानी आप कह सकते हैं कि, अंग्रेज़ चले गए लेकिन बजट शब्द भारत में ही छोड़ गए. जब भारत अंग्रेज़ों से आज़ाद हुआ, तब पहली बार 26 नवम्बर 1947 को आर.के. शनमुखम चेट्टी ने देश का बजट संसद में पेश किया था. आर.के. शनमुखम चेट्टी आज़ाद भारत के पहले वित्त मंत्री थे और वो उस समय बजट पढ़ने के लिए एक Briefcase के साथ संसद पहुंचे थे.
26 जनवरी 1950 को जब भारत का संविधान लागू हुआ और भारत एक गणतंत्र देश बना तब जॉन मथाई ने संसद में बजट पेश किया था. वो रेल मंत्री थे. असल में भारत में वित्त मंत्री ही बजट पेश करेगा, इसका कोई तय प्रावधान नहीं है. देश के राष्ट्रपति ये तय करते हैं कि संसद में आम बजट कौन पढ़ेगा. भारत में आम बजट की यात्रा काफ़ी लम्बी रही है. पहले देश के वित्त मंत्री ब्रीफकेस के साथ संसद पहुंचते थे. इंदिरा गांधी ने भी वित्त मंत्री रहते हुए देश का आम बजट पेश किया. और ये बात 1970 की है..जब मोरारजी देसाई ने उनकी सरकार से इस्तीफ़ा दे दिया था. हालांकि मोरारजी देसाई 10 बार सबसे ज्यादा आम बजट पेश करने वाले देश के नेता हैं. उनके बाद पी. चिदंबरम 9 बार, प्रणब मुखर्जी 8 बार और यशवंत राव चह्वाण, सीडी देशमुख और यशवंत सिन्हा भी सात-सात बार आम बजट पेश कर चुके हैं. इसके अलावा मनमोहन सिंह और टी.टी. कृष्णमाचारी ने भी 6-6 बार बजट पेश किया था.
मौजूदा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को सुबह 11 बजे देश का बजट संसद में पेश करेंगी. लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि, भारत का बजट हमेशा से सुबह 11 बजे पेश नहीं होता था. वर्ष 1860 में गुलाम भारत का पहला बजट शाम पांच बजे पेश हुआ था. और इसके पीछे वजह ये थी कि Indian Standard Time के अनुसार जब भारत में शाम के पांच बज रहे होते थे, तब ब्रिटेन में सुबह के 11 बजे का समय होता था. यानी भारत का बजट ब्रिटेन के समय अनुसार पेश होता था. और ये परम्परा 150 से भी ज्यादा वर्षों तक जारी रही.
आज़ादी के बाद हमारे देश के नेता, Copy Paste के सिद्धांत पर चल रहे थे और इसीलिए वर्ष 1947 से 1998 तक भारत का बजट ब्रिटेन के मुताबिक़.. शाम 5 बजे ही पेश होता रहा. हालांकि 1999 में इस परम्परा को बदला गया और पहली बार अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने बतौर वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने भारत का आम बजट सुबह 11 बजे पेश किया. हालांकि, उस समय हमारे देश ने बजट को पेश करने का समय तो बदल लिया लेकिन इसे पेश उसी तारीख़ को किया जाता रहा, जब अंग्रेज़ करते थे. और वो तारीख़ थी 28 फरवरी. वर्ष 2017 में केन्द्र की मोदी सरकार ने इसे एक फरवरी को पेश करने का फैसला किया. क्योंकि 28 फरवरी को बजट पेश होने से इसे एक अप्रैल तक लागू करने में कई परेशानियां आती थीं. लेकिन आज़ादी के बाद भारत के जो नेता अंग्रेज़ों से प्रभावित थे, उन्होंने इस समस्या को कभी समझा ही नहीं.
-वर्ष 2017 से पहले रेल बजट अलग से पेश किया जाता था, लेकिन 2017 में इसे आम बजट में मिला दिया गया.
-अब तक का सबसे लंबा बजट भाषण वर्ष 2020 में दिया गया था. तब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दो घंटे 40 मिनट का बजट भाषण दिया था. देश का सबसे छोटा बजट, पूर्व वित्त मंत्री एच. एम.पटेल ने वर्ष 1977 में पेश किया था. ये अंतरिम बजट था और केवल 800 शब्दों का था.
- हर साल बजट की छपाई का काम नॉर्थ ब्लॉक में हलवा Ceremony से होता था. और इस दौरान वित्त मंत्रालय में एक बड़ी कढ़ाही में हलवा बनाया जाता था. लेकिन इस बार कोविड की वजह से हलवा सेरेमनी नहीं हुई और बजट टीम में शामिल लोगों का मुंह मिठाइयों से मीठा कराया गया.