राज्य सभा में उत्तराखंड बाढ़ (Uttarakhand Flood) के बाद बने हालातों की जानकारी देते हुए गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने कहा, उत्तराखंड सरकार ने बताया है कि अब निचले क्षेत्र में बाढ़ का कोई खतरा नहीं है. साथ ही जल स्तर में भी कमी आ रही है. उन्होंने कहा कि केंद्र एवं राज्य की सभी एजेंसियां स्थिति पर लगातार निगाह रखे हुए हैं.
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नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने मंगलवार को कहा कि उत्तराखंड (Uttrakhand) में रविवार को ऋषिगंगा नदी में अचानक आई बाढ़ के कारण एक सुरंग में फंसे, एनटीपीसी की निर्माणाधीन परियोजना के करीब 25 से 35 कर्मियों को निकालने का कार्य युद्धस्तर पर जारी है. इस हादसे में एक अन्य सुरंग में फंसे 15 लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है.
गृह मंत्री ने राज्य सभा में दी जानकारी
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने राज्य सभा (Rajya Sabha) में उत्तराखंड बाढ़ आपदा पर दिए गए एक बयान में कहा कि 7 फरवरी को सुबह लगभग दस बजे उत्तराखंड के चमोली जिले में अलखनंदा की एक सहायक नदी ऋषिगंगा के ऊपरी क्षेत्र में हिम स्खलन की एक घटना घटी. इसके कारण ऋषिगंगा नदी के जल स्तर में एकाएक काफी वृद्धि हो गई. उन्होंने कहा कि ऋषिगंगा में आई बाढ़ के कारण 13.2 मेगावाट क्षमता की एक पनबिजली परियोजना (Hydroelectric project) पूरी तरह बह गई. इस बाढ़ के कारण निचले इलाके तपोवन में एनटीपीसी की निर्माणाधीन 520 मेगावाट की पनबिजली परियोजना को भी नुकसान पहुंचा.
जल स्तर में भी कमी आई
शाह के अनुसार, उत्तराखंड सरकार ने बताया है कि अब निचले क्षेत्र में बाढ़ (Uttarakhand Flood) का कोई खतरा नहीं है. साथ ही जल स्तर में भी कमी आ रही है. उन्होंने कहा कि केंद्र एवं राज्य की सभी एजेंसियां स्थिति पर कड़ी निगाह रखे हुए हैं. गृह मंत्री ने उपग्रह से मिली सूचनाओं को साझा करते हुए कहा कि समुद्रदल से करीब 5,600 मीटर ऊपर हिमनद के मुहाने पर हिमस्खलन हुआ. यह हिमस्लखन लगभग 14 वर्ग किलोमीटर जितना बड़ा था. इसी के कारण ऋषिगंगा के निचले क्षेत्रों में अचानक बाढ़ की स्थिति बन गई.
उत्तराखंड सरकार ने दी ये जानकारी
शाह ने उत्तराखंड सरकार (Uttarakhand Government) से मिली सूचना को साझा करते हुए कहा कि सोमवार की शाम पांच बजे तक इस आपदा में 20 लोगों की जान जा चुकी थी और छह लोग घायल हुए. इस आपदा में 197 लोग लापता हुए जिसमें एनटीपीसी की निर्माणाधीन परियोजना के 139 कर्मचारी, ऋषिगंगा कार्यरत परियोजना के 46 कर्मचारी और 12 ग्रामीण शामिल हैं. उन्होंने कहा कि एनटीपीसी के 12 व्यक्तियों को एक सुरंग से सुरक्षित बचा लिया गया है. ऋषिगंगा परियोजना के 15 लोगों को भी घटना के समय बचा लिया गया था.
13 गांवों से संपर्क टूटा
शाह ने कहा, ‘एनटीपीसी की एक अन्य सुरंग में अंदाजन 25 से 35 लोग फंसे हुए हैं. इन लोगों को बचाने का प्रयास युद्धस्तर पर जारी है. साथ ही लापता व्यक्तियों को ढूंढने का काम भी बड़े पैमाने पर किया जा रहा है.’ उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने इस आपदा में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को चार-चार लाख रूपये की सहायता राशि देने की घोषणा की है. शाह ने कहा कि घटना स्थल के समीप के 13 गांवों से संपर्क बिलकुल कट गया है. इन गांवों में रसद, जरूरी सामान और दवा आदि सामग्रियों को हेलीकाप्टर के जरिये पहुंचाया जा रहा है.
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केंद्र से हर संभव मदद
उन्होंने सदन को भरोसा दिलाया कि केंद्र सरकार राहत एवं बचाव कार्य के लिए जो भी आवश्यक कार्य हैं, उन्हें राज्य सरकार के साथ मिलकर कर रही है तथा इसके लिए जिस भी सहायता की आवश्यकता होगी, वह उपलब्ध कराई जाएगी. इसके बाद सभी सदस्यों ने इस आपदा में जान गंवाने वाले लोगों के सम्मान में कुछ पलों तक अपने स्थानों पर खड़े होकर मौन रखा. सभापति ने दिवंगत लोगों को श्रद्धांजलि देते हुए उम्मीद जताई कि इस आपदा के बाद चलाये जा रहे बचाव एवं राहत कार्य से लोगों को समुचित लाभ मिलेगा.
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