सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) का फैसला आने से पहले भी अयोध्या केस (Ayodhya case) को सुलझाने का विकल्प बचा हुआा है. देश चाहे तो 'हम' फॉर्मूले से अयोध्या केस (Ayodhya case) को सुलझाया जा सकता है. यहां 'हम' का मतलब है हिंदू (Hindu) और मुसलमान (Muslim) है.
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नई दिल्ली: अयोध्या केस (Ayodhya case) में चालीस दिन की सुनवाई पूरी हो चुकी है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने बुधवार को राजनीतिक रूप से अति-महत्वपूर्ण 70 वर्ष पुराने मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. देश के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई (Ranjan Gogoi) की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने 6 अगस्त से मामले में रोजाना सुनवाई शुरू की थी. इससे पहले अदालत द्वारा नियुक्त मध्यस्थता पैनल मामले को सुलझाने में विफल रही थी. पैनल की अध्यक्षता शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश कर रहे थे. बुधवार को अपराह्न् चार बजे, मुस्लिम पक्ष की ओर से पेश राजीव धवन बहस कर रहे थे, प्रधान न्यायाधीश ने सुनवाई को समाप्त कर दिया और घोषणा करते हुए कहा कि अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.
प्रधान न्यायाधीश गोगोई ने कहा, 'सुनवाई पूरी हो चुकी है और फैसले को सुरक्षित रख लिया गया है.' ऐसी उम्मीद है कि 17 नवंबर को अपनी रिटायरमेंट से पहले प्रधान न्यायाधीश मामले में फैसला सुनाएंगे. माना जा रहा है कि 8 से 17 नवंबर के बीच कभी भी सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) अपना फैसला सुना सकता है. पीठ में न्यायमूर्ति एस.ए. बोबडे, न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति डी.वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एस.ए. नजीर शामिल हैं.
सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) का फैसला आने से पहले भी अयोध्या केस (Ayodhya case) को सुलझाने का विकल्प बचा हुआा है. देश चाहे तो 'हम' फॉर्मूले से अयोध्या केस (Ayodhya case) को सुलझाया जा सकता है. यहां 'हम' का मतलब है हिंदू (Hindu) और मुसलमान (Muslim) है. पूरी दुनिया में कहा जाता है कि भारत के मुसलमान (Muslim) धर्मनिरपेक्ष है और सबसे अलग हैं. आज मुसलमान (Muslim)ों के लिए ये बात साबित करने का बहुत बड़ा मौका है. मुसलमान (Muslim) चाहें तो अपना बड़ा दिल दिखाकर पूरी दुनिया में मिसाल पेश कर सकते हैं. सैंकड़ों वर्षों से ज़्यादा पुराना विवाद एक दिन में खत्म हो सकता है. इससे पूरी दुनिया में हमारे देश की धर्मनिरपेक्ष छवि भी और मजबूत होगी.
इस वक्त भारत की कुल जनसंख्या 135 करोड़ है. इसमें से करीब 80% यानी 108 करोड़ से ज्यादा हिंदू (Hindu) हैं. जबकि मुसलमान (Muslim) 14 प्रतिशत यानी करीब 19 करोड़ हैं. भारत में दुनिया के 11 प्रतिशत मुसलमान (Muslim) भारत में रहते हैं. जबकि सिख सवा 2 करोड़, ईसाई 3 करोड़ और बाकी धर्मों के लोग करीब 2 करोड़ 75 लाख हैं.
सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है, लेकिन अभी भी हिंदू (Hindu) और मुसलमान (Muslim) चाहें तो अदालत के बाहर समझौता कर सकते हैं. मान लीजिए कि अगर सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने ये कह दिया कि अयोध्या में मंदिर बनना चाहिए तो क्या ये फैसला देश के 19 करोड़ से ज्यादा मुसलमान (Muslim)ों को स्वीकार होगा? अगर सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ये कह दे कि अयोध्या में मस्जिद बनेगी तो क्या ये फैसला देश के क़रीब 108 करोड़ हिंदुओं को स्वीकार होगा?
कोर्ट के फैसलों में हमेशा एक पक्ष की जीत होती है और दूसरे पक्ष की हार होती है. अगर दोनों समुदायों के लोग आपस में मिलकर बैठें, और राम मंदिर बनाने पर सहमत हो जाएं तो ये एक अभूतपूर्व समाधान होगा. इसमें किसी की हार नहीं होगी, बल्कि दोनों ही पक्षों की जीत होगी. वैसे सोचने वाली बात ये भी है क्या वाकई में भारत के मुसलमान (Muslim), अयोध्या में राम मंदिर बनाने के विरोध में हैं? या फिर ये सिर्फ एक राजनीतिक और सांप्रदायिक गलतफहमी है? हमें लगता है कि ये भारत के मुसलमान (Muslim)ों के लिए एक बहुत बड़ा मौका है, जिसके तहत वह साम्प्रदायिक सौहार्द की एक नई मिसाल दे सकते हैं. इससे देश में धार्मिक सौहार्द का एक नया युग शुरू हो जाएगा.
साभार: DNA