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Hyderabad Court Order on Akbaruddin Owaisi Hate Speech: आपको याद होगा वर्ष 2012 में अकबरुद्दीन ओवैसी ने एक नफरत से भरा हुआ भाषण दिया था. जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत में मुसलमान 25 करोड़ हैं. हिन्दू 100 करोड़ है. 15 मिनट के लिए पुलिस हटा लो तो हम बता देंगे, किसमें हिम्मत है और कौन ताक़तवर है?
इसके बाद ये मामला अदालत में गया और बुधवार को 9 साल बाद अदालत ने ओवैसी को इस केस में बरी कर दिया है. इस फैसले को लेकर पूरे देश में बहुत रोष है और लोग सवाल पूछ रहे हैं कि अगर ओवैसी के इस भाषण में नफरत नहीं थी तो फिर नफरत की परिभाषा क्या है?
ये फैसला हैदराबाद की एक विशेष अदालत ने दिया है. जिसमें कहा गया है कि जो सबूत अदालत में पेश किए गए, वो ये साबित नहीं करते कि अकबरुद्दीन ओवैसी ने अपने भाषण से हिन्दुओं के खिलाफ नफरत भड़काने की कोशिश की थी.
इस फैसले में ये भी बताया गया है कि पुलिस ने ओवैसी के इस भाषण का जो वीडियो कोर्ट में Submit किया था, वो अलग अलग हिस्सों में था. इसलिए इस वीडियो को सबूत के तौर पर मंजूर नहीं किया जा सकता. हालांकि अदालत ने अकबरुद्दीन ओवैसी को भविष्य में ऐसे बयान नहीं देने की नसीहत भी दी है. ये भाषण उन्होंने वर्ष 2012 में तेलंगाना की एक रैली में दिया था.
इस फैसले से ये पता चलता है कि हमारे देश में न्यायिक व्यवस्था कितनी धीमी है. हमारे देश की अदालतों को ये तय करने में 9 वर्ष से ज्यादा का समय लग गया कि अकबरुद्दीन ओवैसी का भाषण साम्प्रदायिक था या नहीं. जबकि आप लोग इस भाषण को सुनने के बाद कुछ ही सेकेंड में समझ गए होंगे कि इसमें हिन्दुओं के खिलाफ नफरत थी या नहीं.
बुधवार को जब अकबरुद्दीन ओवैसी हैदराबाद की कोर्ट में पेश होने के लिए पहुंचे तो उनकी Body Language बिल्कुल अलग थी. उन्हें देख कर ऐसा लग रहा था कि जैसे उन्हें ये मालूम है कि अदालत इस मामले में उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी.
हालांकि देश के बहुत सारे लोग ये कह रहे हैं कि जैसे देश की संसद पर हमला करवाने वाला अफजल गुरु आतंकवादी नहीं था. ठीक उसी तरह से अकबरुद्दीन ओवैसी के इस भाषण में भी कोई नफरत नहीं है. उनकी इस बात के पीछे छिपा तंज आप समझ गए होंगे.
अकबरुद्दीन ओवैसी के बड़े भाई और AIMIM पार्टी के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने अदालत के इस फैसले को न्याय की जीत बताया है. वो इस फैसले का दिल खोल कर स्वागत कर रहे हैं. इसके अलावा हमारे देश का एक खास वर्ग भी अदालत के इस फैसले को न्याय की जीत बता रहा है. ये सारे वो लोग हैं, जो अक्सर देश की न्यायपालिका और अदालतों पर सवाल उठाते हैं और अदालतों पर सरकार के दबाव में काम करने के आरोप लगाते हैं.
बुधवार को जब फैसला इनके पक्ष में आया है तो इन लोगों के लिए हमारे देश की अदालतें और जज अचानक से ईमानदार हो गए हैं. हमारा सवाल वही है कि..जो नेता खुलेआम देश के करोड़ों हिन्दुओं को धमकी देता है, क्या उसके बयान को कोर्ट के इस फैसले के बाद नफरती नहीं माना जाएगा? अगर ये भाषण नफरत से भरा हुआ नहीं है तो फिर नफरत की असली परिभाषणा क्या है?
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मंगलवार को भारत में 'Indian Muslims Under Attack' के नाम से एक हैशटैग सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा था. उस हिसाब से अब नया हैशटैग होना चाहिए, 'Indian Hindus Under Attack'. आप अक्सर सुनते होंगे कि पाकिस्तान में हिन्दुओं पर अत्याचार हो रहे हैं. इसी तरह से बांग्लादेश में भी हिन्दुओं के खिलाफ हिंसा होती रहती है. लेकिन आज भारत में भी हिन्दू अंडर अटैक हैं.