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DNA on Deoghar Ropeway Accident: देवघर में हुई रोपवे दुर्घटना चौंकाने वाला मुद्दा है. दरअसल पैसे के लालच में इस रोपवे (Rope Way) का संचालन करने वाली प्राइवेट कम्पनी और झारखंड के पर्यटन विभाग की लापरवाही से 57 लोगों की जान खतरे में पड़ गई. जिस केबल कार में चार लोग होने चाहिए थे, उनमें ज्यादा पैसा कमाने के लालच में 6 से 7 लोग बैठाए जा रहे थे, जिससे केबल पर वजन बढ़ गया और वो हुक से नीचे उतर गई. बताया जा रहा है कि जिस समय ये घटना हुई, तब इस रोपवे सेवा को संचालित करने वाले इंजीनियर्स की टीम वहां से भाग गई थी.
बुधवार को प्रधानमंत्री मोदी ने वायु सेना के Garud Commandos से भी बात की, जिन्होंने इस घटना में 53 लोगों की जान बचाई है. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पूरे देश को Garud Commandos पर गर्व है और वो इस देश के असली हीरो हैं. अब तक आप इस दुर्घटना की कई दर्दनाक तस्वीरें देख चुके होंगे. लोग इन तस्वीरों को लेकर हैरानी भी जता रहे हैं और इन्हें एक दूसरे को Forward भी कर रहे हैं. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिर इस हादसे के लिए जिम्मेदार कौन है? इसे समझने के लिए पहले आपको ये जानना होगा कि ये पूरी दुर्घटना हुई कैसे?
आपको बता दें कि ये दुर्घटना झारखंड के देवघर जिले में त्रिकुट पहाड़ पर हुई. इस जगह पर एक प्रसिद्ध मन्दिर है, जिसे त्रिशूली माता के मन्दिर के नाम से भी लोग जानते हैं. क्योंकि ये मन्दिर एक ऊंची पहाड़ी पर है, इसलिए यहां लोगों को रोपवे से जाना होता है और दुर्घटना वाले दिन भी कुल 18 ट्रॉलियों में 57 श्रद्धालु इस मन्दिर में दर्शन करने के लिए जा रहे थे. लेकिन इसी दौरान शाम लगभग साढ़े चार बजे रोपवे की तार हुक से उतर गई और इसके बाद रोपवे की सारी ट्रॉलियां अचानक से नीचे की ओर झुक गईं. इनमें से जो 2 ट्रॉलियां नीचे की तरफ थीं, वो असंतुलित होकर पत्थरों से टकरा गईं और इस घटना में तब एक महिला की भी मौत हो गई. अब तक इस घटना में 4 लोगों की मृत्यु हो चुकी है और 53 लोगों को रेस्क्यू किया जा चुका है.
जिस कंट्रोल रूम से इस रोपवे को संचालित किया जाता था, वहां का एक वीडियो भी है. जिसमें साफ दिख रहा है कि ये घटना केबल टूटने की वजह से नहीं हुई. असल में जिस समय ये ट्रॉलियां ऊंची पहाड़ी की तरफ जा रही थीं, तभी ये केबल कंट्रोल रूम में लगी मशीन के Wheels से नीचे उतर गई और इसके बाद अचानक से सारी ट्रॉलियां नीचे की ओर झुक गईं. झारखंड सरकार ने इस मामले की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी बना दी है और ये एक तरह की परम्परा बन चुकी है. जब भी इस तरह के हादसे होते हैं तो सरकारें चिंता जता कर एक कमेटी बना देती हैं.
सबसे पहली जिम्मेदारी इस रोपवे का संचालन करने वाले इंजीनियर्स की बनती है. रोपवे केबल के हर चक्कर से पहले इंजीनियर्स को ये सुनिश्चित करना होता है कि मशीन और केबल कार में कोई गड़बड़ ना हो. लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ. त्रिकूट में ये काम दो से ज्यादा इंजीनियर्स की टीम को सौंपा गया था. लेकिन ये टीम हादसे के दौरान वहां से भाग गई.
दूसरी जिम्मेदारी उस कम्पनी की है, जो इस रोपवे सेवा को संचालित कर रही थी. इस कम्पनी का नाम है Damodar Ropeways Infra Limited और ये कोलकाता की एक बड़ी कम्पनी है. वैष्णो देवी, गुवाहाटी, चित्रकूट, पुष्कर और नैना देवी में अभी जो रोपवे सेवाएं चलाई जा रही हैं, वो इसी कम्पनी की हैं. लेकिन इस मामले में इस कम्पनी पर आरोप है कि उसने रोपवे की Maintenance को गंभीरता से नहीं लिया और कोरोना काल के बाद जब रोपवे सेवा फिर से शुरू हुई, उस समय इसकी मरम्मत का काम होना जरूरी थी. लेकिन इसका भी पालन नहीं किया गया इसके अलावा ये भी आरोप है कि ये कम्पनी ज्यादा पैसा कमाने के लालच में रोपवे की ट्रॉलियों में क्षमता से अधिक लोगों को सफर करा रही थी.
जिन ट्रॉलियों में अधिकतम 4 लोग बैठ सकते थे, उनमें 6 से 7 लोगों को बैठाया गया. जिससे ये हादसा हुआ. तो दूसरी जिम्मेदारी इस कम्पनी की बनती है. अब सवाल है कि जो कम्पनी इतने बड़े स्तर पर लापरवाही कर रही थी, उसे इस रोपवे सेवा का Contract मिला कैसे? तो इसका जवाब ये है कि झारखंड के पर्यटन विभाग ने इस कम्पनी के साथ ये Contract किया था. इसलिए झारखंड का पर्यटन विभाग भी इस घटना के लिए जिम्मेदार है.
वर्ष 2014 में झारखंड के पर्यटन विभाग और इस कम्पनी के बीच हुए समझौते में ये तय हुआ था कि ये कम्पनी Licence Fee के तौर पर विभाग को हर साल एक तय रकम देगी और इसके बदले में इस रोपवे सेवा के संचालन से लेकर उसके Maintenance का काम इसी कम्पनी को देखना होगा. हालांकि इस दौरान झारखंड का पर्यटन विभाग ये सुनिश्चित करेगा कि ये कम्पनी अपना काम सही तरीके से करे. झारखंड के पर्यटन विभाग में ये काम एक सीनियर रैंक के अधिकारी को करना था, लेकिन इस अधिकारी ने भी अपना काम ईमानदारी से नहीं किया.
दूसरी बात Contract के तहत, इस कम्पनी को इस रोपवे सेवा की हर तीन महीने में Maintenance करानी थी और इसकी रिपोर्ट पर्यटन विभाग के पास भेजनी थी. लेकिन इस प्रक्रिया का भी पालन नहीं हुआ. झारखंड पर्यटन विभाग के डायरेक्टर राहुल सिन्हा हैं. उन्हें इस कम्पनी से पूछना चाहिए था कि उसने रोपवे की Maintenance रिपोर्ट क्यों नहीं तैयार की. इसलिए झारखंड पर्यटन विभाग के डायरेक्टर राहुल सिन्हा भी इसके लिए जिम्मेदार माने जाएंगे.
अब क्योंकि ये पर्यटन विभाग, हफिज़ुल अंसारी के पास है और वो राज्य के पर्यटन मंत्री हैं इसलिए उनकी जिम्मेदारी भी इस मामले में बनती हैं. इसी तरह पर्यटन मंत्री झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को रिपोर्ट करते हैं. इसलिए इस मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी उतने ही जिम्मेदार हैं. अगर इनमें से किसी ने भी अपना काम सही तरीके से किया होता तो ये हादसा होता ही नहीं.