Secondary Infection वाले आधे Covid Patients की मौत, एंटीबायोटिक्‍स का ओवरडोज बना कारण : ICMR स्‍टडी
Advertisement
trendingNow1908942

Secondary Infection वाले आधे Covid Patients की मौत, एंटीबायोटिक्‍स का ओवरडोज बना कारण : ICMR स्‍टडी

कोविड के बाद ब्‍लैक फंगस जैसे फंगल इंफेक्‍शन के शिकार हुए मरीजों पर ICMR ने स्‍टडी की है. इसमें सामने आया है कि ऐसे 56.7 प्रतिशत मरीजों की मौत हो गई है. 

 

(फाइल फोटो)

मुंबई: मुंबई के सायन और हिंदुजा हॉस्पिटल समेत 10 हॉस्पिटल में की गई एक स्‍टडी में सामने आया है कि एंटीबायोटिक दवाओं का बेजा इस्‍तेमाल देश में कोविड-19 महामारी को लेकर हालात और बदतर कर सकता है. ICMR द्वारा किए गए इस अध्‍ययन से पता चलता है कि जिन रोगियों में सेकंडरी इंफेक्‍शन (Secondary Infection) होता है, उनमें से आधे रोगियों की मृत्यु हो जाती है. सेकंडरी इंफेक्‍शन से मतलब है कि किसी व्‍यकित को एक इंफेक्‍शन होने के दौरान या उसके बाद दूसरा इंफेक्‍शन होना, जैसे कि अभी कोविड मरीजों में ब्‍लैक फंगस संक्रमण के मामले आ रहे हैं. 

  1. कोविड के बाद फंगल इंफेक्‍शन के शिकार हो रहे मरीज 
  2. सेकंडरी इंफेक्‍शन वाले आधे से ज्‍यादा मरीजों की मौत 
  3. एंटीबायोटिक्‍स का ओवरडोज कम कर रहा संक्रमण से लड़ने की क्षमता 

कई दिनों तक हॉस्पिटल में रहते हैं मरीज 

हालांकि यह स्‍टडी मरीजों के छोटे समूह पर की गई. इस समूह के 17 हजार कोविड मरीजों में से 4% सेकंडरी इंफेक्‍शन बैक्‍टीरियल या फंगल इंफेक्‍शन से पीड़ित थे. टाइम्‍स ऑफ इंडिया की वेबसाइट में प्रकाशित खबर के अनुसार इस स्‍टडी का नेतृत्व करने वाली ICMR की वैज्ञानिक कामिनी वालिया कहती हैं कि यदि इन आंकड़ों को हॉस्पिटल में भर्ती होने वाले सभी मरीजों की संख्‍या से लिंक करके देखें तो ऐसे कई हजार मरीज मिलेंगे जिन्‍हें इस दूसरे संक्रमण के चलते कई दिनों तक हॉस्पिटल में भर्ती रहना पड़ेगा. 

यह भी पढ़ें: Corona पॉजिटिव Pregnant महिलाओं के लिए फरिश्ता बनी Nurse, शून्य मृत्यु दर के साथ करवाई 100 से ज्यादा डिलीवरी

कोविड मृत्‍यू दर से कई गुना ज्‍यादा मौतें 

दुनिया भर में कोविड-19 के कारण मृत्यु दर 10% है. जबकि आईसीएमआर की स्‍टडी के मुताबिक कोविड -19 रोगियों में बैक्टीरियल या फंगल इंफेक्‍शन होने के बाद मौतों की दर 56.7% है. स्‍टडी में यह भी कहा गया है कि सुपरबग वाले मरीजों में एंटीबायोटिक (Antibiotics) दवाओं से काम नहीं चल सकता है, बल्कि उन्‍हें बहुत शक्तिशाली एंटीबायोटिक देने की जरूरत पड़ती है, यानी कि स्थिति ज्‍यादा मुश्किल रहती है.  

एंटीबायोटिक के ओवरडोज से नुकसान 

कई विशेषज्ञों का मानना है कि एंटीबायोटिक दवाओं और एंटिफंगल एजेंटों का ज्‍यादा इस्‍तेमाल मेलेनोमाइकोसिस और म्यूकोर मायकोसिस जैसे दुर्लभ इंफेक्‍शन फैलने का बड़ा कारण हो सकता है. राज्‍य सरकार की कोविड-19 टास्‍क फोर्स के सदस्‍य डॉ. राहुल पंडित कहते हैं, 'शरीर में अच्‍छे बैक्‍टीरिया होते हैं, जो उसकी अन्‍य हानिकारक बैक्‍टीरिया से रक्षा करते हैं. लेकिन जब बिना किसी कारण के एंटीबायोटिक्स दिए जाते हैं, तो अच्‍छे बैक्‍टीरिया भी खत्‍म हो जाते हैं और इससे बुरे बैक्‍टीरिया को शरीर पर हमला करने का मौका मिल जाता है.'

अस्‍पताल में ज्‍यादा दिन रहने से बढ़ जाता है खतरा 

वहीं हिंदुजा अस्पताल के डॉ. खुसरव बाजन कहते हैं, 'दूसरी लहर में ऐसे युवा हमारे पास आ रहे हैं जो पहले ही एंटीबायोटिक्‍स ले चुके होते हैं. फिर हमें उन्‍हें और मजबूत एंटीबायोटिक्‍स देने पड़ते हैं. ऐसे में अस्‍पताल में ज्‍यादा दिन तक भर्ती रहने के बाद उन्‍हें और ज्‍यादा एंटीबायोटिक की जरूरत पड़ती है और फिर उनके शरीर में रोग-प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम हो जाती है. ऐसे में सेकंडरी इंफेक्‍शन होने का खतरा बढ़ जाता है.'

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news