धुएं में मौजूद कार्बन डाई ऑक्साइड से सोचने और समझने की छमता खत्म हो जाती है. इसके बाद पहले तेज नींद और फिर बेहोशी की स्थिति उत्पन्न हो जाती है.
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नई दिल्ली: स्कूल में मिली फायर फाइटिंग और फायर सेफ्टी ट्रेनिंग की मदद से अपने परिवार और पड़ोसियों की जान बचाने वाली 10 वर्षीय जेन सदावर्ते को हर तरफ से शाबाशी मिल रही है. दरअसल, जेन सदावर्ते अपने परिजनों के साथ मुंबई के परेल इलाके स्थित क्रिस्टल टावर में रहती है. बीते दिनों टावर की 12वीं मंजिल स्थित एक फ्लैट के गीजर में ब्लास्ट हो गया और इमारत का बड़ा हिस्सा आग की चपेट में आ गया. इस दर्दनाक हादसे में 4 लोगों की मौत हो गई, जबकि 16 लोग घायल हुए थे.
इस घटना के दौरान, फायर फाइटिंग और फायर सेफ्टी की जानकारी रखने वाली जेन सदावर्ते ने अपनी सूझबूझ से अपने परिवार और पड़ोसियों का जिंदगी बचा ली. इस घटना के बाद, जेन सदावर्ते उन दो बातों का उल्लेख किया था, जिनकी मदद से वह अपनों की जान बचाने में कामयाब रही थी. जिसमें पहली बात कॉटन के गीले कपड़े को मुंह में रखना था और दूसरी बात लोगों को धुंए की तरफ जाने से रोकना था. दोनों उपाय धुएं के प्रभाव से बचने के लिए किये गए थे.
दिल्ली पुलिस के वररिष्ठ अधिकारी के अनुसार, आग लगने की घटनाओं में आग से भी ज्यादा खतरनाक धुआं होता है. ज्यादातर लोगों की मौत धुएं की वजह से पहले होती है, उसके बाद वे आग की चपेट में आते हैं. आगजनी की घटनाओं में कई बार ऐसी परिस्थितियां देखी गई हैं, जिस जगह पर शव बरामद किया गया, वहां तक आग की लपटे पहुंची ही नहीं थी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में साफ हुआ कि इस मौत की वजह धुएं के चलते होने वाली घुटन थी.
धुआं किस तरह हमें बनाता है अपना शिकार
फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. मनोज शर्मा ने बताया कि धुएं की वजह से शरीर का कार्बन डाई ऑक्साइड बढ़ने लगता है. शरीर में बढ़ते कार्बन डाई ऑक्साइड के अलग अलग संकेत हैं. सबसे पहले खांसी, आंखों में भारी पन और सिर में दर्द की समस्या होती है. कार्बन डाई ऑक्साइड का अगला निशाना दिमाग होता है. दिमाग में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा बढ़ने से सोचने और समझने की छमता खत्म हो जाती है. इसके बाद पहले तेज नींद और फिर बेहोशी की स्थिति आ जाती है.
ऐसी परिस्थितियों में कैसे करें धुएं से अपना बचाव
डॉ. मनोज शर्मा ने बताया कि यदि किन्हीं परिस्थितिवश आप आग में फंस गए हैं तो आपकों इन बातों का विशेष ध्यान देना चाहिए.
1. सबसे पहले अपनी नाक और मुंह को गीले कपड़े से ढक लें. जिससे कम से कम मात्रा में कार्बन डाई ऑक्साइड आपके शरीर में पहुंचे.
2. खड़े रहने की जगह बैठ जाएं. घुटनों के बल या लुढ़कते हुए घर से बाहर निकलने की कोशिश करें. दरअसल, धुआं नीचे से ऊपर की तरफ उठता है. ऐसा करने से कम से कम धुआं आप तक पहुंचेगा.
3. आग लगने की घटना के दौरान यह ध्यान रखें कि धुआं कहां से आ रहा है. यदि धुआं घर के भीतर है तो खिड़की दरवाजे खोल दें. यदि धुआं घर के बाहर है तो खिड़किया अच्छी तरह से बंद कर दें.
4. आगजनी के दौरान धुएं से पूरी दूरी बनाए रखें. जिस रास्ते पर धुआं हो, उस रास्ते का परहेज करें.
5. मौके सुरक्षित निकलने के बाद किसी तरह की परेशानी महसूस कर रहे हैं तो अस्पताल पहुंचने तक लंबी सांसे लें, जिससे शरीर का ऑक्सीजन लेबल कम न हो पाए.
मनोबल है बचाव का पहला और आखिरी तरीका
दिल्ली फायर सर्विस विभाग के निदेशक जीसी मिश्र के अनुसार, आग के बीच कहीं फंस गए हैं तो आपके बचाव का पहला और आखिरी उपाय आपका आत्मविश्वास है. आत्मविश्वास के जरिए ही आप मुश्किल वक्त में सही फैसला ले सकेंगे. दमकल विभाग, स्कूली बच्चों में इसी आत्मविश्वास को पैदा करने के लिए लगातार फायर सिक्योरिटी ड्रिल कराई जाती है. बार-बार अभ्यास से बच्चों को सभी चीजें समझ में आती है और उनका डर खत्म हो जाता है. उन्होंने बताया कि स्कूलों में होने वाली ड्रिल के दौरान बच्चों को आग के प्रकार, लगने के प्रकार, बुझाने के तरीके, आत्मरक्षा के तरीकों के बारे में बताया जाता है.