Crop Disease Detection: विज्ञान ने खेती के तरीके बदल दिए हैं. अब किसान तकनीक की मदद से अपनी फसल को सुरक्षित रखने के साथ अपनी पैदावार बढ़ा रहे हैं. इसबीच IIIT भागलपुर की टीम का बनाया गया ई निरोग ऐप ('E-Nirog' App) किसानों के लिए वरदान से कम नहीं है.
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'E-Nirog' App for Crop Disease Detection: पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) किसानों के लिए नई-नई क्रांति और उनके तकनीक के जरिए समृद्ध बनाने की दिशा में लगातार काम कर रहे हैं. वो मन की बात के कई एपिसोड में किसानों को जागरूक कर चुके हैं. कृषि क्षेत्र में अब तकनीक के शानदार नतीजे सामने आ रहे हैं. इस बीच भागलपुर ट्रिपल आईटी (IIIT) की टीम ने कृषि वैज्ञानिकों के साथ मिलकर एक ऐसा 'ई निरोग' ऐप बनाया है जिससे बस एक स्कैन में किसानों की उस सबसे बड़ी समस्या का समाधान हो जाएगा, जिससे अबतक उनकी फसल तबाह हो जाती थी.
एक स्कैन में डन करो!
बताया जा रहा है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक पर आधारित यह अपनी तरह का दुनिया का पहला ऐप है. जिससे प्रभावित फसल या पौधे का फोटो खींचने पर समस्या के समाधान का तुरंत पता चल जाएगा. इस टीम से जुड़े सदस्य का कहना है कि बस पत्ते की फोटो स्कैन होते ही एक मिनट के भीतर किसानों को उनकी फसलों में कौन सी बीमारी है उसकी जानकारी मिल जाएगी. इस ऐप को प्ले स्टोर से डाउनलोड कर आसानी से मुफ्त में किसान इसका लाभ उठा सकते हैं. इस ऐप पर काफी समय से काम हो रहा था. कुछ समय पहले सबौर स्थित बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) में तीन दिवसीय क्षेत्रीय किसान मेले के दौरान इस ऐप की जानकारी लोगों को दी गई थी.
किसानों को होगा फायदा
ट्रिपल आईटी के निदेशक डॉ. अरबिंद चौबे का कहना है कि बीएयू और ट्रिपल आईटी के तीन वर्षो के संयुक्त प्रयास से बना यह एप कृषि क्षेत्र में बहुत कारगर साबित होगा. इससे किसानों की आर्थिक स्थिति सुधरेगी और युवाओं को भी इस क्षेत्र में लाने से भागलपुर में न सिर्फ रोजगार बढ़ेगा, बल्कि कृषि क्षेत्र में युवाओं की दिलचस्पी बढ़ेगी.
कैसे आया आइडिया?
अपनी फसल की बीमारी का उपचार जानने के बाद किसान अपने नजदीकी कृषि केंद्र या दुकानों से दवाइयां ले सकेंगे. पहले फसलों में बीमारी होने के बाद उसकी जानकारी और उपचार के लिए किसानों को जद्दोजहद करनी पड़ती थी. ट्रिपल आईटी के निदेशक प्रोफेसर अरविंद चौबे ने बताया कि भागलपुर कृषि विश्वविद्धालय के कुलपति ने बताया था कि किसानों ने उनसे पौधों के पत्तों में छिद्र होने की समस्या बताई थी. जब तक वो इसका इलाज खोजते तब तक देर हो जाती थी. यानी किसानों को उनकी समस्या का त्वरित निदान नहीं मिलता था. इसके बाद IIIT की टीम ने इस ऐप पर काम करते हुए कामयाबी हासिल की.