Food Waste In The India: संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) की 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना काल से पहले दुनिया में 93 करोड़ टन खाना बर्बाद हुआ – यानी पूरी दुनिया का 17% खाना बेकार चला गया.
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Food Waste In The World: भारत में जहां रोजाना कई लोग भूखे पेट दिन गुजार रहे हैं, उस देश में प्रति व्यक्ति हर साल 50 किलो खाना बर्बाद हो जाता है. भारत में खाने की बर्बादी का हिसाब अगर रुपयों में लगाया जाए तो हर साल भारतीय 92 हज़ार करोड़ रुपए का खाना बर्बाद कर रहे हैं.
दुनिया भर के आंकड़ों पर नज़र डालेंगे तो विश्व में हर साल इतना खाना बर्बाद होता है जिससे 3 अरब लोगों का पेट भरा जा सकता है. दुनिया में 2019 में 69 करोड़ टन खाना डस्टबिन में गया और उसी साल 69 करोड़ लोग भरपेट भोजन से दूर रहे और रातों को भूखे ही सो गए.
भारत में कुल भोजन का 40 प्रतिशत होता है बर्बाद
भारत में फूड वेस्ट पर काम करने वाली एनजीओ चिंतन की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में मौजूद कुल भोजन का 40 प्रतिशत भोजन बर्बाद हो जाता है. दिल्ली के एक बड़े सब्ज़ी और फल सप्लाई आउटलेट्स पर किए गए एक सर्वे में एनजीओ ने पाया कि औसतन एक आउटलेट 18.7 किलो वेस्ट निकालता है.
इस वेंडर के 400 आउटलेट्स से रोजाना साढ़े सात टन फूड वेस्ट निकलता है. रोजाना बर्बाद हो रहे इस खाने से हर रोज़ 2 हज़ार लोगों का पेट भरा जा सकता है. ये सैंपल सर्वे एक सब्ज़ी और फल सेंटर का है – इससे आप भारत और दुनिया की हालत का अंदाज़ा लगा सकते हैं.
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) की 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना काल से पहले दुनिया में 93 करोड़ टन खाना बर्बाद हुआ – यानी पूरी दुनिया का 17% खाना बेकार चला गया.
कौन करता है भोजन की बर्बादी
इस 93 करोड़ टन खाने में से 61% घरों में , 23% फूड सर्विस यानी रेस्टोरेंट में और 13% रिटेल चेन में बर्बाद हो गया.
किस देश में कितना भोजन बर्बाद
भारत में एक व्यक्ति औसतन 137 ग्राम प्रतिदिन और सालाना 50 किलोग्राम खाना बर्बाद कर देता है. अमेरिका में 59 किलो और चीन में 64 किलो भोजन प्रति व्यक्ति साल भर में बर्बाद होता है.
भारत में इतने करोड़ लोगों को तीन वक्त का खाना नहीं मिलता
आईसीएमआर की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 19 करोड़ लोग ऐसे हैं जिन्हें रोज तीन वक्त का भरपेट खाना नहीं मिलता. 14 करोड़ लोग रात में भूखे पेट सो रहे हैं. 5 साल की उम्र तक के 34% बच्चे अपनी उम्र के हिसाब से कम वज़न और हाइट वाले हैं. ग्लोबल हंगर इंडेक्स (Global hunger index) में 107 देशों में भारत 94 स्थान पर है.
हम जाने अंजाने कितना खाना बर्बाद कर देते हैं ये समझने के लिए हम उन लोगों से मिले – जिनका कारोबार ही खाना है – यानी फूड इंडस्ट्री – जहां बुफे में लगा खाना – छप्पन भोग का ज़ायका और मल्टी क्वीज़ीन खाने के ऑप्शन्स मौजूद हैं तो खाने की बर्बादी का इलाज कैसे होता है.
मयूर विहार में बने क्राउन प्लाजा होटल के प्रवक्ता उल्लास के मुताबिक वो रोज़ाना की ज़रुरत को समझकर ही खाना बनवाते हैं. लेकिन अगर खाना बच जाए तो चाहकर भी उसे गरीबों में बांटना संभव नहीं है. फूड एंड बेवरेज इंडस्ट्री के नियमों के मुताबिक पकने के बाद भोजन को 2 से 5 घंटे में निपटाना जरुरी है – इसके बाद वो Fit for Human Consumption नहीं रह जाता. यानी इंसानों के खाने लायक नहीं रहता. उन्होंने कहा कि यहां जो वेस्ट बचता है उससे खाद बनाकर खाने की बर्बादी कम करने की कोशिश की जाती है.
एक दिन में न्यूनतम कितना खाना चाहिए
एक इंसान को सेहत मंद रहने के लिए रोज़ाना 1500 से 2500 कैलोरी खाना खाने की ज़रुरत होती है. महिलाओं को थोड़ा कम, पुरुषों को थोड़ा ज्यादा और बाकी हिसाब किताब इस बात से तय होता है कि आप कितनी शारीरिक मेहनत करते हैं. लेकिन अगर किसी को कम से कम 500 कैलोरी भी मिल जाए – यानी एक वक्त का खाना भी ठीक से मिले तो वो जीने के लिए न्यूनतम जरुरत जितना हो जाएगा.
लेकिन भारत में कई लोगों को जरूरत भर का खाना भी नसीब नहीं है. खाने की बर्बादी रोककर हर साल 68 लाख करोड़ रुपए बचाए जा सकते हैं. क्योंकि इस बर्बाद खाने को निपटाना अपने आप में एक काम है.
हालांकि भारत में कुछ खाना, स्टोरेज की सही व्यवस्था ना होने, बेहतर प्रोसेसिंग यूनिट्स की कमी और फूड आइट्मस ट्रांसपोर्ट करने वाली गाड़ियों में तापमान कंट्रोल ना होने की वजह से जल्दी सड़ जाता है. यानी सिस्टम में सुधार के साथ साथ हर इंसान को खुद में सुधार लाने की ज़रुरत है.
कैसे रोकें खाने की बर्बादी:-
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