राज्यसभा में विपक्ष ने नोटबंदी पर सरकार को घेरा
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राज्यसभा में विपक्ष ने नोटबंदी पर सरकार को घेरा

नोटबंदी एवं कश्मीर मुद्दे को लेकर सरकार पर प्रहार करते हुए विपक्ष ने गुरुवार को आरोप लगाया कि वह काले धन, आतंकवाद एवं जाली मुद्रा से निबटने सहित सभी मोर्चों पर विफल हो गयी है जबकि सत्ता पक्ष की ओर से इन आरोपों को नकारते हुए कहा गया कि नरेन्द्र मोदी सरकार की विभिन्न नीतियों एवं पहल के कारण देश में व्यापक बदलाव आ रहा है।

राज्यसभा में विपक्ष ने नोटबंदी पर सरकार को घेरा

नई दिल्ली : नोटबंदी एवं कश्मीर मुद्दे को लेकर सरकार पर प्रहार करते हुए विपक्ष ने गुरुवार को आरोप लगाया कि वह काले धन, आतंकवाद एवं जाली मुद्रा से निबटने सहित सभी मोर्चों पर विफल हो गयी है जबकि सत्ता पक्ष की ओर से इन आरोपों को नकारते हुए कहा गया कि नरेन्द्र मोदी सरकार की विभिन्न नीतियों एवं पहल के कारण देश में व्यापक बदलाव आ रहा है।

बजट सत्र के तीसरे दिन गुरुवार को राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि अभिभाषण में कश्मीर के हालात और नोटबंदी जैसे मुद्दों पर बात की गई है और इन सभी मोचरे पर सरकार को विफल रहना पड़ा है। उन्होंने कहा कि विशेषकर कालाधन समाप्त करने, आतंकवाद के वित्तपोषण पर रोक लगाने और नकली नोट इत्यादि जैसे मुद्दों पर सरकार असफल रही है।

उन्होंने कहा कि सरकार ने देश में अघोषित आपातकाल लगा रखा है जहां आलोचनाओं को दबा दिया जाता है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 का साल घुटन, मंदी, प्रतिगमन और दमन का साल रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि नोटबंदी की घोषणा से पहले सरकार की ओर से भाजपा नेताओं को इस खबर की जानकारी दी गई थी। 

इससे पहले राष्ट्रपति अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पेश करते हुए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार के शासन काल में जनशक्ति से देश में बदलाव और विकास की यात्रा हो रही है। राष्ट्रपति के उद्गार देश के बदलाव के संकेत हैं। भारत का बदलाव हो रहा है जिसमें आम आदमी की पहचान की जा रही है एवं उनका सशक्तिकरण किया जा रहा है। देश जाग सकता है बस देश को जगानेवाला चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार का मार्गदर्शन चार सिद्धांत कर रहे हैं. बैंकिंग सुविधा से वंचित लोगों को बैंक दायरे में लाया जाए, रिण सुविधा से वंचित लोगों को रिण मुहैया कराया जाए, असुरक्षित लोगों को सुरक्षा प्रदान की जाएगी और पेंशन सुविधा से रहित लोगों को पेंशन दी जाए।

नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि नोटबंदी की नीति के बारे में ठीक से सोच विचार नहीं किया गया था क्योंकि सरकार को अपनी एक नीति को लागू करने के लिए 135 सर्कुलर जारी करने पड़े जिसका कालाधन पर कोई प्रभाव नहीं दिखा और न ही नकली नोट के मुद्दे के संदर्भ में कोई सकारात्मक बात हुई। उन्होंने कहा कि बाजार में अभी भी नकदी नोट में कुछ त्रुटियां पायी जा रही हैं। कुछ नोट में महात्मा गांधी की तस्वीर नहीं है और एक जगह कागज बरामद किया गया जिसके एक तरफ तो नोट की छपाई है दूसरी ओर कोई छपाई नहीं है।

आजाद ने कहा, नोटबंदी के कारण किसान प्रभावित हुए हैं और राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार किसानों की आत्महत्या के मामले में 42 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। क्या इससे किसानों का भला होगा? नोटबंदी के बाद किसानों की दशा और बिगड़ी है और उनके पास खेती में लगने वाले बीजों, खाद और कीटनाशकों को खरीदने के लिए धन नहीं था। उन्होंने कहा कि किसानों को नोटबंदी के बाद अपने उत्पाद को सस्ते में बेचना पड़ रहा है और ऐसा नहीं लगता कि आने वाले समय में उनकी स्थिति में कोई सुधार होगा।

इससे पहले कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि देश की आजादी के 70 साल पूरे हो चुके हैं एवं इस देश के निर्माण में कई लोगों ने काम किया है। विचारधारा और सोच अलग हो सकती है। किन्तु यह हमारा दायित्व है कि उनके काम, उनके बलिदान का ईमानदारी से सम्मान किया जाए। उन्होंने कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर का निधन 1959 में हुआ, किन्तु उन्हें भारत रत्न 1990 में तब मिला जब वीपी सिंह की सरकार थी। इसी प्रकार भारत को एकजुट करने वाले सरदार पटेल का निधन 1950 में हुआ किन्तु उन्हें भारत रत्न 1991 में मिला। इस बीच पंडित जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी से लेकर तमाम महत्वपूर्ण लोगों को भारत रत्न मिल चुका था।

प्रसाद ने कहा, ‘वे कौन सी ताकतें थीं जो पटेल को सम्मानित करने से रोक रही थीं। मौलाना आजाद का 1959 में निधन हुआ और उनको 1992 में भारत रत्न मिला। इससे पीड़ा होती है। वे कौन सी ताकतें थी, वह कौन सी सोच थी जो इन्हें रोक रही थी। हमें इस बारे में सोचने की जरूरत है।’ उन्होंने यहां तक कहा, ‘कांग्रेस के सदस्य मुझे माफ करेंगे यदि 1990 के दशक के शुरू में परिवार के सदस्य सत्ता में होते तो पटेल एवं आजाद तक को इस सम्मान पाने के लिए वाजपेयी या मोदी सरकार का इंतजार करना पड़ता।’ 

कांग्रेस पर परोक्ष हमला करते हुए उन्होंने कहा कि मोदी सरकार पूर्व से सबक लेती है, वर्तमान में जीती है और भविष्य को मजबूत बनाती है। हम जब सत्ता में आए तो हमारे पास भी एक राजनीतिक विरासत थी। उस समय नीतिगत अपंगता थी। कितना भ्रष्टाचार था। उन्होंने कहा कि प्राय: कहा जाता है कि सृष्टि पंचतत्वों से बनी है। किन्तु संप्रग सरकार के शासन काल में पंचतत्वों की परिभाषा ही बदल गयी थी। अंतरिक्ष में देवास घोटाला हुआ, वायु में स्पेक्ट्रम घोटाला, आकाश में हेलीकाप्टर घोटाला, जमीन पर आदर्श एवं राष्ट्रमंडल खेल घोटाला, जमीन के नीचे कोयला घोटाला और समुद्र में भी पनडुब्बी घोटाला हुआ। हमें पंचतत्वों की नयी परिभाषा जानने को मिली। प्रसाद ने मोदी सरकार की विभिन्न योजनाओं एवं कार्यक्रमों का उदाहरण देते हुए कहा कि सरकार ने समाज के सभी वर्गो का सशक्तिकरण किया है।

धन्यावाद प्रस्ताव का अनुमोदन करते हुए भाजपा के वीपी सहस्रबुद्ध ने कहा कि हमारी सरकार निरंतरता के साथ बदलाव के सिद्धांत में विश्वास करती है। उन्होंने कहा कि सरकार ने सबका साथ सबका विकास का जो नारा दिया है, उसके तहत समाज के सभी वर्गो का विकास और सशक्तिकरण का काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार जमीनी स्तर पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार सामाजिक विकास के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार वंचितों के प्रति संवेदना रखते हुए उनका और गरीबों का कल्याण चाहती है।

सहस्रबुद्धे ने कहा कि सरकार ने क्रियान्वयन पर अधिक बल दिया है। उन्होंने कहा कि लोकसभा एवं राज्य विधानसभा चुनावों को एक साथ कराये जाने का प्रस्ताव एक महत्वपूर्ण सुझाव है। यदि इसे लागू किया जाए तो यह एक महत्वपूर्ण लोकतांत्रिक सुधार होगा और इससे जनता की सेवा होगी। सहस्रबुद्धे जब बोल रहे थे तो उसी बीच वाईएसआर कांग्रेस के विजय साई रेड्डी अपने स्थान पर खड़े होकर एक बैनर दिखाने लगे। उपसभापति पीजे कुरियन ने उनसे सदन में बैनर नहीं दिखाने को कहा। रेड्डी कुछ देर तक खड़े रहे। किन्तु बाद में अन्य सदस्यों के समझाये जाने पर वह बैठ गये। 

सपा के नीरज शेखर ने चर्चा में भाग लेते हुए नोटबंदी के कारण आम आदमी को होने वाली परेशानियों का विशेष तौर पर उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि सरकार यह दावा कर रही है कि नोटबंदी के फैसले पर जनता उनके साथ थी। उन्होंने दावा किया कि जनता के पास इसके अलावा चारा ही क्या था। उन्होंने सवाल किया कि यदि कुछ देशों की तरह जनता सरकार के इस कदम के खिलाफ सड़कों पर उतर आती तब जाकर क्या सरकार यह बात मानती कि उसके इस कदम से लोगों को भारी दिक्कतें हुई हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने नोटबंदी के फैसले को बिना तैयारियों के लागू कर दिया। उन्होंने कहा कि सरकार यह दावा कर रही है कि नोटबंदी से किसान और खेती प्रभावित नहीं हुए हैं। यदि ऐसी ही बात है तो किसानों को औने पौने दामों पर अपनी उपज क्यों बेचनी पड़ रही है। यदि सरकार को यह उम्मीद है कि खाद्यान्न उत्पादन बढ़ेगा तो फिर गेहू पर आयात शुल्क क्यों हटाया गया।

अन्नाद्रमुक के नवनीत कृष्णन राष्ट्रपति अभिभाषण में सरकार की उपलब्धियों का स्वागत किया। उन्होंने मांग की कि एमजीआर के शताब्दी वर्ष के आयोजनों के लिए केन्द्र की ओर से समुचित धन राशि उपलब्ध करायी जाये। तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि नोटबंदी के फैसले के कारण देश भर के लोगों को भरी दिक्कतें हुए। उन्हें अपना ही धन बैंक से निकालने में भारी दिक्कत हो रही है। सरकार ने इस फैसले के जरिये संसद की अवहेलना की है। 

डेरेक ने सरकार पर तीखे हमले करते हुए कहा कि नोटबंदी के कारण दैनिक मजदूर सहित विभिन्न वर्गो का रोजगार छिन गया। उन्होंने राष्ट्रपति अभिभाषण में महिला आरक्षण का कोई उल्लेख नहीं होने पर भी निराशा जतायी। चर्चा में भाग लेते हुए भाकपा के डी राजा ने कहा कि देश एक गंभीर दौर से गुजर रहा है और लोग असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। लेकिन उन चुनौतियों की ओर अभिभाषण में ध्यान नहीं दिया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि देश की विदेश नीति अमेरिकी दबाव में है। उन्होंने कहा कि भारत की विदेश नीति स्वतंत्र रही है तथा यह किसी एक दल की नीति नहीं होती। राजा ने कहा कि देश की विदेश नीति संप्रभु होनी चाहिए और इसे किसी के प्रभाव में नहीं आना चाहिए।

भाकपा नेता ने इसके साथ ही आरोप लगाया कि दलितों और आदिवासियों के उत्पीड़न को रोकने की दिशा में भी प्रभावी उपाय नहीं किए गए हैं। उन्होंने महिला आरक्षण का भी जिक्र किया और कहा कि उन्हें सामाजिक सुरक्षा मुहैया कराए जाने पर जोर देना चाहिए। मनोनीत स्वप्न दासगुप्ता ने सरकार के नोटबंदी के फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि यह एक काफी बड़ा और चुनौतीपूर्ण काम था। उन्होंने कहा कि नोटबंदी से मिले फायदे को आगे बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सरकार की आलोचना जायज है लेकिन नकारात्मकता उचित नहीं है। धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा अधूरी रही।

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