सूत्रों के मुताबिक मारे गए चीनी जवानों, घायल सैनिकों को एयरलिफ्ट कराने के इरादे से ये आए थे.
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नई दिल्ली: लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत और चीन के बीच झड़प के बाद चीनी हेलीकॉप्टरों को एलएसी पार देखा गया. न्यूज एजेंसी ANI ने सूत्रों के हवाले से कहा कि इस घटना के बाद चीनी हेलीकॉप्टरों की संख्या में इजाफा देखा गया. ये माना जा रहा है कि मारे गए चीनी जवानों, घायल सैनिकों को एयरलिफ्ट कराने के इरादे से ये आए थे.
पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में सोमवार रात को चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में भारतीय सेना के कुल 20 सैनिक शहीद हो गए. न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक 20 चीनी सैनिक भी मारे गए हैं. सूत्रों के मुताबिक चीनी पक्ष की तरफ से हताहतों की संख्या 43 है. ये संख्या अभी और बढ़ सकती है. इस घटना से पहले से जारी गतिरोध की स्थिति और गंभीर हो गई है.
Increase in Chinese chopper activity observed across the LAC to airlift casualties suffered by them during face-off with Indian troops in Galwan valley: Sources to ANI https://t.co/uMExblXYxq
— ANI (@ANI) June 16, 2020
सेना ने भी मंगलवार को जारी एक वक्तव्य में कहा कि 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए हैं. शुरुआत में भारतीय सेना ने कहा था कि झड़प में एक अधिकारी और दो सैनिक शहीद हुए. बाद में सेना की ओर से जारी एक वक्तव्य में कहा गया कि 17 अन्य सैनिक “जो अत्यधिक ऊंचाई पर शून्य से नीचे तापमान में गतिरोध के स्थान पर ड्यूटी के दौरान गंभीर रूप से घायल हो गए थे, उन्होंने दम तोड़ दिया है जिसके बाद शहीद हुए सैनिकों की संख्या बढ़कर 20 हो गई है.”
वक्तव्य में कहा गया, “भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच गलवान क्षेत्र में जिस स्थान पर 15/16 जून 2020 को झड़प हुई वहां से दोनों सेनाओं के सैनिक हट गए हैं.” वक्तव्य में कहा गया कि “भारतीय सेना राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध है.”
1975 के बाद पहली बड़ी घटना
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत, तीनों सेनाओं के प्रमुख व विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कल रात की झड़प के साथ-साथ पूर्वी लद्दाख के संपूर्ण हालात से अवगत कराया.
सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार 1975 में अरुणाचल प्रदेश में तुलुंग ला में हुए संघर्ष में चार भारतीय जवानों की शहादत के बाद यह इस तरह की पहली घटना है.