Kashmir G20 Summit: मिस्र ने धारा-370 हटने से पहले और बाद में भी इस मुद्दे पर हमेशा शांत रुख अपनाए रखा और बातचीत से विवाद हल करने की बात कही. अल-सीसी सरकार ने भी पाकिस्तान को इस मुद्दे पर अपना सपोर्ट नहीं दिया. लेकिन जी20 बैठक में मिस्र के शामिल नहीं होने से कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं.
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Pakistan on G20 Summit: जी-20 टूरिज्म वर्किंग ग्रुप की बैठक सोमवार से जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में शुरू हो गई. साउथ अफ्रीका, अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी और यूरोपियन यूनियन जैसे 17 देशों के 60 डेलिगेट्स इसमें शरीक हो रहे हैं. जम्मू-कश्मीर में जी-20 बैठक होने के कारण एक तरफ चीन ने नाराजगी जताई है, वहीं दूसरी ओर आखिरी वक्त तक भी सऊदी अरब, इंडोनेशिया और तुर्की ने भी इसके लिए रजिस्ट्रेशन नहीं किया.
लेकिन हैरान करने वाली बात ये है कि भारत से दोस्ती का दावा करने वाला मिस्र भी इस बैठक से दूर रहा. हालांकि मिस्र जी-20 का सदस्य देश नहीं है. लेकिन उसको मेहमान देश के तौर पर न्योता भेजा गया था. लेकिन फिर भी वह इसमें शरीक नहीं हुआ.
साफ नहीं हो पाई वजह
जी-20 के कश्मीर में होने के कारण मिस्र इसमें शामिल नहीं हुआ फिलहाल यह साफ नहीं हो पाया है. लेकिन पाकिस्तान इसको अपनी कूटनीतिक जीत के तौर पर देख रहा है. कश्मीर में जी-20 होने से पाकिस्तान लगातार मुस्लिम देशों से इसमें हिस्सा नहीं लेने की बात कह रहा है. उसने ब्रिटेन, अमेरिका के अलावा कई अन्य देशों से इसमें भाग नहीं लेने और बहिष्कार करने की अपील की थी. लेकिन इन देशों ने उसका अनुरोध ठुकरा दिया.
दरअसल पाकिस्तान चाहता है कि मुस्लिम देश इस बैठक में शरीक न हों क्योंकि उनके इसमें शामिल होने से दुनिया में यह संदेश जाता कि कश्मीर से धारा-370 हटना उनके लिए कोई बड़ा मुद्दा नहीं है.
भारत का अहम साझेदार है मिस्र
मिस्र और भारत की दोस्ती काफी गहरी है. दोनों देशों के बीच बड़े स्तर पर व्यापार होता है, जिसमें गेहूं का बड़ा हिस्सा है. इसी साल की 26 जनवरी की परेड में मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी मुख्य अतिथि थे. साल 2019 में जब नरेंद्र मोदी सरकार ने कश्मीर से धारा-370 हटाई थी, तब पूरी दुनिया में सुर्खियां बनी थीं. पाकिस्तान ने अपने दोस्त चीन के साथ मिलकर विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत को घेरने की कोशिश की लेकिन हर बार उसको मुंह की खानी पड़ी. मिस्र से भी पाकिस्तान ने इस मुद्दे पर साथ देने की अपील की थी लेकिन फिर भी भारत और मिस्र की दोस्ती पर कोई फर्क देखने को नहीं मिला.
खड़े हो रहे कई सवाल
मिस्र ने धारा-370 हटने से पहले और बाद में भी इस मुद्दे पर हमेशा शांत रुख अपनाए रखा और बातचीत से विवाद हल करने की बात कही. अल-सीसी सरकार ने भी पाकिस्तान को इस मुद्दे पर अपना सपोर्ट नहीं दिया. लेकिन जी20 बैठक में मिस्र के शामिल नहीं होने से कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. इस बैठक में सऊदी, तुर्की, इंडोनेशिया के शरीक नहीं होने का जश्न तो पाकिस्तान पहले ही मना रहा है. लेकिन मिस्र के शामिल नहीं होने के बाद पाकिस्तानी मीडिया में अलग ही खुशी झलक रही है.