Chandrayaan-3: भारत अंतरिक्ष में इतना आगे निकल चुका है कि सच तो यह है कि पाकिस्तान से तुलना ही नहीं की जा सकती है. लेकिन फिर भी एक नजर डाल लेते हैं कि इसरो के सामने पाकिस्तानी स्पेस एजेंसी कहां खड़ी है.
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India-Pak In Space: भारत के चांद मिशन को लेकर चंद्रयान-3 अपने लक्ष्य यानी कि चंद्रमा की तरफ बढ़ रहा है, देशवासियों की उम्मीदें और शुभकामनाएं चंद्रयान-3 के साथ हैं. देश और दुनिया भर से इस पर प्रतिक्रियाओं का भी दौर जारी हैं. इसी बीच सोशल मीडिया पर यह बहस सामने आई कि पाकिस्तान की स्पेस स्थिति क्या है. असल में भारत अंतरिक्ष में इतना आगे निकल चुका है कि सच तो यह है कि पाकिस्तान से तुलना ही नहीं की जा सकती है. लेकिन फिर भी एक नजर डाल लेते हैं कि इसरो के सामने पाकिस्तानी स्पेस एजेंसी कहां खड़ी है.
दरअसल, एक तरह से देखा जाए तो भारत-पाकिस्तान एक साथ ही आजाद हुए. भारत ने विकास, शांति और तरक्की चुनी तो पाकिस्तान ने आतंकवाद, हिंसा और नफरत की राजनीति को चुन लिया. दोनों का परिणाम पूरी दुनिया ने देखा. और यही परिणाम स्पेस कार्यक्रमों में भी देखने को मिला. भारत जहां आज अंतरिक्ष में अपना डंका बजा रहा है तो वहीं पाकिस्तान का कुछ अता-पता नहीं है. भारत का चंद्रयान-3 चांद पर लैंड करने वाला है तो वहीं पाकिस्तान अभी भी खराब अर्थव्यवस्था और कर्ज से जूझ रहा है, उसके स्पेस कार्यक्रम में क्या चल रहा है कुछ पता नहीं है.
भारत की अंतरिक्ष एजेंसी ISRO की तरह पाकिस्तान में 'स्पेस एंड अपर एटमोसफेयर रिसर्च कमीशन' (SUPARCO) है. इसका हेडक्वाटर कराची में है. और इसे 1961 को स्थापित किया था. वैसे तो SUPARCO का मिशन स्पेस साइंस, स्पेस टेक्नोलॉजी के लिए काम करना है, मगर ये ज्यादातर मिसाइल बनाने का ही काम करती है. ISRO के लिए इस साल 12.5 हजार करोड़ का बजट आवंटित किया गया. जबकि पाकिस्तानी स्पेस एजेंसी का बजट 739 करोड़ पाकिस्तानी रुपए (200 करोड़ भारतीय रुपए) का रहा है. इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है.
इतने सालों में अभी तक पाकिस्तान सिर्फ पांच रॉकेट छोड़ पाया है जबकि इसरो ने 61 सालों में 34 देशों के 424 सैटेलाइट्स को लॉन्च किया है. इतना ही नहीं इसरो दुनिया की नंबर एक स्पेस एजेंसी है, जो कॉमर्शियल लॉन्चिंग की बादशाह है. इसरो 123 स्पेसक्राफ्ट मिशन, 91 लॉन्च मिशन, 15 स्टूडेंट सैटेलाइट्स, 2 री-एंट्री मिशन, तीन भारतीय प्राइवेट सैटेलाइट्स लॉन्च कर चुका है.
सच तो ये है कि शुरुआत में अमेरिका और फिर आधुनिक दौर में चीन की मदद के बावजूद भी आज तक पाकिस्तान स्पेस सेक्टर में बुरी तरह असफल रहा है. उसके पास ना तो चांद मिशन के लिए कोई रोडमैप है ना ही भारत जैसा बड़ा आईटी सेक्टर है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि पाकिस्तान आंतरिक कलह में बर्बाद हो गया, वह कभी भी स्पेस अनुसंधान के लिए फोकस नहीं कर पाया. पाकिस्तान का लगातार बढ़ता रहा विदेशी कर्ज भी इसके स्पेस प्रोग्राम को आगे न ले जा पाने के पीछे जिम्मेदार है.
वहीं यह बात भी सही है कि पाकिस्तान के स्पेस में पिछड़ने की एक सबसे बड़ी वजह यह भी रही कि उसने हथियारों को बनाने पर ज्यादा फोकस किया. पाकिस्तान ने स्पेस इंडस्ट्री में पैसा लगाने के बजाय डिफेंस इंडस्ट्री को ज्यादा तरजीह दी है. फिलहाल भारत लगातार स्पेस कार्यक्रमों को आगे बढ़ाता गया. इसका नतीजा सबके सामने है और पूरी दुनिया सलाम कर रही है.