DNA with Sudhir Chaudhary: कुछ बड़ी तैयारी में है भारत? ब्रह्मोस मिसाइल के एक साथ 2 ट्रायल
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DNA with Sudhir Chaudhary: कुछ बड़ी तैयारी में है भारत? ब्रह्मोस मिसाइल के एक साथ 2 ट्रायल

BrahMos Missile Trial: क्या भारत किसी भविष्य की तैयारी में जुटा हुआ है. भारतीय वायु सेना और नौसेना ने 19 अप्रैल को ब्रह्मोस मिसाइल के दो अलग अलग Version का परीक्षण कर इन चर्चाओं को और बल दे दिया है. 

DNA with Sudhir Chaudhary: कुछ बड़ी तैयारी में है भारत? ब्रह्मोस मिसाइल के एक साथ 2 ट्रायल

BrahMos Missile Trial: भारत की ब्रह्मोस मिसाइल ने सफलता का एक और पड़ाव पार कर लिया है. भारतीय वायु सेना और नौसेना ने 19 अप्रैल को ब्रह्मोस मिसाइल के दो अलग अलग Version का सफल परीक्षण किया. इनमें एक मिसाइल का परीक्षण चेन्नई में भारतीय नौसेना के युद्धपोत INS दिल्ली से किया गया और दूसरी मिसाइल लड़ाकू विमान सुखोई 30-MKI से लॉन्च की गई.

ये दोनों अलग अलग तरह की Missiles हैं. पहली मिसाइल को Sea to Sea Missile कहा जाता है. यानी ऐसी मिसाइल, जो समुद्र से समुद्र में हमला करती है और दूसरी मिसाइल को Air to Surface कहा जाता है. इसमें मिसाइल हवा से समुद्र या जमीन की सतह पर मौजूद टारगेट को नष्ट करती है.

Brahmos Aerospace ने विकसित की है मिसाइल

ब्रह्मोस मिसाइल, आत्मनिर्भर भारत की ताकत को दिखाती है. इसे रक्षा कम्पनी, Brahmos Aerospace ने विकसित किया है, जिसमें भारत सरकार के Defence Research and Development Organisation यानी DRDO और Russia दोनों पार्टनर हैं. यानी भारत और Russia ने मिल कर इस मिसाइल को भारत में ही विकसित किया है.

ब्रह्मोस एक सुपरसोनिक Cruise मिसाइल है, जिसेजमीन और हवा दोनों जगहों से दुश्मन पर दागा जा सकता है. इसके अलावा इसे समुद्र तल और समुद्र के अन्दर से भी लॉन्च किया जा सकता है. यानी ये मिसाइल, Submarines से भी लॉन्च हो सकती है. इसे युद्धपोत और समुद्री जहाज से भी दागा जा सकता है. ये लड़ाकू विमान और जमीन से भी लॉन्च हो सकती है.

वेरिएंट के आधार पर मिसाइल में अंतर

आपके मन में ये सवाल जरूर होगा कि जब किसी मिसाइल को जमीन से हवा में और हवा से जमीन में दागा जाता है तो इसमें क्या अंतर होता है. तो ये Missiles टारगेट को ध्यान में रखते हुए बनाई जाती हैं. जैसे जो Missiles हवा से लॉन्च होती हैं, उनका वज़न कम होता है क्योंकि इस दौरान ये Missiles किसी लड़ाकू विमान से लॉन्च की जाती हैं. इस दौरान इनकी रेंज और इनकी स्पीड भी अलग होती है. Air to Surface मिसाइल का इस्तेमाल तब होता है, जब किसी दुर्गम और अन्दर के इलाके में किसी टारगेट को नष्ट करना होता है.

जबकि जो Missiles सतह से सतह पर मार करती हैं, उनका वजन ज्यादा होता है और ये Missiles ज्यादा विनाशाकारी होती हैं. इस तरह की Missiles को मिलिट्री ट्रकों में एक जगह से दूसरी जगह ले जा सकता है. भारत अब तक ब्रह्मोस मिसाइल के सभी Version का सफल परीक्षण कर चुका है. यानी हमारी तीन सेनाएं इस मिसाइल का इस्तेमाल कर सकती हैं.

जमीन के नजदीक उड़ती है ब्रह्मोस

बड़ी बात ये है कि ये मिसाइल जमीन और समुद्र की सतह के काफी करीब उड़ती है, जिससे दुश्मनों के Radar इसका पता नहीं लगा पाते. इसके अलावा ब्रह्मोस मिसाइल सतह से 10 मीटर से लेकर 14 हजार मीटर की ऊंचाई तक के लक्ष्यों को भेद सकती है.

इसकी लंबाई आमतौर पर 8 से 9 मीटर, यानी 26 से 30 फीट तक होती है. हालांकि इसके कुछ Variant ऐसे हैं, जिनकी लंबाई 42 फीट तक भी है. एक ब्रह्मोस मिसाइल की औसतन स्पीड लगभग साढ़े तीन हजार किलोमीटर प्रति घंटा होती है. एक ब्रह्मोस मिसाइल को बनाने का खर्च करीब 40 करोड़ रुपये है.

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लगभग पूरा पाकिस्तान रेंज में

ब्रह्मोस मिसाइल का जो Advanced Version है, उसकी Range 350 किलोमीटर मानी जाती है. यानी बलोचिस्तान और सिंध के कुछ इलाकों को छोड़ कर बाकी पूरा पाकिस्तान इस मिसाइल की रेंज में आता है.

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