Indian Army: Jammu Kashmir Light Infantry में सैनिक बने 614 रिक्रूट, देश सेवा की ली शपथ
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Indian Army: Jammu Kashmir Light Infantry में सैनिक बने 614 रिक्रूट, देश सेवा की ली शपथ

जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद हालात तेजी से बदल रहे हैं. अब सूबे के सैकड़ों युवाओं ने पाकिस्तान को एक बार फिर बड़ा संदेश दिया है. 

कश्मीर में भारतीय सेना का अंग बनने के बाद जोश में सैनिक

श्रीनगर: श्रीनगर (Srinagar) के बाना सिंह परेड ग्राउंड में शुक्रवार सुबह 614 रिक्रूट एक साल की बेहद मुश्किल ट्रेनिंग पूरी करके जम्मू-कश्मीर लाइट इंफेंट्री (Jammu Kashmir Light Infantry) में सैनिक बन गए. इस रेजिमेंट में जम्मू-कश्मीर के युवा भर्ती होते हैं और इस बार रिकॉर्ड तादाद में युवाओं ने देश की रक्षा का यह रास्ता चुना. 

  1. साहिर कुमार बने ओवर ऑल बेस्ट रिक्रूट
  2. इरशाद अहमद डार बने बेस्ट फायरर 
  3. वर्ष 1947 में हुई रेजिमेंट की स्थापना

साहिर कुमार बने ओवर ऑल बेस्ट रिक्रूट

आतंकवाद के चंगुल से निकलने और आम कश्मीरी के देश की मुख्यधारा में शामिल होने का ये एक और शानदार सबूत है. जम्मू-कश्मीर लाइट इंफेंट्री (Jammu Kashmir Light Infantry) में केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के हर क्षेत्र और धर्म के सैनिक भर्ती होते हैं. इस बैच में रिक्रूट साहिर कुमार को ओवर आल बेस्ट रिक्रूट चुना गया और उन्हें शेरे कश्मीर स्वार्ड ऑफ ऑनर के साथ त्रिवेणी सिंह मेडल प्रदान किया गया. 

इरशाद अहमद डार बने बेस्ट फायरर 

वहीं रिक्रूट इरशाद अहमद डार को सर्वश्रेष्ठ फ़ायरर चुना गया और चेवांग रिनेछेन मेडल दिया गया. चिनार कोर कमांडर ले. जनरल डीपी पांडे ने कहा कि कश्मीर के ज्यादा से ज्यादा युवाओं को सुरक्षा बलों में भर्ती हो रहे हैं और उनके परिवार को उन्हें प्रोत्साहित कर रहे हैं.   

वर्ष 1947 में हुई रेजिमेंट की स्थापना

जम्मू-कश्मीर लाइट इंफेंट्री रेजिमेंट (Jammu Kashmir Light Infantry) का लंबा गौरवशाली इतिहास रहा है. इसकी स्थापना 1947 में पाकिस्तानी सेना और कबायलियों के हमले के दौरान जम्मू-कश्मीर मिलीशिया के तौर पर की गई थी जिसमें जम्मू, लेह, नुब्रा जैसी कई जगहों पर स्थानीय युवकों को संगठित करके उन्हें हमलावरों को रोकने की ज़िम्मेदारी दी गई थी. 

वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद इस मिलीशिया की दो बटालियनों से लद्दाख स्काउट्स की स्थापना की गई थी. 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद 1972 में इस मिलीशिया को भारतीय सेना की रेगुलर रेजिमेंट बना दिया गया और 1976 में इसका नाम जम्मू-कश्मीर लाइट इंफेंट्री रेजिमेंट (Jammu Kashmir Light Infantry) कर दिया गया. 

सियाचिन जीतने का सम्मान है हासिल

सियाचिन को जीतने का सम्मान भी इसी रेजिमेंट को मिला है और इस पराक्रम के लिए कैप्टन बाना सिंह को वीरता का सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र दिया गया. इस रेजिमेंट को अब तक 1 परमवीर चक्र, 3 अशोक चक्र, 10 महावीर चक्र, 34 वीर चक्र और 4 शौर्य चक्र मिल चुके हैं. 

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पाकिस्तान के लिए खास संदेश

भारतीय सेना में बड़ी तादाद में कश्मीरी युवाओं का भर्ती होना पाकिस्तान के लिए भी खास संदेश माना जा रहा है. वह संदेश ये है कि अब जम्मू-कश्मीर के युवा उसकी चालों में नहीं आने वाले हैं और देश के साथ कदमताल मिलाकर चलना चाहते हैं.

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