Prayagraj: अद्भुत है Railway का सबसे बड़ा Operation Control Centre, खूबियां जानकर होगा गर्व
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Prayagraj: अद्भुत है Railway का सबसे बड़ा Operation Control Centre, खूबियां जानकर होगा गर्व

World’s 2nd largest Operation Control Centre for DFC in Prayagraj: कंट्रोल रूम से ट्रेनों के संचालन के साथ ट्रैक की गड़बड़ी का भी पता चल सकेगा. फाल्ट आते ही उसकी लोकेशन और डिटेल स्क्रीन पर दिखेगी. फिर नजदीक में मौजूद पेट्रोलिंग टीम भेजकर फाल्ट को फौरन दूर किया जा सकेगा.

देश का सबसे बड़ा रेलवे कंट्रोल रूम प्रयागराज में बना है....

नई दिल्ली: भारत में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हाईटेक रेल कंट्रोल सेंटर का निर्माण हुआ है. करीब 4.5 एकड़ एरिया में तैयार हुआ ये कंट्रोल रूम प्रयागराज में बना है. कंट्रोल रूम का देश के सबसे महत्वाकांक्षी रेलवे प्रोजेक्ट डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर से जुड़ा है. ईस्टर्न कॉरिडोर पर मौजूद ये देश का सबसे बड़ा रेलवे कंट्रोल रूम है. 

  1. 4.5 एकड़ में फैला है सबसे हाईटेक रेलवे कंट्रोल रूम 
  2. चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कंट्रोल रूम तैयार
  3. एक छत के नीचे से होगा निगरानी और संचालन का काम

75 करोड़ की लागत से निर्माण

कई खूबियों से लैस ये कंट्रोल रूम देश का सबसे बड़ा मॉडर्न और हाईटेक सेंटर है जिसके निर्माण में 75 करोड़ से ज्यादा की लागत आई है. आपको बता दें कि
देश में इस वक्त पहले चरण में दो कॉरिडोर तैयार किये जा रहे है ईस्टर्न डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर जो 1875 किलोमीटर लंबा लुधियाना से दानकुनी बंगाल तक है. वहीं वेस्टर्न डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर नोएडा के दादरी से मुंबई पोर्ट तक बन रहा है जिसकी लंबाई 1504 किलोमीटर है. इन दोनों गलियारों को पूरा करने के लिए युद्धस्तर पर काम चल रहा है. 

प्रयागराज में यमुना नदी पर बन रहा लगभग सवा किलोमीटर लंबा एक ब्रिज भी इसी कॉरिडोर का हिस्सा है इसके निर्माण में युद्ध स्तर पर काम हो रहा है.

प्रधानमंत्री कर चुके हैं उद्घाटन

दोनों कॉरिडोर के तैयार किए हिस्सों का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही कर चुके हैं. दोनों कॉरीडोर के कुछ हिस्सों में मालगाड़ियों का संचालन शुरू हो चुका है. वहीं 351 किलोमीटर लंबे ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर में खुर्जा से भाऊपुर तक गुड्स ट्रेनें दौड़ रही है. प्रयागराज में तैयार हाईटेक कंट्रोल रूम से डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर की सभी ट्रेनों का नियंत्रण अब इसी एक जगह से होगा. 

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कंट्रोल रूम की खासियत

रेलवे कंट्रोल रूम में मौजूद वीडियो वाल की लंबाई 90 मीटर से ज्यादा है जैसे-जैसे कॉरिडोर के किसी हिस्से पर ट्रेन दौड़नी शुरू होगी उसी हिसाब से कंट्रोल रूम में लगी स्क्रीन बड़ी होती जाएगी. फिलहाल रेल विभाग में ट्रेनों का कंट्रोल और निगरानी अलग-अलग डिवीजन के स्तर पर विभिन्न लोग करते हैं. ये काम बेहद चुनौती भरा होता है. वहीं विभाग अब पैसेंजर ट्रेनों के लिए भी इसी सिस्टम का इस्तेमाल करेगा. इस हाईटेक सिस्टम का फायदा यही है की रेलवे लाइन और दौड़ती ट्रेनों पर नजर एक ही छत के नीचे से रखी जा सकेगी.

3 केंद्रों से पूरे देश पर नजर

रेलवे अधिकारियों के मुताबिक दुनिया मे इससे बड़ा कंट्रोल रूम सिर्फ चीन में ही है. भारत मे वेस्टर्न कॉरिडोर के लिए ऐसा ही कंट्रोल रूम अहमदाबाद में बन रहा है और दोनों के बैकअप सेफ्टी के लिए तीसरा कंट्रोल रूम नोएडा में तैयार किया जा रहा है.

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केंद्रीय निगरानी तंत्र के फायदे

इससे एक जगह से ट्रेनों का रूट तय करने में आसानी होती है. ट्रेन हादसे की संभावनाओं को रोका जा सकता है. ट्रैक के फाल्ट के साथ ही ट्रैक के ऊपर की पावर लाइन में फाल्ट की चौबीसों घंटे निगरानी की जा सकती है. इसी तरह पावरलाइन ट्रिप या किसी भी अन्य गड़बड़ी को उसी समय ठीक किया जा सकता है.

दूर होगी लेट-लतीफी

अमूमन रेलवे का नाम लेते ही आपके मन में ट्रेनों की लेटलतीफी वाली तस्वीर आती है लेकिन अब जैसे जैसे गुड्स ट्रेन डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर पर शिफ्ट होती जाएगी तो रेलवे की लेटलतीफी वाली तस्वीर भी बदलती जाएगी तब ना सिर्फ पैसेंजर ट्रेन तय वक्त पर पहुंचेंगी. वहीं गुड्स ट्रेन भी सही समय पर अपना टारगेट पूरा करेंगी. इसलिए इसे देश मे क्रांतिकारी बदलाव वाला कंट्रोल रूम कहा जा रहा है. 

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