भारत-रूस के बीच कई अहम समझौते, PM मोदी ने रूस के साथ सामरिक संबंधों को बताया अतुलनीय
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भारत-रूस के बीच कई अहम समझौते, PM मोदी ने रूस के साथ सामरिक संबंधों को बताया अतुलनीय

एक दिवसीय भारत दौरे पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। दोनों के बीच प्रतिनिधि स्तर की बैठक हुई। इसके बाद भारत और रूस के बीच 15वीं सालाना शिखर बैठक शुरू हुई। उसके बाद दोनों नेताओं (राष्ट्रपति व्लादिमीर, नरेंद्र मोदी) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। भारत और रूस के बीच 16 समझौते हुए।

भारत-रूस के बीच कई अहम समझौते, PM मोदी ने रूस के साथ सामरिक संबंधों को बताया अतुलनीय

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि भारत के विकल्प भले ही बढ़ गए हों फिर भी रूस देश का ‘सबसे महत्वपूर्ण’ रक्षा सहयोगी बना रहेगा। इस बीच, मास्को ने प्रस्ताव दिया है कि वह अपने आधुनिकतम हेलीकाप्टरों में से एक का निर्माण पूरी तरह से भारत में करेगा।

रूस 2035 तक भारत में कम-से-कम 12 परमाणु रिएक्टर लगाएगा और उसने यहां अत्याधुनिक हेलीकाप्टरों के विनिर्माण पर भी सहमति भी जताई है। दोनों देशों ने आज यहां कुल मिलाकर अपने रणनीतिक सहयोग को और गति देने के लिये तेल, गैस, रक्षा, निवेश और अन्य प्रमुख क्षेत्रों में 20 समझौतों पर हस्ताक्षर किए।

मोदी ने भारत के दौरे पर आए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बातचीत की और इस दौरान भारत और रूस रक्षा सहयोग में ‘असीमित’ अवसर तलाशने पर सहमत हुए। मोदी ने इस बात को रेखांकित करते हुए कि बीते दशकों में रूस भारत का सबसे प्रमुख रक्षा सहयोगी रहा है, कहा कि प्रधानमंत्री के तौर पर दिल्ली से बाहर उनका पहला दौरा विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य का था, जिसे रूस से यहां लाया गया है। मोदी ने यहां पुतिन से मुलाकात करने के बाद मीडिया के लिए जारी बयान में कहा कि यह हमारे रक्षा सहयोग के गहरे प्रतीक को दर्शाता है। आज हालांकि भारत के विकल्प बढ़ गए हैं, (फिर भी) रूस हमारा सबसे महत्वपूर्ण रक्षा सहयोगी बना रहेगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि रूस से हमारे संबंध बहुत पुराने है। भारत हमेशा से रूस के साथ खड़ा रहा है और रूस भी हमारा अहम सहयोगी रहा है। मोदी ने रूस के साथ सामरिक संबंधों को अतुलनीय बताया। रूस ने भारत में हेलीकॉप्टर निर्माण का प्रस्ताव दिया है। ये हेलीकॉप्टर पूरी तरह से भारत में बनाए जाएंगे। रूस ने मेक इन इंडिया योजना के लिए भी सहयोग देने की बात कही।

प्रधानमंत्री ने कहा कि रूस भारत के विकास, सुरक्षा एवं अंतरराष्ट्रीय संबंधों के लिए मजबूत स्तंभ रहा है और दोनों देशों ने कई नई रक्षा परियोजनाओं पर चर्चा की है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि मुझे खुशी है कि रूस ने अपने अत्याधुनिक हेलीकाप्टरों में से एक के भारत में पूरी तरह से विनिर्माण की पेशकश की है। इसमें भारत से निर्यात की संभावना शामिल है। इसका सैन्य और असैन्य दोनों इस्तेमाल हो सकता है। हम इस पर जल्दी ही कदम बढाएंगे। परमाणु क्षेत्र में सहयोग का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि दोनों पक्षों ने परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग का महत्वकांक्षी दृष्टिकोण तय किया है और इसमें कम-से-कम 10 और परमाणु रिएक्टरों के निर्माण किए जाएंगे। मोदी ने कहा कि इन रिएक्टरों में सुरक्षा के विश्वस्तरीय उच्चतम मानक अपनाए जाएंगे।

उन्होंने कहा कि इसमें उपकरणों और कल-पुजरें का भारत में विनिर्माण भी शामिल होगा। यह हमारी ‘मेक इन इंडिया’ नीति से मेल खाता है। परमाणु सहयोग पर रणनीतिक दृष्टिकोण के दस्तावेज में कहा गया है कि दोनों पक्षों ने उन परमाणु बिजलीघरों के तेजी से क्रियान्वयन का निर्णय किया है जिस पर सहयोग की सहमति बनी है। दोनों पक्ष 2008 के समझौते के तहत अगले दो दशकों में कम-से-कम 12 परमाणु रिएक्टरों के निर्माण और उसे चालू करने का प्रयास करेंगे। दोनों पक्षों ने कुल 20 समझौतों पर हस्ताक्षर किये जिसमें परमाणु ऊर्जा, तेल एवं गैस, स्वास्थ्य, निवेश, खनन, मीडिया तथा पवन उर्जा समेत विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग की बात कही गई है।

बातचीत को ‘ठोस’ बताते हुए पुतिन ने कहा कि रूस ‘संयुक्त उच्च प्रौद्योगिकी’ परियोजनाओं में सहायता करेगा और एक भारतीय मोबाइल दूरसंचार सेवा कंपनी की स्थापना को सुगम बनाएगा। साथ ही उन्होंने भारत को रूस यात्री विमान बेचने की भी पेशकश की। रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि रूस और भारत का रक्षा क्षेत्र में दीर्घकालीन सहयोग रहा है और दोनों देश सैन्य हार्डवेयर के संयुक्त रूप से उत्पादन के स्तर पर पहुंच गए हैं। पुतिन ने संकेत दिया कि रूस भारत में सैन्य साजो सामान बनाने को लेकर अनिच्छुक नहीं है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने ब्राह्मोस मिसाइल कार्यक्रम को सफलतापूर्वक क्रियान्वित किया है और एक लड़ाकू जेट तथा बहु-आयामी भूमिका वाले परिवहन विमान के विनिर्माण कार्यक्रम पर काम कर रहे हैं।

बातचीत के दौरान भारत रूसी डिजाइन वाले परमाणु बिजलीघरों के निर्माण के लिये कुडनकुलम के अलावा किसी नयी जगह की तेजी से पहचान करने पर सहमति दी। रक्षा क्षेत्र में सहयोग पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि विभिन्न नई रक्षा परियोजनाओं पर भी चर्चा हुई जिसमें यह भी शामिल था कि हमारे रक्षा संबंधों को ‘मेक इन इंडिया’ समेत भारत की अपनी प्राथमिकताओं के साथ कैसे संबद्ध किया जाए।

उन्होंने कहा कि मैंने यह भी प्रस्ताव दिया कि रूस को भारत में रूसी रक्षा उपकरणों के लिये कल-पुजरे और अन्य संबंधित उपकरणों हेतु विनिर्माण केंद्र लगाना चाहिए। भारत की आर्थिक वृद्धि के लिये ऊर्जा सुरक्षा को महत्वपूर्ण बताते हुए मोदी ने कहा कि दोनों देश तेल एवं प्राकृतिक गैस के क्षेत्र में सहयोग के लिये महत्वकांक्षी एजेंडा तय करेंगे। जिन समझौतों पर आज हस्ताक्षर हुए उनमें तेल एवं गैस के संयुक्त उत्खनन तथा उत्पादन, दीर्घकालीन एलएनजी आपूर्ति तथा रूस से भारत के बीच हाइड्रोकार्बन पाइपलाइन प्रणाली के लिये संयुक्त अध्ययन शामिल है। ऑयल इंडिया लि. ने संयुक्त अनुसंधान तथा नये हाइड्रोकार्बन उत्खनन, उत्पादन तथा परिवहन संबंधी परियोजनाओं के लिये रूस की जारूबेजनेफ्ट के साथ सहमति पर हस्ताक्षर किया।

भारत की एस्सार तथा रूस की रोजनेफ्ट ने भी कच्चे तेल की दीर्घकालीन आपूर्ति के लिये समझौते किये। समझौते के तहत भारत 10 साल तल तेल खरीदेगा। टाटा पावर तथा रूसी डायरेक्ट इनवेस्टमेंट फंड (आरडीआईएफ) के बीच भी एक सहमति पत्र पर दस्तखत किये गये। यह शुरूआती समझौता रूसी परिसंघ में ऊर्जा क्षेत्र में निवेश अवसरों को तलाशने में सहयोग के लिये है। भारतीय कंपनियों के एक समूह द्वारा रूस की उर्वरक कंपनी एसीआरओएन की दो अरब डालर की परियोजना के अधिग्रहण के लिये भी एक समझौता किया गया। कुडनकुलम परमाणु बिजली संयंत्र की तीसरी और चौथी इकाई लगाने के लिये भारतीय परमाणु उर्जा निगम लि. (एनपीसीआईएल) तथा एटीओएमएसटीआरओवाई एक्सपोर्ट (एएसई) ने समझौते किए।

प्रेस ट्रस्ट आफ इंडिया रूसी न्यूज एजेंसी तास ने भी एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत खबरों के आदान-प्रदान में सहयोग किया जाएगा। संयुक्त बयान के अनुसार दोनों नेताओं ने जम्मू और चेचन्या में आतंकवादी हमलों में मारे गये लोगों के प्रति संवेदना प्रकट की और उम्मीद जतायी कि बिना किसी देरी के आतंकवादियों के लिये सभी सुरक्षित पनाहगाह और शरणस्थलों को समाप्त किया जाएगा और एक दशक में साझा क्षेत्र से आतंकवाद के पूरी तरह सफाया हो जाएगा। इसके अनुसार, दोनों देशों ने उम्मीद जताई कि उनके साझा पड़ोसी क्षेत्रों में हाल के वर्षों में अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद की प्रकृति और जो प्रसार दिखा है, उसे निपटने के लिये वैश्विक स्तर पर संकल्प और सहयोग के उपाय की आवश्यकता है और इसके लिये कोई दोहरे मानक या भेदभाव नहीं होना चाहिए। मोदी और पुतिन अगले एक दशक में भारत-रूस सहयोग को मजबूत बनाने के लिये एक दृष्टिकोण पर सहमत हुए। दोनों नेताओं ने रेखांकित किया कि द्विपक्षीय सहयोग को उल्लेखनीय रूप से व्यापक बनाने तथा रिश्तों को गुणात्मक रूप से नये स्तर पर ले जाने का समय आ गया है।

आर्थिक मोर्चे पर दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय व्यापार के लिये राष्ट्रीय मुद्राओं में भुगतान को बढ़ावा देने पर सहमत हुए। संयुक्त बयान में कहा गया है कि इसके लिये गठित कार्य समूह मौजूदा बाधाओं को दूर करने तथा राष्ट्रीय मुद्राओं में लेन-देन को बढ़ावा देने के बारे में सिफारिशें देगा। ऊर्जा के क्षेत्र में प्राकृतिक अन्योन्याश्रय संबंधों तथा भारत की ऊर्जा सुरक्षा की तलाश को स्वीकार करते हुए दोनों देशों ने तेल एवं गैस, बिजली उत्पादन, परमाणु उर्जा समेत ऊर्जा के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग कई गुना बढ़ाने का निर्णय किया। मोदी तथा पुतिन ने तेल एवं गैस उत्खनन, कोयला खनन एवं उत्पादन के साथ एलएनजी परियोजनाओं और आपूर्ति के क्षेत्र में दोनों देशों की तेल एवं गैस कंपनियों के बीच व्यापक सहयोग पर जोर दिया। ऐसी संभावना है कि भारतीय कंपनियां रूस में नये तेल एवं गैस फील्डों से जुड़ी परियोजनाओं में मजबूती से भाग लेंगी। साथ दोनों पक्ष रूस और भारत के बीच हाइड्रोकार्बन पाइपलाइन के निर्माण की संभावना का अध्ययन करेंगे।

बयान के अनुसार दोनों पक्ष एक-दूसरे देश तथा तीसरे देश में पेट्रोरसायन परियोजनाओं में भाग लेने की संभावना भी टटोलेंगे। दोनों पक्षों ने प्रौद्योगिकी उत्पादों के संयुक्त रूप से डिजाइन, विकास, विनिर्माण तथा विपणन बढ़ाने का भी निर्णय किया। विशेष रूप से इस प्रकार का सहयोग अंतरिक्ष क्षेत्र, रक्षा प्रद्योगिकी, विमानन, नए सामग्री, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में होगा। दोनों नेताओं की नजर में अंतरिक्ष में सहयोग की अपार संभावना है।

दोनों नेताओं ने रेखांकित किया कि ‘अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा’ समय और माल ढुलाई लागत में कमी लाकर द्विपक्षीय व्यापार की दक्षता में उल्लेखनीय सुधार ला सकता है। उन्होंने कहा कि गलियरा ईरान के रास्ते गुजरेगा। दोनों पक्षों ने भारत और रूस के बीच हीरे के सीधे व्यापार को बढ़ावा देने के मामले में हुई प्रगति पर संतोष जताया। संयुक्त बयान के अनुसार, रूस में औषधि, उर्वरक, कोयला तथा ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में औद्योगिक पार्क तथा प्रौद्योगिकी मंचों में भारतीय कंपनियों की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाएगा। दोनों पक्ष इन क्षेत्रों में निवेश तथा उच्च प्रौद्योगिकी वाले उत्पादों के संयुक्त रूप से विनिर्माण में विशेषीकृत निवेश कोष को प्रोत्साहन देंगे। (एजेंसी इनपुट के साथ)

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