Indo-Pakistan 1971 War: '1971 के युद्ध में ढाका पर कब्जे की योजना नहीं थी'
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Indo-Pakistan 1971 War: '1971 के युद्ध में ढाका पर कब्जे की योजना नहीं थी'

Indo-Pakistan 1971 War: पूर्व भारतीय नौसेना प्रमुख ने कहा कि जीत के कारणों में मुक्ति वाहिनी द्वारा महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी जुटाई जाने के साथ-साथ सशस्त्र बलों के तीन अंगों.. सेना, नौसेना और वायुसेना के बीच समन्वय था.

Indo-Pakistan 1971 War: '1971 के युद्ध में ढाका पर कब्जे की योजना नहीं थी'

जयपुरः पूर्व भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल माधवेंद्र सिंह (सेवानिवृत्त) ने सोमवार को कहा कि 1971 के भारत-पाकिस्तान संघर्ष में ढाका के अधिग्रहण की योजना नहीं थी. यहां आयोजित 'मिलिटेरिया 2022' में भाषण देते हुए उन्होंने कहा कि संघर्ष पश्चिमी क्षेत्र में किसी भी बड़े नुकसान या भूमि में लाभ के साथ समाप्त नहीं हुआ, बल्कि यह बांग्लादेश में पूर्वी क्षेत्र में एक उल्लेखनीय जीत थी.

  1. 1971 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुआ था युद्ध
  2. युद्ध में ढाका के अधिग्रहण की योजना नहीं थी
  3. बांग्लादेश में पूर्वी क्षेत्र में यह उल्लेखनीय जीत थी

संगत सिंह ने लिया था महत्वपूर्ण निर्णय

पूर्व भारतीय नौसेना प्रमुख ने कहा कि जीत के कारणों में मुक्ति वाहिनी द्वारा महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी जुटाई जाने के साथ-साथ सशस्त्र बलों के तीन अंगों.. सेना, नौसेना और वायुसेना के बीच समन्वय था. भारतीय बलों द्वारा ढाका पर कब्जा किए जाने के कारण पूर्वी क्षेत्र में जीत को एक शानदार सफलता बताते हुए उन्होंने कहा कि मेघना नदी को पार करने और इसे कब्जे में लेने के लिए ढाका जाने का निर्णय 4 कोर कमांडर, लेफ्टिनेंट कर्नल जनरल संगत सिंह का था. उन्होंने कहा, 'हालांकि, उन्हें इस शानदार जीत के लिए उनकी उचित मान्यता और सम्मान नहीं मिला है, हालांकि उन्हें बांग्लादेश सरकार द्वारा मान्यता दी गई है.' एडमिरल सिंह ने यह भी कहा कि 1971 के युद्ध के दौरान उनकी सेवा सराहनीय थी.

पाक वायुसेना रात में हमला नहीं कर सकती थी

उन्होंने कहा, 'भारतीय नौसैनिक जहाजों द्वारा कराची पर बमबारी एक प्रशंसनीय कार्रवाई थी. चूंकि पाकिस्तानी वायुसेना रात के दौरान हमला नहीं कर सकती थी, इसलिए आधी रात को नौसेना का ऑपरेशन हुआ.' एडमिरल सिंह ने कहा, 'पूर्वी क्षेत्र में भी भारतीय नौसेना ने बांग्लादेश के चटगांव और खुलना पर बमबारी करके महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. हमें पाकिस्तानी पनडुब्बी गाजी के विनाश को नहीं भूलना चाहिए.' उन्होंने कहा, 'हालांकि, आईएनएस खुकरी का खो जाना भारतीय नौसेना के लिए एक झटका था.'

जीत में भी बहुत कुछ सीखना है

उनके अनुसार, 1971 के संघर्ष के दौरान भारतीय सेनाओं द्वारा खुफिया जानकारी जुटाना एक त्रुटिहीन उपलब्धि थी. 'जीत में भी बहुत कुछ सीखना है और हम आज भी 1971 की जीत के नए पहलुओं को सीखते रहते हैं.' मिलिटेरिया के संस्थापक मारूफ रजा ने कहा कि वे मिलिटेरिया के दूसरे संस्करण को शहर में वापस लाने के लिए उत्साहित हैं. उन्होंने कहा, 'उन्हें जिस तरह की प्रतिक्रिया मिल रही है वह प्रेरणादायक है और आने वाले समय में जयपुर में एक पूर्ण सैन्य साहित्य महोत्सव हो सकता है.'

अगला संस्करण फरवरी 2023 में होगा.

सत्र 'जनरल ऑन टेक्नोलॉजी' के वक्ता लेफ्टिनेंट जनरल राजीव सभरवाल (सेवानिवृत्त), भारतीय सेना के पूर्व सिग्नल ऑफिसर और पूर्व उप प्रमुख, एकीकृत रक्षा स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल पीजेएस पन्नू थे. लेफ्टिनेंट जनरल सभरवाल ने प्लेटफॉर्म सेंट्रिक वारफेयर, नेटवर्क सेंट्रिक वारफेयर, इंफॉर्मेशन सेंट्रिक वारफेयर और नॉलेज सेंट्रिक वारफेयर जैसे विभिन्न प्रकार के युद्धों पर प्रकाश डाला और कहा कि आने वाले समय में युद्ध सभी क्षेत्रों में एक साथ और सभी स्तरों पर लड़ा जाएगा.

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