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नई दिल्ली: भारतीय सेना को बहुत जल्द दुनिया की सबसे घातक राइफलों में शामिल AK- 203 मिलने जा रही है. रक्षा मंत्रालय ने 6 लाख AK 203 राइफल्स बनाने की मंजूरी दे दी है और रूस की साझेदारी के साथ ये राइफल्स उत्तर प्रदेश के अमेठी में बनाई जाएंगी. इससे पहले अगस्त में 70 हजार राइफल सीधे रूस से खरीदने का सौदा किया जा चुका है. भारत को कुल 6 लाख 71 हजार एके 203 राइफल मिलेंगी.
चीन के साथ लगती एलएसी और पाकिस्तान के साथ लगती एलओसी पर अब सैनिकों के हाथ में वो घातक अस्त्र होगा जो सिर्फ 1 सेकंड में 10 गोलियां बरसाएगा. इस घातक हथियार के आने के बाद भारतीय सैनिकों के हाथ में तीन दशक पुरानी राइफल नहीं बल्कि AK सीरीज की सबसे आधुनिक राइफल होगी. भारतीय सेना को मिलने वाला ये अस्त्र असल में गेमचेंजर कहा जा रहा है.
इन राइफल्स के बारे में जानकारी जुटाने के लिए जी न्यूज मास्को पहुंच गया. यहां एके सीरीज की राइफलें बनाने वाली क्लाशिनकोव कंपनी की शूटिंग रेंज है. इसी शूटिंग रेंज में सबसे घातक राइफल यानी एके 203 का अचूक निशाना और ताकत को देखने का मौका मिला. आपके लिए ये जानना जरूरी है कि आखिरकार भारत को मिलने वाली आधुनिक एके 203 राइफलें किस तरह भारत की तीन दशक पुरानी इंसास राइफलों की जगह लेने वाली हैं.
पहले वाले मॉडल से राइफल का आधुनिक मॉडल काफी अलग है. शूटिंग रेंज के इंस्ट्रक्टर शेरिल ने बताया कि इसमें जूमिंग स्कोप लगाने के लिए एक बेस दिया गया है और इसे दोनों तरफ लगाया जा सकता है. इसके साथ ही इसमे मैग्नीफाइंग लेंस का भी इस्तेमाल किया जा सकता है. राइफल की खासियत ये है कि इसे टेलीस्कोपिक लेंस में परिवर्तित कर सकते हैं जिसमें नाइट साइट भी लगा सकते हैं.
इस राइफल में एक एडजस्टेबल हैंडल (बट) दिया गया है, इसके साथ ही इसे आगे की तरफ से मजबूती के साथ पकड़ सकते हैं. ट्रिगर के पास भी मजबूती से पकड़ने की सुविधा दी गई है. इसे भी दूसरे क्लाशिनकोव की तरह पार्ट्स को आसानी से अलग किया जा सकता है. इस खतरनाक हथियार की एक और खास बात ये है कि इसका मेंटेंनेंस बहुत आसान है. ये तमाम सुविधाएं एके 203 को युद्धक्षेत्र में ज्यादा कारगर बनाती हैं.
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एके 203 बेहद हल्की राइफल है जो एक मिनट में 600 गोलियां दाग सकती है. एके सीरीज की दूसरी राइफलों की तरह इसमें भी इस बात की सुविधा होती है कि गोलियां को एक-एक करके फायर किया जाए या फिर एक साथ दुश्मनों पर गोलियों की बौछार कर दी जाए. इस राइफल को चलाना काफी आसान होता है और इसका निशाना अचूक होता है.
दूसरे विश्वयुद्ध के बाद रूस को एके सीरीज की राइफलों की जरूरत महसूस हुई थी. उस दौर में सेनाओं में लड़ने वाले जवान बहुत ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं होते थे. इसीलिए रूस ने एक ऐसी राइफल तैयार की जिसकी तकनीक बेहद आसान थी. इस अविष्कार के बाद छह से ज्यादा दशक बीत गए हैं लेकिन एके 47 राइफल बैटल फील्ड में भरोसेमंद हथियार बनी हुई है.
हिंदुस्तान के जांबाज सैनिकों के हाथ में जब एके 203 राइफल आएगी तो सामने मौजूद दुश्मनों की हालत खराब होने वाली है. साथ ही इस राइफल के भारतीय सेना के हाथ में आने के बाद युद्ध क्षेत्र में सेना की ताकत कई गुना बढ़ने वाली है.
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की अगले महीने होने वाली भारत यात्रा के दौरान भारत और रूस लंबे समय से पेंडिंग एके 203 क्लाशिनकोव राइफल खरीद समझौते पर ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत हस्ताक्षर कर सकते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ शिखर वार्ता करने के लिए रूप से के राष्ट्रपति पुतिन अगले महीने भारत यात्रा पर आने वाले हैं.
करीब पांच हजार करोड़ रुपये के इस सौदे के तहत, भारत और रूस संयुक्त उपक्रम उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले में एक उत्पादन इकाई में 10 साल के भीतर छह लाख से ज्यादा ‘ए के 203’ राइफलों का निर्माण करेगा.