अफगानिस्तान (Afghanistan) के कार्यवाहक राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह (Amrullah Saleh) ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने उनके देश की पीठ में छुरा घोंप दिया. उनके देश के हालात सुधारने के लिए बड़ी-बड़ी बातें की गईं लेकिन हकीकत में कुछ नहीं किया गया.
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नई दिल्ली: अफगानिस्तान (Afghanistan) के कार्यवाहक राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह (Amrullah Saleh) ने कहा कि वे अफगान हैं और इस संकट की घड़ी में मजबूती से अपने देश के लोगों के साथ खड़े हैं. उन्होंने कहा कि वे तालिबान के सामने नहीं झुकेंगे.
सहयोगी चैलन WION के साथ बात करते हुए सालेह (Amrullah Saleh) ने कहा, 'मैं अफगानों द्वारा झेली जा रही हर मुश्किल को समझता हूं. हम अभी भी अफगानिस्तान के आजाद हिस्से में हैं. मुझे अफगानिस्तान से निकलने के लिए मित्र देशों ने चार्टर्ड विमानों की पेशकश की थी लेकिन मैंने मना कर दिया.'
राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश से बाहर जाने पर अमरुल्लाह सालेह ने कहा, 'मैं कहूंगा कि अगर वे अफगान राष्ट्र और अपनी मिट्टी के साथ रहे होते तो ये उनकी विरासत और अफगान दोनों के लिए अच्छा होता. गनी ने मुश्किलों के बीच देश को छोड़ दिया. यह हमारे देश के इतिहास पर एक दाग है. जिसे भुलाया नहीं जा सकता.'
अमरुल्लाह सालेह (Amrullah Saleh) ने कहा कि अशरफ गनी ने देश से भागकर अपनी सकारात्मकता भी गंवा दी. उन्होंने बलिदान की भावना और अपने देश के लिए कुछ करने की भावना नहीं दिखाई. अगर वे काबुल में रहने पर कैद भी हो जाते तो लोग उनकी आजादी के लिए आवाज उठाते और रैलियां निकालते. अंतरराष्ट्रीय समुदाय उनके साथ खड़ा होता. उन्होंने यह बड़ा अवसर अपने हाथ से गंवा दिया.
अमरुल्लाह सालेह (Amrullah Saleh) ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने अफगान राष्ट्र (Afghanistan) के साथ विश्वासघात किया है. अफगानिस्तान के लिए बड़ी-बड़ी बात करने वाला कोई भी देश अपनी बात पर कायम नहीं रहा. हमारे अफगानी सैनिक तालिबान के साथ मजबूती से लड़े लेकिन दोहा में तालिबान के साथ बैठक करके अमेरिका ने हमारे देश की पीठ में छुरा घोंप दिया.
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उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में कोई भी देश यह पसंद नहीं करेगा कि पाकिस्तान अपने पड़ोसी अफगानिस्तान (Afghanistan) को डोमिनेट करे. अभी या कुछ समय बाद पड़ोसी देशों को यह बात समझ में जरूर आएगी. उसके बाद पाकिस्तान को इसका बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ेगा.
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