ITBP ने 500 घंटे चलाया अभियान, पर्वतारोहियों के सभी शव लाए वापस
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ITBP ने 500 घंटे चलाया अभियान, पर्वतारोहियों के सभी शव लाए वापस

13 मई को उत्तराखंड के पिथौरागढ़ ज़िले से 12 पर्वतारोहियों ने नंदा देवी चोटी पर चढ़ना शुरू किया था, जो बाद में लापता हो गए थे. 

23 जून को आईटीबीपी की टीम ने बहुत ख़तरनाक ढलान पर 7 पर्वतारोहियों के शव खोज लिए. (प्रतीकात्मक फोटो)

नई दिल्ली: ये दुनिया में अपनी तरह का अनोखा अभियान था. दुनिया में बहुत कम बचाव अभियान मुश्किल हालात और चुनौतियों में इस अभियान का मुकाबला कर सकते हैं. भारत-तिब्बत सीमा पुलिस यानि आईटीबीपी ने 500 घंटे तक चले अभियान में 18000 फीट की ऊंचाई पर 7 पर्वतारोहियों के शवों की तलाश की और उन्हें लेकर आए. इस अभियान में शामिल थे कुल 11 आईटीबीपी कर्मी, जो अनुभवी पर्वतारोही थे. 

13 मई को उत्तराखंड के पिथौरागढ़ ज़िले से 12 पर्वतारोहियों ने नंदा देवी चोटी पर चढ़ना शुरू किया. 30 मई को पिथौरागढ़ प्रशासन को इनके गायब होने की सूचना मिली और आईटीबीपी ने उनकी तलाश शुरू की. 2 जून को 4 ब्रिटिश पर्वतारोहियों को नंदा देवी बेस कैंप में तलाश कर लिया गया और उन्हें हेलीकॉप्टर के ज़रिए सुरक्षित नीचे भेज दिया गया. बचे 8 पर्वतारोहियों की तलाश में लगे वायुसेना के हेलीकॉप्टर ने 3 जून को एरियल रेकी के दौरान कुछ शव देखे. 

लेकिन ख़राब मौसम और ऊंचाई की वजह से हेलीकॉप्टर के ज़रिए खोज अभियान नहीं चलाया जा सका. इसके बाद 14 जून को आईटीबीपी के पर्वतारोही दल ने चढ़ाई शुरू की. लापता पर्वतारोहियों में 4 ब्रिटिश, 2 अमेरिकी, 1 आस्ट्रेलियन और 1 भारतीय था. टीम को आगे बढ़ने के लिए बहुत मुश्किल चढ़ाई करनी पड़ी क्योंकि ढलान बहुत तीखे थे और हवा बहुत तेज़ चल रही थी. 

23 जून को आईटीबीपी की टीम ने बहुत ख़तरनाक ढलान पर 7 पर्वतारोहियों के शव खोज लिए. 8वें पर्वतारोही की भी तलाश की गई लेकिन मौसम, ऊंचाई और ख़तरनाक ढलान की वजह से उसका कोई सुराग नहीं मिला. ये शव 18000 फीट की ऊंचाई पर एक नीची जगह पर मिले जहां शायद उन्होंने उतरने की आखिरी कोशिश की होगी. 30 जून तक शवों को हेलीकॉप्टरों के ज़रिए लाने की कोशिश की गई लेकिन क़ामयाबी नहीं मिली और उन्हें नीचे लाने का जिम्मा दोबारा आईटीबीपी ने उठाया.

1 जुलाई को 11 घंटे की बेहद कठिन यात्रा के बाद 4 शवों को निकालकर 18800 फीट पर लाया गया और उसके बाद उन्हें 15200 फीट पर बने एक हेलीपैड पर लाया गया. बाकी शवों को दूसरे दिन लाया जा सका और 3 जुलाई को सारे शवों को वायुसेना के हेलीकॉप्टर्स ने पिथौरागढ़ पहुंचा दिया. 

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