Jageshwar Ram: सीएम ने पुकारा तो नंगे पैर मिलने पहुंचे जागेश्वर राम, जनजाति के उत्थान में खपा चुके हैं पूरी जिंदगी
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Jageshwar Ram: सीएम ने पुकारा तो नंगे पैर मिलने पहुंचे जागेश्वर राम, जनजाति के उत्थान में खपा चुके हैं पूरी जिंदगी

Jageshwar Ram Birhor Tribe: सीएम विष्णु देव साय से मिलने के लिए जब जागेश्वर राम पहुंचे तो उनके पैरों में चप्पल तक नहीं थी. ऐसा क्यों हुआ, इसके पीछे क्या दिलचस्प कहानी है, आइए इसके बारे में जानते हैं.

Jageshwar Ram: सीएम ने पुकारा तो नंगे पैर मिलने पहुंचे जागेश्वर राम, जनजाति के उत्थान में खपा चुके हैं पूरी जिंदगी

Jageshwar Ram CM Vishnu Deo Sai Friendship: छत्तीसगढ़ के रायपुर में चौंकाने वाली घटना हुई है. दरअसल यहां जब दूर खड़े जागेश्वर राम (Jageshwar Ram) को सीएम विष्ण देव साय (Vishnu Deo Sai) ने पुकारा तो वे नंगे पैर ही उनसे मिलने आ गए. बता दें कि जागेश्वर राम ने अपना पूरा जीवन बिरहोर जनजाति की सेवा में बिताया है. जागेश्वर राम ने इस विशेष पिछड़ी जनजाति की शिक्षा के लिए भी विशेष रूप से काम किया है. इसमें जागेश्वर राम को मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का सहयोग मिला है. बता दें कि साय जब मुख्यमंत्री बने तब जागेश्वर उनसे मिलने नंगे पांव ही स्टेट गेस्ट हाउस पहुंच गए. मुख्यमंत्री ने उन्हें जब दूर से देखा तो आत्मीयता से आवाज लगाई कि ऊहां कहां खड़े हस, ऐती आ.

जागेश्वर राम के काम के मुरीद हैं सीएम

दरअसल, जागेश्वर राम और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के बीच आत्मीयता की जो कड़ी जुड़ी, वो छत्तीसगढ़ की अति पिछड़ी जनजाति मानी जाने वाली बिरहोर जनजाति की वजह से जुड़ पाई. बता दें कि जागेश्वर राम महकुल यादव जाति से आते हैं. अपनी जवानी के दिनों में जब पहली बार वे बिरहोर जनजाति के संपर्क में आए तो इस विशेष पिछड़ी जनजाति की बेहद खराब स्थिति ने उन्हें बेहद दुखी कर दिया.

जनजाति के विकास में लगा दी जिंदगी

दरअसल, ये लोग बाकी दुनिया से कटे थे. शिक्षा नहीं थी. वे झोपड़ियों में रहते थे. स्वास्थ्य सुविधा का अभाव था. तब जागेश्वर राम ने संकल्प लिया कि वे अपनी पूरी जिंदगी बिरहोर जनजाति के बेहतरी में लगाएंगे. यह बहुत बड़ा मिशन था और इसके लिए उन्होंने अपनी ही तरह के संवेदनशील लोगों से संपर्क आरंभ किया.

साय और जागेश्वर कैसे दोस्त बने?

इसके चलते वे तत्कालीन सांसद विष्णु देव साय के संपर्क में आए. जागेश्वर राम ने उनके सामने इस जनजाति के विकास के लिए योजना रखी. तो सांसद ने उन्हें पूरी मदद का भरोसा दिया. इसके बाद साय की मदद से भीतघरा और धरमजयगढ़ में आश्रम खोले गए. शुरुआत में ऐसी हालत थी कि लोग आश्रम से अपने बच्चों को घर ले जाते थे.

लेकिन जब आश्रम में पहली पीढ़ी के बच्चे पढ़कर निकले और उनके जीवन में सुखद बदलाव आए तो बिरहोरों ने अपने बच्चों को यहां भेजना शुरू किया. इस उपलब्धि के लिए छत्तीसगढ़ के राज्य अलंकरण समारोह में जागेश्वर राम को शहीद वीर नारायण सिंह पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है.

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