Amarnath Yatra Route: बेस कैंप से गुफा तक पूरे रास्ते में लगभग 17 पीटीजेड हाई डेफिनिशन 360 डिग्री व्यू कैमरे लगाए गए हैं. बालटाल और चंदनवारी दोनों आधार शिविरों से रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थानों पर दर्जनों स्टेटिक कैमरे भी लगाए गए हैं ताकि हर यात्री की पल-पल की खबर अधिकारियों को रहे.
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Amarnath History: अमरनाथ यात्रा को हिंदू धर्म में सबसे कठिन यात्राओं में गिना जाता है. जम्मू-कश्मीर प्रशासन तीर्थयात्रियों के लिए यात्रा से जुड़ी हर छोटी से छोटी समस्या को आसान बनाने के लिए 24 घंटे काम कर रही है. श्रद्धालुओं को ज्यादा सहायता देने के लिए हाई-टेक कमांड कंट्रोल सेंटर बनाया गया है.
इस हाईटेक कमांड कंट्रोल सेंटर में लगभग 20 सरकारी विभागों के लगभग 60 लोग दिन-रात काम करते हैं, जिसमें सुरक्षाबल भी शामिल हैं. हाई-टेक कमांड कंट्रोल सेंटर में काम करने वाले विभागों में जम्मू-कश्मीर पुलिस, सीआरपीएफ, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, स्वस्थ, पीएचई, पीडीडी, टेलीकॉम और कई अन्य विभाग शामिल हैं. बेस कैंप से गुफा तक पूरे रास्ते में लगभग 17 पीटीजेड हाई डेफिनिशन 360 डिग्री व्यू कैमरे लगाए गए हैं. बालटाल और चंदनवारी दोनों आधार शिविरों से रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थानों पर दर्जनों स्टेटिक कैमरे भी लगाए गए हैं ताकि हर यात्री की पल-पल की खबर अधिकारियों को रहे.
क्या बोले अधिकारी
कश्मीर के डिविजनल कमिश्नर विजय कुमार बिधुरी ने कहा, 'यात्रियों पर नजर रखने के लिए हमने पूरे रास्ते सीसीटीवी कैमरा लगाए हैं. इस यात्रा में हमने टेक्नोलॉजी का सही से इस्तेमाल किया है. इसे हमें जो फायदा हुआ है वो ये कि आप बैठे हुए फैसला ले सकते हैं कि अगर बारिश हुई है तो यात्रा को कहां रोकना है. ट्रैक खराब हुआ है या नहीं. पहले सब मैनुअली करना पड़ता था. पूरे रास्ते पर हमारी टीम तैनात है. जो कैमरा हमने लगाए हैं, उससे फैसला करना आसान हो गया है.'
अमरनाथ यात्रा के लिए सभी तीर्थ यात्रियों को आरएफआईडी (रेडियो फ्रीक्वेंसी पहचान संख्या) दी गई है. इससे अधिकारियों को अपने आधार शिविरों से यात्रा करते वक्त श्रद्धालुओं के स्थान की निगरानी करने में मदद मिलती है. इस स्पेशल कार्ड से हर यात्री पर हर वक्त प्रशासन की नज़र रहती है और अगर उस पर कोई दुविधा आती हैं तो तुरंत उस तक मदद पहुंचाई जाती है.
विजय कुमार बिधुरी ने कहा, 'आरएफआईडी ट्रैकिंग से हमें दो-तीन चीज़ों का बड़ा फ़ायदा हुआ हैं. एक तो यात्रा पर नजर रहती है और हम यह भी जान पाते हैं कि किस ट्रैक पर कितने यात्री हैं और उनको कितना टाइम लग सकता है. इसके अलावा यात्री बिछड़ जाते हैं तो चिंता होती है. उस समय यात्री परेशान होता हैं इसलिए हमने सॉफ्टवेयर में यह भी रखा है कि ना सिर्फ आरएफआईडी कार्ड से बल्कि आधार कार्ड या नाम से उसका पता कर सकते हैं. उसकी लोकेशन जान सकते हैं.
आपदा में आएगा काम
डिजिटल हाई-टेक कमांड कंट्रोल सेंटर चिकित्सा आपात स्थिति, संभावित आपदा स्थितियों की पहचान करने, लापता व्यक्तियों का पता लगाने और उनको वापसी की सुविधा प्रदान करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.
इस केंद्र में 20 अलग-अलग विभागों के 60 कर्मचारी जिसमें सुरक्षा अधिकारी भी हैं, हर वक्त उपस्थित रहते हैं और किसी भी आपदा में तुरंत कार्रवाई कर सकते हैं.
बिधुरी ने कहा, 'पिछले साल त्रासदी हुई थी तो हमने हेल्प लाइन नंबर जारी किए थे. तब कॉल अलग-अलग लोगों को आने लगे. यहां हमारे रिस्पांस का फायदा यह है कि एक जगह सब है. एक ही नंबर पर बहुत सारी लाइंस ली हैं. जब ऐसी स्थिति होगी तो हम यह नंबर फ़्लैश कर सकते हैं. इंटीग्रेटेड कमांड सेंटर पर हमारे सभी लोग हैं. यहां तक कि सुरक्षाबलों के साथ कॉर्डिनेटेड तरीके से हम इससे निपट सकते हैं. इसकी क्वॉलिटी इतनी अच्छी है कि किसी को भी पहचाना जा सकता है. इसको मॉनिटर केवल हम नहीं बल्कि पुलिस के पास भी इसकी फीड जाती है. श्राइन बोर्ड और यहां तक कि एलजी भी इसे देख सकते हैं और रियल टाइम निर्णय ले सकते हैं.'
सरकारी अनुमान के मुताबिक, पहले 6 दिनों में करीब 80 हजार तीर्थयात्री अमरनाथ यात्रा पूरी कर चुके हैं और सावन के दो महीने होने के कारण इस बार अनुमान लगाया जा रहा है कि तीर्थ यात्रियों की संख्या 5 लाख का आंकड़ा पार करेगी जो अब तक का सबसे ज्यादा आंकड़ा होगा.